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हौसला और घोंसला मत छोड़िये, सब ठीक हो जायेगा, दूरी बनाकर लड़िये

दुनिया के सभी देशों में वक्त का पहिया ठहर गया है। रफ़्तार रुक गई है। कोरोना से जो वैश्विक संकट आया है। इस संकट से उबरने का जो तरीक़ा है, वह बस यही है-“हौसला और घोंसला मत छोड़िये सब ठीक हो जायेगा। युद्ध थोड़ा अलग है, दूरी बनाकर लड़िये।”

राम केवी
Published on: 31 March 2020 10:07 AM GMT
हौसला और घोंसला मत छोड़िये, सब ठीक हो जायेगा, दूरी बनाकर लड़िये
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योगेश मिश्र

गुजर तो जायेगा ये दौर भी ग़ालिब

ज़रा इत्मीनान तो रख

जब ख़ुशी ही ना ठहरी

तो गम की औक़ात क्या है।

जो लोग कोरोना को लेकर परेशान है, जिन्हें लॉकडाउन साल रहा है यानी तकलीफ दे रहा है, जिनका समय काटे नहीं कट रहा है, उन सबके लिए ग़ालिब कि ये चंद लाइनें क़ाबिले गौर पेश हैं । इक मुद्दत से आरज़ू थी फ़ुरसत की, मिली तो इस शर्त पर कि किसी से ना मिलो। यही नहीं, कल तक जो कहते थे मरने की फ़ुर्सत नहीं है, आज वे फ़ुर्सत में बैठ कर सोचते हैं, जीना कैसे, यही आप सब की दिक़्क़त है, उलझन है। परेशानी है। पर परेशान न हों।

दुनिया के सभी देशों में वक्त का पहिया ठहर गया है। रफ़्तार रुक गई है। कोरोना से जो वैश्विक संकट आया है। इस संकट से उबरने का जो तरीक़ा है, वह बस यही है-“हौसला और घोंसला मत छोड़िये सब ठीक हो जायेगा। युद्ध थोड़ा अलग है, दूरी बनाकर लड़िये।” यह करने में कष्ट है, संकट है। तभी तो मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कष्ट के लिए क्षमा याचना की है।

इस देश में अब तक किसी की मौत नहीं

वियतनाम इस लड़ाई में बड़ा विजेता बन कर उभर रहा है, वहाँ के प्रधानमंत्री शुआन फुक ने कहा है-“ महामारी से जंग, मतलब दुश्मन से जंग।” वियतनाम की 1100 किलोमीटर की सीमा चीन से लगती है। यहाँ 24 जनवरी, 2020 को कोरोना का पहला केस सामने आया। अभी तक 778 लोग संक्रमित हैं,किसी की मौत नहीं हुई है । वजह कोरोनटाइन के सरकारी आदेश का सख़्ती से पालन है। डेनमार्क में मीटिंग में अभी दस से ज़्यादा लोग नहीं आ सकते।ब्रिटेन में घर से बाहर किसी से नहीं मिल सकते। स्वीडन के ज़्यादातर लोग घरों से काम कर रहे हैं। दक्षिण कोरिया ‘पहचान, परीक्षण , इलाज’ के मार्फ़त अपनी 5 करोड़ जनसंख्या को बचाने की दौड़ तेज़ी से जीत रहा है।

चेतावनी को ठेंगा मत दिखाइये

भारत के पास भी इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है। यहाँ भी सोशल डिस्टेसिंग रखना होगा। कोई दिक़्क़त महसूस होते ही आगे बढ़ कर परीक्षण कराना होगा। हमारे वैज्ञानिकों ने परीक्षण के लिए घरेलू किट तैयार करके दिखा दिया है।बहुराष्ट्रीय हेल्थ केयर कंपनी अबोट पाँच मिनट में कोरोना की जाँच करने वाली पोर्टेबल किट अब भारतीय बाज़ार में उतारने वाली हैं। लेकिन फिर भी अभी चेतावनी को ठेंगा मत दिखाइये।

ईरान में लोगों ने नवरोज़ पर हिदायतों को ठेंगा दिखाया, नतीजा सामने है। बीते 6 फ़रवरी तक इटली में मामूली संक्रमण था। एकाएक एक चीनी द्वारा इटली के सिटी ऑफ लव के नाम से मशहूर शहर में एक प्ले कार्ड लेकर यह अपील -“हम चीनी हैं, वायरस नहीं। हमें गले लगाइय,” पर अमल करने के बाद जो हुआ, वह आपके सामने है।

चीन अपवाद क्यों

कोरोना के क़हर से हर तबाह देश चीन के प्रति अपनी नाराज़गी ज़ाहिर कर रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप तो इसे चीनी वायरस कहते हैं। वजह भी साफ़ है कि वुहान से निकलकर कोरोना चीन के दूसरे शहरों शंघाई, बिजींग नहीं पहुँच पाता है । पर इटली, अमेरिका, फ़्रांस, जर्मनी , स्पेन, ईरान, भारत समेत दुनिया के 199 देशों में क़हर बरपा देता है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री और राजकुमार चार्ल्स संक्रमण के शिकार होते हैं। स्पेन की राजकुमारी कोरोना के चलते मर जाती हैं। दुनिया के तमाम नामचीन लोग कोरोना की गिरफ़्त में आये हैं।पर चीन में किसी नामचीन आदमी को कोरोना का संक्रमण छू तक नहीं गया?

आखिर क्यों है चीन संदेह के घेरे में

चीन ने बीते तीन जनवरी को अपनी प्रयोगशालाओं को निर्देश दिया कि कोरोना के प्रारंभिक सैंपल नष्ट कर दिये जायें , इसकी कोई चर्चा न की जाये?कोरोना की जानकारी चीन ने छिपाई क्यों? दुनिया के देशों ने सूचना साझा करने को कहा तो किया क्यूं नहीं? वुहान में कोरोना के संक्रमण के बाद भी चीनी नव वर्ष पर सालाना जश्न आयोजित होने दिया गया? कोरोना वायरस की सच्चाई सामने लाने पर डॉक्टर ली वेनलियांग के खिलाफ अफ़वाह फैलाने और देश द्रोह सरीखे मामले से जुड़े काग़ज़ों पर हस्ताक्षर क्यों कराये गये? दुनिया में चीन के दो दोस्त है- उत्तर कोरिया और रूस। इन दोनों देशों में कोरोना का क़हर छू तक नहीं गया है। ऐसे में चीन का यह दावा कि वह कोरोना पर अपने यहाँ नियंत्रित करने में कामयाब हुआ है,कई और सवाल खड़े कर रहा है।

क्या साजिशन ये सब गलत फैलाया जा रहा है

यही नहीं , कहा जा रहा है कि कोरोना का संक्रमण जानवरों से शुरू हुआ। वहीं से आगे बढ़ रहा है । विश्व स्वास्थ्य संगठन अभी मानता है कि कोरोना के प्राथमिक सोर्स चमगादड़ हैं। वायरस सार्स और मर्स भी चमगादड़ से ही आये थे। लेकिन वे मानव में सिवेट कैट और ऊँटों से होकर पहुँचे थे।चीन के कई रेस्टोरेन्ट में चमगादड़ का सूप परोसा जाता है। इन सूप के कटोरों में एक साबूत चमगादड़ भी मिलता है। कई सूपों में बाघ के अंडकोष और पाम सिवेट के शरीर के अंग भी पाये जाते हैं।

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भुना हुआ कोबरा सांप, भालू के भुने हुए पंजे, बाघ की हड्डियों से बनी शराब, चूहे, बिल्ली, साँप समेत कई दुर्लभ चिड़िया भी यहाँ खाई जाती हैं। चीनी दवाओं में गेंडे की सींग का उपयोग होता है।चीन में पेंगालिन जानवर के कवच की माँग ज़्यादा है। चीन दुनिया में जंगली जानवरों का सबसे बड़ा उपभोक्ता है । यहाँ यह व्यापार वैध और अवैध दोनों ढंग से ख़ूब चलता है । चीन का शहर वुहान साँप , रैकून, शाही के लिए मशहूर है। दुनिया में जानवरों का बाज़ार 20 अरब डॉलर का है। 5500 से ज़्यादा प्रजातियाँ की ख़रीद फरोख्त होती है।

सरकारें नहीं बचा सकतीं

ऐसे किसी वैश्विक संकट से सिर्फ़ सरकारों के मार्फ़त नहीं बचा जा सकता। क्योंकि यह घनी आबादी वाला देश है। यहाँ महज़ एक लाख ही वेंटिलेटर हैं।कुल 26 हज़ार सरकारी अस्पताल हैं। इनमें 21 हज़ार गाँवों में हैं।17 हज़ार मरीज़ों पर एक बेड है। गाँव में यह आँकड़ा 31 हज़ार मरीज़ों पर एक बेड का बैठता है।२६ हज़ार लोगों पर एक एलोपैथिक डॉक्टर है।विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ एक हज़ार मरीज़ों पर एक डॉक्टर होना चाहिए ।देश में केवल 116 सरकारी लैबोरेटरी हैं।

हर जंग जीती है ये भी जीतेंगे

हमने ब्लैक डेथ यानी ब्यूबोनिक प्लेग और चेचक का प्रकोप, हैज़ा, कालरा, स्पेनिश फ़्लू, येलो फीवर, सार्स , मर्स, बर्ड फ़्लू, रिंडरपेस्ट जैसी कई आपदाएँ झेली हैं। भूकंप और प्राकृतिक आपदाएँ तो हर साल परेशान करती रहती है। अतिवृष्टि और अनावृष्टि, बाढ-सूखा की तबाही साल दर साल झेलते हैं।हमने समुद्र विजित किये है। अंतरिक्ष जीता है। पहाड् पर परचम फहराया है। लेकिन हर बार हमें जंग लड़ कर जीतनी पड़ी है। इस बार जीत के लिए ठीक उलट करना है। हाथ पर हाथ रख कर बैठना है। कोई रणनीति नहीं बनानी है। लोग नहीं जुटाने है।

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यदि यह करने में कामयाब हुए तो जल्द ही कई दिशाओं से आयेगी राहत की उम्मीद। खुल जायेंगें उम्मीदों के रौशनदान।सुन सकेंगे- मंदिर की घंटी और अजान।फ़िज़ा होगी ठीक। तिरोहित हो जायेगा भय का ज़हान। हम सब मिलकर बता सकेंगे कि आदमियों की ज़िद्दी जात और हर बार हर समस्या से उबरकर आने वाली जमात ने एक बार फिर रच दिया एक नया इतिहास।

( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

राम केवी

राम केवी

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