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Child Pornography: चाइल्ड पोर्नोग्राफी: सोता हुआ भारतीय समाज

Child Pornography: खिले हुए फूल को देखना और फूल बनने से पहले की मासूम कली को देखना एक सौंदर्य बोध का प्रतीक होता है। पर पोर्नोग्राफी और विशेषकर चाइल्ड पोर्नोग्राफी को देखना एक तरह की मानसिक बीमारी के लक्षण हैं।

Anshu Sarda Anvi
Published on: 12 Jun 2023 1:53 PM GMT
Child Pornography: चाइल्ड पोर्नोग्राफी: सोता हुआ भारतीय समाज
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चाइल्ड पोर्नोग्राफी :Photo- Social Media

Child Pornography: सोशल मीडिया और डिजिटलीकरण के इस समय में बहुत बार ऐसा होता है कि नेट पर सर्फिंग करते हुए या कुछ अन्य कंटेंट खोजते हुए अचानक सामने आ जाता है कोई पोर्न वीडियो या या चाइल्ड पोर्न वीडियो। आप क्या करते हैं तब? कुछ लोग वापस पीछे हट जाते होंगे, कुछ लोग उत्सुकतावश इसे खोलकर देखते होंगे और फिर बंद कर वापस पीछे आ जाते होंगे, तो कुछ लोग ऐसे भी होते होंगे जो पूरे शौक से उसमें और अधिक सर्च करने लग जाते होंगे। जिन्होंने उसे देखा वे यह भी जानते हैं कि वे गलती कर रहे हैं इसलिए वापस आ जाते हैं। पर उन सुषुप्त इच्छाओं को नियंत्रित करें तो कैसे करें, जो गाहे-बगाहे उछाल मारती रहती हैं। वो हो भी सकता है कि देखने वाला किसी 12-15 साल की लड़की का पिता, दादा या कोई अन्य रिश्तेदार हो। खिले हुए फूल को देखना और फूल बनने से पहले की मासूम कली को देखना एक सौंदर्य बोध का प्रतीक होता है। पर पोर्नोग्राफी और विशेषकर चाइल्ड पोर्नोग्राफी को देखना एक तरह की मानसिक बीमारी के लक्षण हैं।

क्या होती है चाइल्ड पोर्नोग्राफी

आइए सबसे पहले चाइल्ड पोर्नोग्राफी क्या होती है उसे समझते हैं-मीडिया के विभिन्न माध्यमों के प्रयोग द्वारा नाबालिग बच्चों के वीडियोज, एनीमेशन्स, फिल्म्स, मैगजीन के कंटेंट्स जैसे सेक्सुअल विषय वस्तु को सेक्सुअल अरोज़ल के उद्देश्य से परोसना है।

हम आए दिन अखबारों में भी इस तरह की खबरें पढ़ते रहते हैं, जिन्हें हम कितनी गंभीरता से लेते हैं, यह हम सभी जानते हैं। कुछ सिर्फ अखबार के एक कोने का समाचार बन कर रह जाती हैं तो कुछ अगर उसमें शोषित बच्चे ने आत्महत्या जैसा आत्मघाती कदम उठा लिया है तो एक बार हमारे मुंह से आह निकल कर बंद हो जाती और भगवान न करे अगर वह हमारी किसी जान-पहचान के बच्चे का केस हो गया तो हमारे बीच की बातचीत का यह एक हिस्सा बनकर कोने में दुबक जाती है। दरअसल लोग चाइल्ड पोर्नोग्राफी को गंभीरता से नहीं लेते हैं। चाइल्ड पोर्नोग्राफी ही क्यों पोर्नोग्राफी को ही गंभीरता से नहीं लिया जाता है। बल्कि इस तरह के कंटेंट को एक से दूसरे मोबाइल तक फैलाने के कैरियर का काम भी कर लिया जाता है। इस तरह के कंटेंट को देख कर डिलीट करने की सलाह के साथ आगे फॉरवर्ड कर दिए जाते हैं।

चाइल्ड पोर्नोग्राफी- प्रतिदिन एक लाख से भी ज्यादा बार सर्च किया जाता है

अभी हाल ही में वॉल स्ट्रीट जर्नल द्वारा एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई है जिसमें कहा गया है कि इंस्टाग्राम पीडोफाइल यानी इस तरह की सामग्री में रुचि रखने वालों के लिए चाइल्ड पोर्न को बढ़ावा दे रहा है। स्टैनफोर्ड और मैसाचुसेट्स एम्हसर्ट विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं और रिपोर्ट के प्रकाशकों द्वारा संयुक्त रूप से इस मुद्दे की जांच में यह पाया गया कि इंस्टाग्राम न केवल चाइल्ड पोर्न को प्रतिबंधित करने में विफल रहा है बल्कि उसका एल्गोरिद्म ऐसी सामग्री को बढ़ावा भी दे रहा है। रिपोर्ट में साफ- साफ कहा गया है कि यूजर्स इंस्टाग्राम पर कैटेगरी से जुड़े शब्दों और हैशटैग को सर्च कर चाइल्ड पोर्न देख पाते हैं और मैन्यू के द्वारा उन अकाउंट्स तक पहुंच जाते हैं जो उनसे जुड़े कंटेंट को दिखाते हैं। इस तरह की रिपोर्ट पर एलन मॅस्क ने भी ट्विटर पर अपनी चिंता जाहिर की है। क्या आप जानते हैं कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी का सबसे बड़ा बाजार खुद हमारा देश है। इस तरह के कंटेंट और उसके देखने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। रिसर्च तो यह भी बताती है कि देश में चाइल्ड पोर्नोग्राफी को लेकर प्रतिदिन एक लाख से भी ज्यादा बार सर्च किया जाता है, जो कि पूरे एडल्ट कंटेंट का 25% है। ग्लोबल मार्केट में भारतीय कंटेंट सस्ता होने के कारण आसानी से खप जाता है और इसकी भारी मांग रहती है।

चाइल्ड पोर्नोग्राफी के कंटेंट

हमारे देश में इस तरह के चाइल्ड पोर्नोग्राफी के कंटेंट को तैयार करना बड़ा ही आसान होता जा रहा है‌। इन्हें बड़ी आसानी से छोटे-छोटे शहरों के नाबालिगों को अपने झांसे में फंसा कर, मोबाइल से शूट कर लिया जाता है। इन बच्चों को किसी तरह से बहला-फुसलाकर उन से काम लिया जाता है। बड़े शहरों के बड़े स्कूलों के बच्चे भी कम पीछे नहीं हैं। 'कुछ तो नया....' इस प्रैक्टिकल को करने के चक्कर में वे यह गलती कर बैठते हैं, तो कुछ अपने अभिभावकों की उदासीनता, समयाभाव के कारण दूसरों से मिलती सहानुभूति और प्यार के धोखे में इस तरह के झांसे में आ जाते हैं। आज जब उच्च वर्ग और मध्यम वर्ग के 13 साल से ऊपर के अधिकांश बच्चों के पास अपना व्यक्तिगत मोबाइल है तो ऐसे में उनका अच्छा खासा समय सोशल मीडिया पर बीतता है। यहीं से उनके इस अंधी सुरंग में धकेले जाने की शुरुआत हो जाती है। उन्हें जिस भी सोशल मीडिया फ्रेंड से चाहे वह कोई भी हो, किसी भी उम्र का हो अपने प्रति प्यार और केयर दिखाई देता है, वे उसी के साथ अपनी हर बात को शेयर करने लग जाते हैं और अंततः उनके झांसे में आकर उनके साथ अपने प्राइवेट पार्ट्स की फोटोज, वीडियोज और लाइव चैट शेयर कर देते हैं। जब यही कंटेंट एक बार सोशल मीडिया पर वायरल हुआ कि नहीं बच्चे अत्यधिक दबाव और तनाव में आ जाते हैं। इस तरह की कई घटनाओं की परिणीति अत्यंत दुखद रूप में सामने आती है। दरअसल इसकी जड़ में टूटते पारिवारिक संबंध, भावनात्मक रूप से कमजोर होना, सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग, सेक्सुअल रिलेशनशिप्स की अनावश्यक जानकारी और उसके प्रति जागरूकता का अभाव जैसे कारण हैं।

मानसिक बीमारी महिलाओं और पुरुषों दोनों में हो सकती हैं

बच्चे पौर्न रैकेट का बड़ा ही आसान शिकार होते हैं। चाइल्ड पोर्नोग्राफी घरेलू हिंसा, बलात्कार, सेक्सुअल डिस्फंक्शन, सेक्सुअल अब्यूज के रूप में सामने आती है और बड़े होकर सेक्सुअल रिलेशनशिप में बुरा प्रभाव डालती है। चाइल्ड पोर्न देखने वाले लोग जिन्हें पीडोफाइल कहा जाता है, वे पीडोफीलिया नामक की एक मानसिक बीमारी के मरीज होते हैंऔर भारत में सत्तर लाख से भी अधिक लोग इस प्रकार की बीमारी के मरीज हैं। यह मानसिक बीमारी महिलाओं और पुरुषों दोनों में हो सकती हैं लेकिन महिलाओं में इसकी संख्या बहुत कम है। रिपोर्ट बताती है कि देश की वयस्क पुरुष आबादी का 1% हिस्सा पीडोफिलिया से ग्रसित है और बच्चों के प्रति सेक्सुअल फेंटेसी रखता है। आखिर क्यों लोग किशोरावस्था की दहलीज पर पैर रखने वाले बच्चों, जिनका यौवन शुरू हो रहा होता है, को सेक्सुअली देखना पसंद करते हैं। जरूर उनका अपना बीता जीवन किसी भी तरह की यौन कुंठा का शिकार रहा होगा। ऐसे हीबीफीलिया और पोडोफीलिया से ग्रसित व्यक्ति को चाइल्ड पॉर्न देखने में अतीव शांति मिलती है। यह एक तरह का असामान्य व्यवहार है क्योंकि इस तरह का व्यक्ति हिंसक किस्म का होता है, जिसकी अनदेखी करना ठीक नहीं है। अभिभावकों को और विशेषकर मांओं को इस चीज का बहुत ध्यान रखना चाहिए कि उनके बच्चे और विशेषकर बेटियां इस तरह के व्यक्ति, चाहे वह कोई अपना नजदीकी रिश्तेदार ही क्यों न हो , के संपर्क में तो नहीं आ रही हैं। इस तरह से बच्चों का ऑनलाइन शोषण किया जाने लगता है।

बच्चों को एक सुरक्षित माहौल दीजिए

क्या वे बच्चे जो इस तरह के सेक्सुअल अब्यूज के शिकार होते हैं और उनका वीडियो या फोटो वायरल हो जाता है, क्या वे अपनी बची जिंदगी सामान्य हो पाएंगे? क्या उनका साथ यह समाज दे पाएगा? क्या उनकी पर्सनैलिटी, उनकी सेंसटिविटी कभी वापस आ पाएगी? चाइल्ड पोर्न से जुड़े अपराध का बच्चों पर बार-बार बहुत दर्दनाक असर होता है। ऐसे बच्चों को कितना भी हम मनोवैज्ञानिक थैरेपी दें, उनके लिए इससे बाहर निकलना असंभव ही हो जाता है। क्योंकि इस तरह की घटना उनकी निजता, उनके आत्मसम्मान को चोट पहुंचाती है। सबसे बड़ी बात यह है कि पढ़े-लिखे लोग जो अपने बच्चों को एक सुरक्षित माहौल देना चाहते हैं और देते भी हैं, वे भी इस तरह की चाइल्ड पोर्नोग्राफी के न्यूड वीडियोज के दर्शकके होते हैं और उसको फॉरवर्ड करते हैं। कहीं-कहीं तो परिवारजन खुद भी इस तरह के कंटेंट को क्रिएट करने में शामिल होते हैं। उन्हें लगता है कि बच्चों का मुंह ढक कर इस तरह के कंटेंट को शूट किया जाता है और बच्चों को इससे शारीरिक रूप से कोई नुकसान भी नहीं हो रहा होता है तथा अच्छा पैसा भी मिल रहा है होता है तो क्यों न इसे किया जाए।

भारत में चाइल्ड पोर्नोग्राफी और कानून

बच्चों को ऐसी दशा में अपने माता-पिता का पूरा साथ चाहिए होता है, जिससे अपनी हर बात को बिना झिझक उनके साथ शेयर कर सकें। विशेषकर दूसरे शहरों में रहकर पढ़ने वाले बच्चों के लिए तो इस तरह की देखभाल और भी ज्यादा जरूरी होती है। बच्चों को हमेशा इस तरह की घटनाओं और उसके खतरों से सावधान कराने की जरूरत है। आजकल लड़कियां तरह-तरह के वेस्टर्न आउटफिट्स में अपनी फोटो इंस्टाग्राम पर शेयर करती हैं, उन्हें इसके लाइक्स की परवाह करने के साथ-साथ उसके दुष्परिणामों से भी अवगत कराना जरूरी है। एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते अगर कोई चाइल्ड पोर्न वीडियो या कंटेंट हमें दिखता है तो इसकी रिपोर्ट करनी चाहिए जिससे इसे आगे शेयर न कर पाने के लिए ब्लॉक किया जा सके और स्वयं भी इसे फॉरवर्ड नहीं करना चाहिए। वैसे तो इस तरह के कंटेंट का कोई ओरिजिनल सोर्स या एड्रेस भी नहीं मिलता है कि उसे ब्लॉक कर दिया जाए या इंटरनेट से हटा दिया जाए। भारत में चाइल्ड पोर्नोग्राफी को लेकर कड़े कानून भी हैं , जिसकी चर्चा फिर कभी करेंगे। फिलहाल जरूरी है कि अपने बच्चों को चाइल्ड पोर्न के इस खतरनाक नेटवर्क का शिकार होने से बचाया जाए और उनको इसकी जानकारी दी जाए।

Anshu Sarda Anvi

Anshu Sarda Anvi

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