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G20 Summit 2023: भारतीय कूटनीति का स्वर्णिम अध्याय, शिखर सम्मेलन में दिखी वसुधैव कुटुम्बकम की छाप

G20 Summit 2023: नई दिल्ली जी 20 सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन संकट के कारण नहीं आ सके, अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए उन्होंने रूस के विदेश मंत्री को नामित किया। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग नहीं आये ।

Mrityunjay Dixit
Written By Mrityunjay Dixit
Published on: 13 Sept 2023 10:38 AM IST
G20 Summit 2023
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G20 Summit 2023  (photo: social media ) 

G20 Summit 2023: राजधानी दिल्ली में जी -20 सम्मेलन का आयोजन जिस सफलता के साथ संपन्न हुआ है, उसकी चर्चा पूरे विश्व में हो रही है। वैश्विक मीडिया जगत इसको भारत की बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार व उनके नेतृत्व की जमकर सराहना कर रहा है।

नई दिल्ली जी 20 सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन संकट के कारण नहीं आ सके, अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए उन्होंने रूस के विदेश मंत्री को नामित किया। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग नहीं आये । किंतु उन्होंने अपने प्रधानमंत्री को सम्मेलन मे भाग लेने के लिए भेजा। सम्मेलन प्रारम्भ होने के पूर्व रूस और चीन के राष्ट्रपति के न आने के कारण का एक बड़ा वर्ग निराशा व्यक्त कर रहा था और कह रहा था कि कहीं इस सम्मेलन में भी कुछ विषयों को लेकर आम सहमति न बन पाये किंतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल आशावादी नेतृत्व ने सभी निराशावादियों के कथन और विचार को धूलधूसरित करते हुए अपनी कूटनीति का लोहा मनवा लिया।

सम्मलेन की समाप्ति पर जी 20 और अधिक विस्तार लेकर जी 21 के रूप में सामने आया । इसमें अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल कर लिया गया, अध्यक्ष देश के प्रधानमंत्री के नाते नरेन्द्र मोदी जी ने इसकी घोषणा की। अफ्रीकी संघ के लिए ये भावुक कर देने वाला पल था। अफ्रीकी संघ में अफ्रीकी महाद्वीप के 55 देश सदस्य हैं। इनमें से कई देश बहुत गरीब हैं। अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों का मत है कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चीनी विस्तारवाद की कूटनीति को जवाब देने के लिए यह जोरदार पहल की गयी है। चीन समय -समय पर अपनी विस्तारवाद की नीति के तहत गरीब अफ्रीकी देशों की आतंरिक राजनीति में तांक झांक करता रहता है। अब जी 20 समूह का सदस्य बन जाने के बाद अफ्रीकी संघ का संपूर्ण विश्व के साथ संपर्क जुड़ गया है। भारत के दृष्टिकोण से अफ्रीकी संघ अब हमारे परिवार का एक सदस्य बन गया है।सम्मेलन के प्रथम दिन ही जब मोरक्को से भीषण भूकंप का समाचार आया तब प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने अध्यक्षता करते हुए मोरक्को के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की।

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जी 20 का नयी दिल्ली घोषणापत्र का सर्व सम्मति से स्वीकार किया जाना भारतीय कूटनीति की बड़ी सफलता है। सभी 83 बिन्दुओं पर सहमति वाले इस घोषणापत्र में सभी धर्मो की प्रतिबद्धता को स्वीकार करते हुए आतंकवाद के सभी रूपों की कड़े शब्दों में निंदा की गई है ।इसमें विदेशियों से नफरत, नस्लवाद और असहिष्णुता के अन्य रूपों के आधार पर या धर्म, विश्वास के नाम पर आतंकवाद शामिल है। इन्हें अंतराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक बताया गया है। घोषणापत्र के अनुसार एक समग्र दृष्टिकोण ही आतंकवाद का प्रभावी ढंग से मुकाबला कर सकता है।आतंकवादी समूहों को सुरक्षित पनाहगाह, संचालन की स्वतंत्रता, आवाजाही और भर्ती के साथ साथ वित्तीय, भौतिक या राजनीतिक मदद से वंचित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की प्रभावशीलता बढ़ाने को मजबूत करने सहित छोटे और हल्के हथियारों की तस्करी के विषय में भी चिंता व्यक्त करते हुए इस सम्बंध में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को महत्वपूर्ण बताया गया है। घोषणापत्र में इस बात पर भी सहमति बन गई है कि परमाणु हमला या धमकी अस्वीकार्य है। घोषणापत्र में आतंकवाद शब्द का उल्लेख नौ बार किया गया है।

जी -20 के घोषणापत्र में मानवीय पीड़ा की अनुभुति और विश्व भावना झलक रही है। सर्वजन हिताय के रास्ते पर चलते हुए दुनिया भर के देशों से भुखमरी मिटाने का संकल्प तो लिया ही गया है । साथ ही पोषण सुरक्षा प्राप्त करने की प्रतिबद्धता भी दोहराई गयी है। इस दिशा में प्रयास करते हुए प्रधानमंत्री मोदी पहले ही वर्ष 2023 को श्री अन्न वर्ष घोषित करा चुके हैं । सम्मेलन में वैश्विक समुदाय के लिए ऐसा कोई विषय नही रहा जो छूट गया हो। शिक्षा के सहयोग, कृषि संबंधी व्यापार को सुविधाजनक बनाने स्वास्थ्य प्रणाली में लचीलापन लाने सहित महिलाओं पर जलवायु परिवर्तन के कारण पड़ रहे परिवर्तनों पर भी चिंता व्यव्क्त की गई है और प्रस्ताव पारित हुए हैं। सम्मेलन में आर्थिक विकास के भारतीय एजेंडे पर भी मुहर लग गयी है । जिसके कारण गरीब व विकासशील देशों के आर्थिक विकास का मार्ग भी प्रशस्त हो गया है। शिखर सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय टैक्स प्रणाली विकसित करने पर भी सहमति बन गयी है। “बायो फ्यूल अलाएंस” की घोषणा भी एक बड़ा कदम है।

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चीन को मिला करारा जवाब

शिखर सम्मेलन में चीन की विस्तारवाद रणनीति को करारा जवाब देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दूसरे मित्र राष्ट्रों के साथ मिलकर भारत- मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक कारिडोर स्थापति करने की बड़ी घोषणा की है। यह योजना वैश्विक परिदृष्य को बदलने वाला मानी जा रही है। यह व्यापार का सबसे बड़ा कॉरिडोर होगा। जिसमें रेल लाइनों, सड़कों और बंदरगाहों का नेटवर्क होगा साथ ही स्वच्छ ईंधन के निर्यात की व्यवस्था भी होगी। सुरक्षित संचार व्यवस्था के लिए समुद्री केबलों का नेटवर्क भी तैयार होगा। माना जा रहा है कि आगामी दिनों में यह कारिडोर चीन की विस्तारवाद की रणनीति को ध्वस्त कर देगा।

भारत का बड़ा महत्व

नई दिल्ली में आयोजित जी 20 शिखर सम्मेलन से भारत की स्थिति सुदृढ़ हुई है। और यह भी तय हो गया है कि आगामी समय में विश्व पटल पर भारतीय कूटनीति का बड़ा प्रभाव रहने वाला है। शिखर सम्मेलन की थीम ”वसुधैव कुटुम्बकम” रखी गयी थी और “एक पृथ्वी, एक कुटुंब, एक भविष्य” इसका आदर्श वाक्य बनाया गया था। इसके माध्यम से भारत ने यही संदेश दिया है कि वह विश्व कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। शिखर सम्मेलन में भारत विश्व को अपनी सांस्कृतिक विरासत और विविधता से भी परिचित कराने में सफल रहा है। शिखर सम्मेलन की सफलता यह दर्शा रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत का महत्व लगातार बढ़ रहा है और विश्व भारत की अत्यंत प्राचीन संस्कृति को समझ रहा है। भारत का “वसुधैव कुटुम्बकम” अब “एक पृथ्वी, एक कुटुंब, एक भविष्य” के रूप में संपूर्ण विश्व का विचार बन रहा है। जो भी इन विचारो के अनुरूप व्यवहार नहीं करेगा वो अलग थलग पड़ जायेगा ।

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आयोजन की सफलता से राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत तथा नरेन्द्र मोदी के धुर विरोधी भी भारत की नेतृत्व क्षमता के कायल हो गये हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय विचारों को बढ़ावा देने तथा और राष्ट्रीय हितों को आगे रखने में सफल रहे हैं। यही कारण है कि शिखर सम्मेलन की समाप्ति के सयम भारत ने संयुक्तराष्ट्र महासभा और विश्व बैंक जैसे अंतरराष्टीय मंचों के सुधार पर बल दिया है।

जी 20 ने सिद्ध कर दिया है कि विश्व राजनीति अब भारत के महत्व को नकार नहीं सकती है। भारत ने अपनी मेधा, कौशल, परिश्रम, सर्व समावेशी मानवतावादी विचारधारा और कूटनीति से यह स्थान बनाया है।

( लेखक स्तंभकार हैं।)

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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