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हाथरस की घटना के जरिये योगी की छवि धूमिल करने की कोशिश, आखिर जिम्मेदार कौन ?

उत्तर प्रदेश की सत्ता का नेतृत्व हाथ में लेने के पश्चात् से ही योगी आदित्यनाथ ने जिस ईमानदारी और सिद्दत के साथ प्रदेश की तस्वीर बदलने के लिए कार्य करना शुरू किया, उसके परिणाम को न केवल राज्य बल्कि देश-विदेश तक में स्वीकार किया गया |

Newstrack
Published on: 10 Oct 2020 11:38 AM IST
हाथरस की घटना के जरिये योगी की छवि धूमिल करने की कोशिश, आखिर जिम्मेदार कौन ?
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डॉ. अजय कुमार मिश्रा

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की सत्ता का नेतृत्व हाथ में लेने के पश्चात् से ही योगी आदित्यनाथ ने जिस ईमानदारी और सिद्दत के साथ प्रदेश की तस्वीर बदलने के लिए कार्य करना शुरू किया, उसके परिणाम को न केवल राज्य बल्कि देश-विदेश तक में स्वीकार किया गया | तभी तो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा दुश्मन देश पाकिस्तान ने भी योगी आदित्यनाथ के कार्यो और मजबूत प्रशासन की जम कर सराहना की | इनके कार्यकाल में 14 सितम्बर 2020 के पहले तक विपक्षी राजनैतिक दलों को विरोध का एक भी मजबूत कारण नजर नहीं आ रहा था | सबसे अधिक जनसँख्या वाला प्रदेश होने के बावजूद कोरोना पर प्रभावशाली नियन्त्रण सिर्फ और सिर्फ योगी आदित्य नाथ के सफल नेतृत्व से ही संभव हो पाया है |

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प्रदेश की अर्थव्यवस्था में व्यापक नियंत्रण कही न कही कई सफल निर्णयों का ही परिणाम है

प्रदेश की अर्थव्यवस्था में व्यापक नियंत्रण कही न कही कई सफल निर्णयों का ही परिणाम है | कोरोना से उत्पन्न कई बड़ी समस्याओं जैसे पलायित मजदूरों को रोजगार, राशन, घर तक पहुचाने का कार्य में उत्तर प्रदेश प्रथम रहा है | महिला सुरक्षा को लेकर योगी आदित्यनाथ हमेशा से ही सजग रहें है, एंटी रोमिओ दल का गठन भी महिलाओं, बेटियों को सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया | प्रदेश का कायाकल्प करने के लिए कई व्यवसायी / उद्योगों को लाने का सफल प्रयास निर्विवाद रूप से चल रहा है | स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती देने में भी प्रदेश नम्बर एक स्थान पर रहा है |

सत्ता चलाने वाले नेतृत्व को हमेशा से विरोध झेलना पड़ता है

सत्ता चलाने वाले नेतृत्व को हमेशा से विरोध झेलना पड़ता है भले ही आपके अधिकांश निर्णय बेहतरीन हो जिनमें केवल लोगो के हित की बात शामिल हो | लोगो का किसी निर्णय पर सहमत होना या न सहमत होना रहता है पर जब भी आप नेतृत्व का आकलन निष्पक्ष हो कर करेगे तो उत्तर प्रदेश के नेतृत्व को इतिहास में सर्वश्रेष्ठ नेतृत्व कर्ताओं में आप योगी आदित्यनाथ को पाओगे | बिना रुके, बिना थके, हर मुद्दों पर त्वरित निर्णय, जनता की प्राथमिकता, पक्ष विपक्ष में लोक-प्रियता अपने कार्य करने की शैली से दिन प्रतिदिन और अधिक प्रभावशाली हो रहें है |

14 सितम्बर 2020 को हाथरस में हुए कथित बलात्कार के केस ने योगी आदित्यनाथ की छवि को धूमिल करने की पूरी कोशिश की है | मीडिया खबरों की माने तो इसके कई कारण है जिसमे विपक्षी पार्टियों द्वारा की जा रही कार्यवाही, कई संगठनो की संलिप्तता, अफवाहें, स्थानीय प्रशासन द्वारा लिए गए निर्णयों में भारी खामियों का शामिल होना है | आज हाथरस केस प्रत्येक लोगो की जुबान पर है और सभी सरकार की कमियां निकालने में लगे हुए है | पर इस केस के सभी पहलुओं को देखा जाये तो आप इस बात से इनकार नही कर सकते की घटना घटित हुई है और आरोपियों को गिरप्तार किया गया है | सरकार ने मामले की गंभीरता को समझते हुए कई बड़े निर्णय लगातार लिये है |

up-police up-police (social media)

बिना किसी जाँच के आरोपियों पर न कार्यवाही की जा सकती है और न ही किसी अंतिम नतीजे पर पहुंचा जा सकता है

प्रदेश के अन्य जिलों बुलंदशहर, बलरामपुर, आजमगढ़, और भदोही में घटित कथित बलत्कार की घटना पर स्थानीय प्रशासन ने त्वरित कार्यवाही करके मामलें को गंभीर होने और अशांति उत्पन्न होने से बचाया है | ऐसे में यह सोचना और मुल्यांकन करना जरुरी हो जाता है की हाथरस की घटना को इतनी अधिक पुब्लिसिटी कैसे मिली | बिना किसी जाँच के आरोपियों पर न कार्यवाही की जा सकती है और न ही किसी अंतिम नतीजे पर पहुंचा जा सकता है फिर इस केस को इतना समय भी क्यों नहीं दिया गया | रोज नई-नई बातें इस केस में सामने आ रही है |

कोई भी विरोध करने के पहले, आप भी जाने महिलाएं कितने सुरक्षित है उत्तर प्रदेश में

जब आप नेतृत्व के स्थान पर होते है तो अच्छे कार्यो के लिए आपकी वाह-वाही होती है जबकि हाथरस जैसे मामलो में दुष्प्रचार, और विरोध होता है और यह कार्य प्रणाली का एक हिस्सा भी है जिसे स्वीकार करना चाहिये | पर जरुरी यह तथ्य है की इसका मुल्यांकन अवश्य हो, आखिर इसके पीछे लापरवाही कहाँ है |

दुनियां की कोई भी मजबूत से मजबूत प्रणाली किसी घटना को घटित होने से पुर्णतः रोक नहीं सकती, उस घटना के पश्चात् त्वरित कार्यवाही अपराधियों को दंड, पीड़िता को न्याय दिलाने वाली होनी चाहियें | कोई भी विरोध करने के पहले, आप भी जाने महिलाएं कितने सुरक्षित है उत्तर प्रदेश में | राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (NCRB), भारत सरकार के वर्ष 2016 के, महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर के आकड़ो के अनुसार महिलाओं के लिए देश में सबसे असुरक्षित मुख्य 5 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश है दिल्ली, असम, ओडिशा, तेलंगाना, और राजस्थान है |

उत्तर प्रदेश 36 में से 17 वें स्थान पर है

उत्तर प्रदेश 36 में से 17 वें स्थान पर है | वर्ष 2019 में रेप के पुलिस थानो में पंजीकृत केस में राज्यवार 1,00,000 की आबादी पर बलात्कार दर में मुख्य 5 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश है चंडीगढ़, राजस्थान, दिल्ली, केरला और हरियाणा | उत्तर प्रदेश 36 में से 26 वें स्थान पर है | वर्ष 2018 से वर्ष 2019 में महिलाओं के प्रति देश में अपराध में वृद्धि हुई है | प्रत्येक 16 मिनट में एक बलात्कार देश में आज भी हो रहा है | यानि की जनसँख्या में सबसे बड़ा राज्य होने के बावजूद इस विषय में उत्तर प्रदेश के आकड़े आपको सिर्फ उत्तर प्रदेश में घटित घटना के बजाय पुरे देश में घट रही बलात्कार की घटना के विषय में सोचने और कुछ करने पर विवश जरुर कर देगे | अब जरूरत है इस विषय पर देश में बड़े बदलाव की |

विभिन्न राजनैतिक पार्टियाँ कांग्रेस, आप, समाजवादी पार्टी, लोकदल, बहुजन समाजवादी पार्टी, भीम आर्मी के इस विषय में किये जा रहें विरोध की कई स्तर पर आलोचना हो रही है, जबकि सच्चाई यह है की राजनैतिक पार्टी यह काम दशकों पहले करती चली आ रही है और आगे भी करती रहेगी आखिर राजनीति में होने के पीछे कारण ही विरोध करना है |

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हाथरस के मामले ने तूल पकड़ा

जिस तरह से हाथरस के मामले ने तूल पकड़ा, जिस तरह से मीडिया में कई बातें जो जाँच में गोपनीय होनी चाहिये थी तेजी से सामने आई, जिस तरह से लापरवाही स्थानीय स्तर पर हुई, इन सबसे योगी आदित्य नाथ को विपक्ष पर ध्यान देने के बजाय अपने प्रशासनिक अधिकारीयों और अंदर की राजनैतिक समीकरण पर ध्यान देने की जरूरत अधिक है और गलती किससे, कब, कहाँ, किसके कहने पर हुई, यह भी जानना उनके लिए जरुरी है | जाति, धर्म, मजहब और मीडिया ट्रायल से उपर उठ कर जरूरत है पीड़िता को न्याय दिलाने की |

माननीय हाई कोर्ट द्वारा इस केस में स्वयं से संज्ञान लिया जाना स्वागत योग्य कदम है जिससे न केवल विवाद ख़त्म होगा बल्कि उचित न्याय जरुर मिलेगा | जन मानस को भी जागृत होने की जरूरत है, सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया देने के बजाय, क़ानूनी और वैधानिक व्यवस्था पर विश्वास रखने और उन्हें कार्य करने के लिए समय देने की |

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