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INDIA Alliance: क्या इंडिया गठबंधन जनता पार्टी के परिणाम दोहराएगा!

INDIA Alliance: पिछले दोनों आम चुनाव में एनडीए गठबंधन ने विपक्षी दलों के आधार वोट बैंक में सेंधमारी कर केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई।

Manendra Mishra Mashal
Published on: 2 Sep 2023 7:25 AM GMT
INDIA Alliance: क्या इंडिया गठबंधन जनता पार्टी के परिणाम दोहराएगा!
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INDIA Alliance Mumbai Meeting (photo: social media )

INDIA Alliance: लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी एकता के इंडिया महागठबंधन की मुंबई में तीसरी बैठक सम्पन्न हुई। ऐसे में यह सवाल उभरकर सामने आ रहा है कि क्या पचास साल पूर्व केंद्र की सत्ता के खिलाफ जनता पार्टी जैसी एकता इंडिया के रूप में दिखेगी! यह सवाल इसलिए प्रासंगिक हो गया है क्योंकि विपक्षी दलों ने अनेक असहमतियों के बाद भी मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी एकता को धरातल पर ला दिया। पिछले दोनों आम चुनाव में एनडीए गठबंधन ने विपक्षी दलों के आधार वोट बैंक में सेंधमारी कर केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई।वहीं राष्ट्रीय राजनीति में भी कांग्रेस के सिकुड़ने और क्षेत्रीय दलों के व्यापक विस्तार न होने से पूरे देश में विपक्षी दलों को सत्ता में वापसी के लिए एकजुट होना पड़ा।

हिन्दी पट्टी में भाजपा की मजबूती का बड़ा कारण धार्मिक मुद्दों पर उसकी परंपरागत राजनीति है। जिसकी पृष्ठभूमि में आरएसएस एक महत्वपूर्ण कारक है। उत्तर भारत में अस्मितावादी राजनीति कर रही अनेक पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों की राजनीति करने वाले राजनैतिक दलों के साथ गठबंधन कर भाजपा सत्ता में बने रहने का रास्ता मजबूत करती रहती है। जिससे विपक्षी दलों के विचार और अभियान आम जनता में प्रभावी तरीके से नहीं फैल पा रहे हैं। जातीय आधार को सहेजते हुए अपने समाज के नायकों का नाम जोड़कर अस्तित्व में आ रहे अनेक स्थानीय दल स्थापित दलों के आधार को प्रभावित कर रहे हैं। इस रणनीति की तोड़ के संदर्भ में इंडिया गठबंधन की संकल्पना को समझा जा सकता है।

सरकारी सुविधाएं ऊंट के मुह में जीरा

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में अनेक घटनाओं से सामाजिक संतुलन बिगड़ता दिखा। कोविड की दूसरी लहर से मध्य वर्ग एवं समाज के कमजोर वर्ग की समस्याओं ने विकराल रूप लिया। जिसमें महंगाई और बेरोजगारी भी बड़े कारक रहे। नौकरियों में छटनीं, माइग्रेशन और कोविड के बाद उपजी बीमारियों का महंगा ईलाज से भारत में एक ऐसा नया वर्ग उभरा है जो अचानक से गरीबी के दायरे में आ गया है। हालांकि इनके लिए केंद्र सरकार ने कई लाभकारी योजनाओं के माध्यम से उन्हें राहत देने का प्रयास किया, लेकिन वह सुविधा ऊंट के मुहँ में जीरा वाली कहावत को ही चरितार्थ कर रही है। विपक्षी दल इन लक्षित समूहों की बदहाली के लिए केंद्र सरकार की दोषपूर्ण नीतियों को जिम्मेदार बता रही है। इस आक्रोशित मतदाता समूह को जहां विपक्षी दल अपने पाले में करने के लिए जुगत भिड़ा रहे हैं वहीं सत्ताधारी दल इन्हे लाभार्थी वर्ग के रूप में अपना बता रहें हैं।

सीएए से लेकर कृषि कानून का असर

इंडिया गठबंधन की एकता में अल्पसंख्यक समाज से जुड़े मुद्दों पर एक समान राय की भी भूमिका है। जिसमें नागरिकता संशोधन कानून एक प्रमुख बिन्दु है।एनआरसी/सीएए को लेकर हुए आंदोलन को कई प्रकार से विपक्षी दलों का समर्थन मिला।उस दौरान शाहीन बाग के आंदोलन की गूंज राष्ट्रीय स्तर तक फैली। इसी प्रकार तीन कृषि कानून की समाप्ति के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ बड़ा किसान आंदोलन हुआ। जिसका परिणाम किसान कानून स्थगन के रूप में आया। दिल्ली के समीपवर्ती राज्यों में विशेषकर जाट समुदाय की एकजुटता ने केंद्र सरकार को दबाव में ला दिया। किसान आंदोलन को लेकर भाजपा के प्रति एक नकारात्मक माहौल बना इसके बाद भी विपक्षी दलों को अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाया।

नागरिकता संशोधन विधेयक में बदलाव और किसान आंदोलन को जिस प्रकार सिविल सोसाइटी सहित अकादमिक जगत के बुद्धिजीवियों,पत्रकारों, समाजकर्मी एवं संस्कृतिकर्मियों का समर्थन मिला वह पचास वर्ष पूर्व के छात्र आंदोलन की भांति ही है। सत्तर के दशक में गुजरात में मेस की बढ़ी हुई फीस को लेकर शुरू हुए छात्र आंदोलन का फैलाव बिहार, यूपी सहित पूरे देश में हुआ। बिहार की राजधानी पटना के कदम कुआं के हास्पिटल में ईलाज करा रहे लोकनायक जय प्रकाश नारायण द्वारा आन्दोलनरत छात्रों को मार्गदर्शन एवं संरक्षण देने से छात्रों का संघर्ष राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी हो गया। जिससे कारण तत्कालीन इंदिरा सरकार के विरुद्ध एक व्यापक जनमत तैयार हुया। शुरू में विभिन्न दलों की एकता जनता परिवार के रूप में संगठित हुई। जो बाद में जनता पार्टी के रूप में आकार लेने लगी। 1974 में केंद्र सरकार के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन 77 में जनता पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार के रूप में देखने को मिला था। उसी प्रकार की परिस्थितियाँ आज दिखती प्रतीत हो रहीं हैं। जिसमें इंडिया गठबंधन केन्द्रीय भूमिका में हैं।

भाजपा सरकार को हटाने के लिए पूरे देश में विपक्षी एकता

दो महीने पूर्व बिहार के पटना में विपक्षी राजनैतिक दलों की बैठक हुई। जिसमें कई मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री सहित विभिन्न दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इस बैठक में देश के अनेक राज्यों का प्रतिनिधित्व रहा जिसमें केंद्र से भाजपा सरकार को हटाने के लिए पूरे देश में विपक्षी एकता पर आम सहमति बनी।जिसका असर कर्नाटक विधानसभा चुनाव में विपक्षी दलों के समर्थन से कॉंग्रेस की जीत के रूप में दिखा। हाल ही में संपन्न हुए संसद सत्र में राहुल गांधी की सदस्यता बहाली से भी गठबंधन दलों में उत्साह बढ़ा।उनके सदन में भाषण से विपक्षी दल और इंडिया चर्चा के केंद्र में आ गए।

विपक्षी दलों की दूसरी बैठक कर्नाटक के बेंगलुरू में हुई, जिसमें विपक्षी एकता के लिए इंडिया नाम प्रस्तावित हुआ। जिसका पूरा नाम भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिव इन्क्लूसिव अलायंस) है। वस्तुतः इंडिया के माध्यम से विपक्षी दलों ने बीजेपी के राष्ट्रवाद का विकल्प दिया है। जिसमें मूल रूप से समाज का उपेक्षित और कमजोर समाज है, जिसे संवैधानिक संरक्षण भी प्राप्त है।उत्तर प्रदेश में इसी वर्ग को खुले तौर पर इंडिया गठबंधन के सदस्य समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पीडीए (पिछड़ा,दलित, अल्पसंख्यक) से संबोधित कर रहे हैं।

इंडिया गठबंधन बनने के बाद इसकी अगली बैठक मुंबई में हुई जिसमें 28 राजनैतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इस बैठक में चौदह सदस्यीय समन्वय समिति बनी जिसमें जुड़ेगा भारत, जीतेगा इंडिया गठबंधन का नारा बना। साथ ही लोकसभा चुनाव एक साथ लड़ने का संकल्प लिया गया। इसी प्रकार के एजेंडा और सहमति पत्र की घोषणा जनता पार्टी के समय हुई थी।

विशेष सत्र पर कई चर्चाएं

इंडिया गठबन्धन की बैठक के ठीक पहले घरेलू सिलेंडर के दामों में कमी के साथ संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने का फैसला केंद्र सरकार पर चुनावी दबाव के रूप में भी देखा जा सकता है।लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहा है विपक्षी दल केंद्र सरकार के फैसलों को तानाशाही बताते हुए अघोषित आपातकाल लागू होने की बात कह रहे हैं। जबकि भाजपा अपने सहयोगी दलों को जोड़े रखने में पूरी ऊर्जा लगा रही है। ऐसे में इंडिया और जनता पार्टी की परिस्थितियों के आधार पर चुनावी परिणाम में एकरूपता रहेगी या जनता पार्टी के विजय की तरह इंडिया उसे दोहराएगा यह गठबंधन में सीटों के बंटवारे सहित प्रधानमंत्री पद एवं अन्य मुद्दों पर सहमति के बाद स्पष्ट होता जाएगा। फिलहाल विपक्षी दलों का ऐसा गठबंधन लंबे समय बाद दिख रहा है,जिसके परिणाम पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।

(लेखक: पूर्व अतिथि प्रवक्ता: एंथ्रोपोलॉजी डिपार्टमेंट, इलाहाबाद विश्वविद्यालय)

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