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छापों की राजनीति या राजनीति के छापे, कब रुकेगा ये सिलसिला
जांच एजेंसियों का दुरुपयोग नई बात नहीं है। जिसके हाथ में सत्ता होती है, वह अपने विरोधियों को कुचलने का प्रयास करता है। इसके लिए वह सिस्टम का दुरुपयोग करता है।
रामकृष्ण वाजपेयी
जांच एजेंसियों का दुरुपयोग नई बात नहीं है। जिसके हाथ में सत्ता होती है, वह अपने विरोधियों को कुचलने का प्रयास करता है। इसके लिए वह सिस्टम का दुरुपयोग करता है। कोई भी राजनीतिक पार्टी जब सत्ता में आती है, तो वह विरोधी पार्टियों के खिलाफ इन एजेंसियों का इस्तेमाल करती हैं। ऐसा कहा जाता रहा है।
महाराष्ट्र के बॉलीवुड सेलिब्रिटीज पर रेड
देश की विभिन्न जांच एजेंसियां काफी हद तक अपने उद्देश्यों को पूरा करने में सफल रही हैं, परन्तु कभी-कभी इनकी कार्यप्रणाली को लेकर शंका भी पैदा होती है। जैसे ऐन चुनाव के समय पश्चिम बंगाल में कार्रवाई और अब महाराष्ट्र के बॉलीवुड सेलिब्रिटीज सहित कई कंपनियों के यहां हुई कार्रवाई। सवाल यह है कि दूध का धुला कौन है।
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जब कांग्रेस की सत्ता थी तब यही भाजपा उस पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाती थी। आज भाजपा की सरकार है तो कांग्रेस आरोप लगा रही है। लेकिन सवाल है टाइमिंग का। सवाल है प्रभावशाली दखल का। जांच एजेंसियां अपना कार्य पूरी निष्पक्षता से करें तो कोई कुछ न कह सकेगा। वरना जांच एजेंसियां ही संदेह के घेरे में आ जाएंगी, तब तो देश में कानून का राज कैसे कायम रह पाएगा यह बड़ा सवाल बन जाएगा।
सत्तारूढ़ कांग्रेस और एनसीपी का आरोप
महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस और एनसीपी का आरोप है कि फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप और अभिनेत्री तापसी पन्नू पर हुई कार्रवाई उन लोगों की आवाज दबाने का प्रयास है जो मोदी सरकार के खिलाफ बोल रहे हैं। एनसीपी के प्रमुख प्रवक्ता और राज्य के मंत्री नवाब मलिक का कहना है कि केंद्रीय एजेंसियां भाजपा नीत राजग सरकार के खिलाफ स्टैंड लेने वाले लोगों की आवाज दबाने का प्रयास कर रही हैं।
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उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगी कांग्रेस के अशोक चव्हाण का कहना है कि केंद्र सरकार उन लोगों पर दबाव बनाना चाहती है जो तथ्यों को सामने ला रहे हैं ताकि वह बोल न सकें। मलिक ने यह भी कहा कि ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स जैसी केंद्रीय एजेंसियों का उनके खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है जो सरकार की नीतियों का विरोध कर रहे हैं।
गौरतलब है कि अनुराग कश्यप और पन्नू दोनो ने ही मोदी सरकार के खिलाफ आवाज उठाई थी। नेताओं का आरोप है कि यह कार्रवाई उनकी आवाज को दबाने के लिए की गई है। छापों में कुछ भी नया नहीं है।
(ये लेखक के निजी विचार हैं।)