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सरकार की सोच सही दिशा में

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपनी दूसरी पत्रकार परिषद में आज ऐसी अनेक घोषणाएं की हैं, जिनसे आशा बंधती है कि कोरोना से उत्पन्न आर्थिक संकटों पर काबू पाया जा सकता है।

Dr. Ved Pratap Vaidik
Published on: 16 May 2020 12:13 AM IST
सरकार की सोच सही दिशा में
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डॉ. वेदप्रताप वैदिक

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपनी दूसरी पत्रकार परिषद में आज ऐसी अनेक घोषणाएं की हैं, जिनसे आशा बंधती है कि कोरोना से उत्पन्न आर्थिक संकटों पर काबू पाया जा सकता है। जहां तक 20 लाख करोड़ रु. की राहत देने की बात थी, वह विवाद का विषय है। उसे एक तरफ रख दें तो भी मानना पड़ेगा कि केंद्रीय सरकार अब सही दिशा में सोचने लगी है। उसने प्रवासी मजदूरों पर ध्यान देना शुरु कर दिया है।

उसने यह बात अच्छी तरह समझ ली है कि आप उद्योग-धंधों पर करोड़ों-अरबों रु. खपा दें और कारखानों में मजदूर न हों तो आप क्या कर लेंगे ?

सिर्फ पूंजी और मशीनों से उद्योगों को जिंदा नहीं रखा जा सकता। हमारे प्रवासी मजदूर अपनी जान जोखिम में डालकर अपने घर लौट रहे हैं। उनकी संख्या करोड़ों में है। यदि वे नहीं लौटे तो क्या होगा ? वे अपना पेट कैसे भरेंगे ?

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वित्त मंत्री ने कहा है कि मनरेगा में उनकी मजदूरी 180 रु. से बढ़ाकर 202 रु. कर दी गई हैं। मैं कहता हूं कि इसे 250 रु. क्यों नहीं कर दिया जाता और 100 दिन के बजाय 200 दिन क्यों नहीं उन्हें काम दिया जाता ?

उन्हें शहरों में लौटाना है तो यहां भी उनकी मजदूरी बढ़ाइए। उन्हें दो महिने तक मुफ्त राशन देने का फैसला अच्छा है लेकिन उन्हें बेरोजगारी भत्ता भी क्यों नहीं दिया जाता ?

अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन में दिया जा रहा है। यह अच्छा है कि अब सरकार उनके लिए सस्ते किराए के मकान शहरों में बनाएगी और उनकी चिकित्सा मुफ्त होगी। उनका वही एक राशन कार्ड अब सारे भारत में चलेगा। जिनके पास राशन-कार्ड नहीं है, उन्हें भी मुफ्त राशन और बेकारी भत्ता दिया जाए तो बेहतर होगा।

प्रवासी मजदूर देर-सबेर लौटेंगे जरुर लेकिन उनके किसान रिश्तेदारों को भी आत्म-निर्भर बनाना बहुत जरुरी है। उन्हें कर्ज देने में सरकार ने उदारता जरुर बरती है लेकिन उनकी फसलों के उचित दाम उन्हें आज भी नहीं मिलते। सरकार चाहे तो खेती को इतना प्रोत्साहित कर सकती है कि वह हमारे विदेशी मुद्रा के भंडारों को लबालब कर दे।

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Dr. Ved Pratap Vaidik

Dr. Ved Pratap Vaidik

डॉ. वेद प्रतापवैदिक अपने मौलिक चिंतन, प्रखर लेखन और विलक्षण वक्तृत्व के लिए विख्यात हैं।अंग्रेजी पत्रकारिता के मुकाबले हिन्दी में बेहतर पत्रकारिता का युगारंभ करनेवालों में डॉ.वैदिक का नाम अग्रणी है।

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