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किसान कल्याण पर शर्मिन्दी से बचने को बहिष्कार

किसान हितैषी दिखने के लिए हंगामा व उपद्रव करना आसान है, लेकिन सत्ता में रहते हुए कृषि क्षेत्र में सुधार उतना ही कठिन है। छह वर्ष पहले देश में यूपीए सरकार थी। वह दस वर्षों में कृषि संबन्धी अपनी एक मात्र उपलब्धि आज तक दोहराती रहती है।

Ashiki
Published on: 29 Jan 2021 5:14 PM GMT
किसान कल्याण पर शर्मिन्दी से बचने को बहिष्कार
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किसान कल्याण पर शर्मिन्दी से बचने को बहिष्कार

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

लखनऊ: किसान हितैषी दिखने के लिए हंगामा व उपद्रव करना आसान है, लेकिन सत्ता में रहते हुए कृषि क्षेत्र में सुधार उतना ही कठिन है। छह वर्ष पहले देश में यूपीए सरकार थी। वह दस वर्षों में कृषि संबन्धी अपनी एक मात्र उपलब्धि आज तक दोहराती रहती है। वह यह कि उसने किसानों का पचास हजार करोड़ रुपये का ऋण माफ किया। दूसरी तरफ नरेंद्र मोदी सरकार है। जो दस वर्षों में किसान सम्मान के रूप में किसानों को साढ़े सात लाख करोड़ रुपये प्रदान करेगी। बारह करोड़ किसानों को यह सम्मान निधि मिल भी रही है।

विपक्षी भूमिका में भाजपा यूपीए सरकार पर खूब हमला बोलती थी

संसद में राष्ट्रपति का अभिभाषण संसदीय संवैधानिक व्यवस्था का महत्वपूर्ण अवसर होता है। विपक्षी भूमिका में भाजपा यूपीए सरकार पर खूब हमला बोलती थी। लेकिन संविधान का सम्मान करते हुए उसने कभी देश के संवैधानिक प्रमुख के भाषण का बहिष्कार नहीं किया। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव लाया जाता है। विपक्ष उसमें अपनी बात रखता है।

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लेकिन बात रखने के लिए भी कुछ आधार होना चाहिए। इससे बचने के लिए ही शायद कांग्रेस सहित अनेक पार्टियों ने अभिभाषण का बहिष्कार किया। कांग्रेस व उसके साथियों के सामने समस्या भी है। जो आज अपने को किसानों का मसीहा साबित करने में लगे है,उनके समय में यूरिया की कालाबाजारी होती थी,जो आज अडानी अम्बानी पर हमला बोलकर अपने को महान बता रहे है, उनके समय में यूरिया उद्योगों तक पहुंचा दी जाती थी।

किसानों पर यूरिया के लिए लाठीचार्ज होता था। अनेक महत्वपूर्ण सिंचाई योजनाएं दशकों से लम्बित थी। इन्हें वर्तमान सरकार पूर्ण कर रही है। यूपीए सरकार को स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करनी थी। वह आठ वर्ष तक इसे दबाए रही। वर्तमान सरकार ने इसके आधार पर डेढ़ गुना समर्थन मूल्य दिया। यह अब तक की सबसे बड़ी वृद्धि थी। दलहन की समस्या यूपीए की नीतियों से बढ़ी थी। वर्तमान सरकार ने इसका समाधान किया। भारतीय किसानों को इसका लाभ मिल रहा है।

किसानों के हित में कृषि कानून

कांग्रेस और उसके सहयोगियों को पता था कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में कृषि सुधारों का उल्लेख हो सकता है। इसलिए इन दलों ने पहले ही बहिष्कार कर दिया। निश्चित ही कृषि क्षेत्र में इनकी नाकामी इन्हें सच्चाई का सामना नहीं करने देती। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि तीन नए कृषि कानून बनने से पहले,पुरानी व्यवस्थाओं के तहत जो अधिकार थे तथा जो सुविधाएं थीं,उनमें कहीं कोई कमी नहीं की गई है। बल्कि इन कृषि सुधारों के जरिए सरकार ने किसानों को नई सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ साथ नए अधिकार भी दिए हैं। कृषि को और लाभकारी बनाने के लिए मेरी सरकार आधुनिक कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी विशेष ध्यान दे रही है। इसके लिए एक लाख करोड़ रुपए के एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की शुरुआत की गई है।

छह वर्षो में किसान कल्याण

राष्ट्रपति ने कहा कि विगत वर्षों में बीज से लेकर बाजार तक हर व्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन का प्रयास किया है,जिससे कृषि आधुनिक भी बने और कृषि का विस्तार भी हो। सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करते हुए लागत से डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का फैसला भी किया था। सरकार आज न सिर्फ एमएसपी पर रिकॉर्ड मात्रा में खरीद कर रही है बल्कि खरीद केंद्रों की संख्या को भी बढ़ा रही है।

2013-14 में जहां 42 लाख हेक्टेयर जमीन में ही सिंचाई की सुविधा थी, वहीं आज 56 लाख हेक्टेयर से ज्यादा अतिरिक्त जमीन को सिंचाई प्रणाली से जोड़ा जा चुका है। इसी अवधि में सब्जी और फलों का उत्पादन भी 21.5 करोड़ टन से बढ़कर अब 32 करोड़ टन तक पहुंच गया है। इसके लिए देश के किसानों का अभिनंदन है। देश में खाद्यान्न उपलब्धता रिकॉर्ड स्तर पर है। वर्ष 2008-09 में जहां देश में 23.4 करोड़ टन खाद्यान्न की पैदावार हुई थी वहीं साल 2019-20 में देश की पैदावार बढ़कर 29.6 करोड़ टन तक पहुंच गयी है।

छोटे किसानों पर ध्यान

देश के सभी किसानों में से 80 प्रतिशत से ज्यादा ये छोटे किसान ही हैं और इनकी संख्या 10 करोड़ से ज्यादा है। सरकार की प्राथमिकताओं में ये छोटे और सीमांत किसान भी हैं। ऐसे किसानों के छोटे-छोटे खर्च में सहयोग करने के लिए पीएम किसान सम्मान निधि के जरिए उनके खातों में लगभग एक लाख 13 हजार करोड़ से अधिक रुपए सीधे हस्तांतरित किए जा चुके हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ भी देश के छोटे किसानों को हुआ है।

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इस योजना के तहत पिछले 5 वर्षों में किसानों को 17 हजार करोड़ रुपए प्रीमियम के एवज में लगभग 90 हजार करोड़ रुपए की राशि मुआवजे के तौर पर मिली है। कोविंद ने कहा कि कृषि को और लाभकारी बनाने के लिए सरकार आधुनिक कृषि अवसंरचना पर भी विशेष ध्यान दे रही है। इसके लिए एक लाख करोड़ रुपए के कृषि अवसंरचना कोष की शुरुआत की गई है। सरकार ने डेयरी क्षेत्र में बुनियादी ढांचे की स्थापना और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए 15 हजार करोड़ के पशुपालन अवसंरचना विकास कोष की स्थापना भी की है।

प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत किसानों को 20 लाख सोलर पंप दिए जा रहे हैं। सरकार द्वारा गन्ने के सीरे, मक्का, धान इत्यादि से एथनॉल के उत्पादन को भी बढ़ावा दिया है। पिछले छह वर्षों में सरकार की सकारात्मक नीतियों के कारण एथनॉल का उत्पादन 38 करोड़ लीटर से बढ़कर 190 करोड़ लीटर हुआ है।

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