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चीन की फितरत है पाक परस्त, भारतीयों को पसंद हैं चाइनीज माल

अब जबकि चीन ने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव को वीटो कर ही दिया है तब भारत की जनता क्या चीनी उत्पादों को बहिष्कार करेगी।

Shivakant Shukla
Published on: 14 March 2019 1:26 PM GMT
चीन की फितरत है पाक परस्त, भारतीयों को पसंद हैं चाइनीज माल
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रामकृष्ण वाजपेयी

चीन ने अपनी फितरत के मुताबिक एक बार फिर पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद सरगना मौलाना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करवाने की भारत की कोशिशों को नाकाम कर दिया है।

फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा मसूद के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में लाए गए प्रस्ताव के खिलाफ बुधवार को चीन ने आखिरकार वीटो लगा ही दिया। पिछले दस साल में यह चौथा मौका था, जब चीन ने अपने स्वार्थों के चलते मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित होने से बचाया है। चीन के इस कदम पर अमेरिका ने जहां आतंकवाद के खिलाफ दूसरे तरीकों के इस्तेमाल की चेतावनी दी है। वहीं केंद्र सरकार की ओर से इस पर अभी तक कोई स्पष्ट और कड़ा विरोध अभी तक दर्ज नहीं कराया गया है।

जबकि पाकिस्तान के साथ जैसे चीन के आर्थिक हित जुड़े हैं वैसे ही भारत के साथ भी हैं लेकिन चीन को इस बात का खौफ नहीं है कि भारत उसके उत्पादों को प्रतिबंधित कर सकता है। इसकी वजह साफ है वह जानता है कि भारत में जनता उसका माल हाथों हाथ लेगी ही क्योंकि कम बजट में बेहतरीन चीज जो वह दे रहा है। ऐसे में सरकार कुछ भी करे अगर जनता निर्णय ले ले कि चाइनीज माल नहीं इस्तेमाल करेंगे तो क्रांति हो सकती है। लेकिन खतरा है कि शायद ही किसी के हाथ में मोबाइल बचे। क्योंकि सस्ते मोबाइल से लेकर आईफोन तक कोई न कोई ऐसा पुर्जा होता है जो चीन में बनता है।

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देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने चीन के वीटो के बाद आज सुबह ट्विट करके मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करने का प्रयास किया है। राहुल ने आरोप लगाया है कि कमजोर मोदी चीन से भयभीत हैं। भारत के खिलाफ चीन के इस कदम पर मोदी के मुंह से एक भी शब्द नहीं निकला। उन्होंने मोदी की चीन को लेकर कूटनीति पर सवाल उठाते हुए ट्विट किया है ''कमजोर मोदी शी चिनफिंग से डरे हुए हैं। जब चीन भारत के खिलाफ कदम उठाता है तो उनके मुंह से एक शब्द नहीं निकलता है।

'' राहुल गांधी ने दावा किया, ''मोदी की चीन कूटनीति : गुजरात में शी के साथ झूला झूलना, दिल्ली में गले लगाना, चीन में घुटने टेक देना रही है।''

गौरतलब यह है कि चीन के अड़ंगा लगाने के बाद इस पूरे घटनाक्रम पर विदेश मंत्रालय ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि हम निराश हैं, लेकिन हम विकल्पों पर काम करते रहेंगे। मंत्रालय ने प्रस्ताव लाने वाले सदस्य राष्ट्रों व साथ देने वाले राष्ट्रों का भी आभार जताया है। लेकिन इस पूरे बयान में चीन का कहीं नाम से लेने से बचा गय़ा है। केंद्र सरकार के प्रतिनिधि भी चीन का नाम लिए बिना बयानबाजी कर रहे हैं। शायद उन्हें जनता की फितरत पता है। सरकार प्रतिबंध लगा भी दे लोग चोरी छिपे चीनी उत्पाद का इस्तेमाल करने से बाज नहीं आएंगे।

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति के तहत प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका 27 फरवरी को लाए थे। सदस्य देशों को इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताने के लिए 10 दिन की समयसीमा दी गई थी। यह अवधि आईएसटी समयानुसार बृहस्पतिवार सुबह 12.30 बजे खत्म हो रही थी लेकिन इसके खत्म होने से ठीक पहले चीन ने प्रस्ताव को वीटो कर दिया। मसूद अजहर एक बार फिर बच गया। वैश्विक आतंकवादी खतरा देश के लिए सेना के लिए है या जनता के लिए है। बेगुनाह लोग जो मरते हैं क्या वह नागरिक नहीं हैं। लेकिन फिर भी धन्य है इस देश की जनता जिसे चीनी उत्पादों से उतना ही प्यार है जितनी आतंकवाद भ्रष्टाचार से नफरत।

चीन हमेशा से भारत के खिलाफ रहा है। वह भारत को चिढ़ाता रहा है। देश का अपमान करने में वह कोई कोर कसर नहीं छोड़ता। आतंकवाद के मुद्दे पर सबूत मांगने सभी को स्वीकार्य समाधान निकालने का राग वो हमेशा आलापता रहा है। लेकिन जनता के लिए आकर्षक सस्ते उत्पाद देने में भी पीछे नहीं रहा यही वजह है कि इस देश की जनता को चीनी उत्पादों से प्यार है।

आतंकवाद की समस्या से जूझ रहा भारत जब जब आतंकवाद के मुद्दे पर अपनी लड़ाई आगे ले जाना चाहता है चीन सूई चुभोकर उसकी हवा निकाल देता है और भारत से कमाई कर अपना खजाना भी भरता रहता है। भारत ने सबसे पहले 2009 में मसूद अजहर के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया था। चीन के असहयोग से गिर गया। इसके बाद उसने 2016 फिर प्रस्ताव रखा। चीन ने पहले मार्च 2016 ओर फिर अक्तूबर 2016 में भारत की कोशिशों को नाकाम कर दिया। 2017 में अमेरिका ने ब्रिटेन और फ्रांस की मदद से प्रस्ताव रखा लेकिन इस में चीन ने वीटो लगा दिया। अब एक बार फिर चीन का असली चेहरा सामने आ गया है। लेकिन इन वर्षों में भारतीय जनता ने चीन के उत्पादों को जिस तरह से गले लगाया उसने चीन के कारोबार को कई गुना बढ़ाकर देशी उद्योग धंधों को ताला लगवा दिया।

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चीन और पाकिस्तान की दोस्ती तो अलग बात है मुख्य बात यह है कि चीन को भारत की अमेरिका और जापान से दोस्ती सख्त नापसंद है। वह अमेरिका को इधर घुसने नहीं देना चाहता है। इसकी एक वजह दलाईलामा को भारत में शरण मिलना भी है। इसीलिए पाकिस्तान की पीठ पर हाथ रखकर वह भारत के लिए मुसीबत खड़ी किये रहना चाहता है। लेकिन दूसरी ओर भारत की जनता के लिए छोटे बड़े तमाम ऐसे उत्पाद पेश करता जा रहा है कि चाह कर भी वह उससे मुंह न मोड़ पाए। ललचाए और खरीद लाए।

कहा यह भी जा रहा है कि चीन को डर है कि मसूद अजहर कहीं चीन-पाक इकनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) को टारगेट न कर दे। इसी वजह से वह पाकिस्तान का साथ देने को मजबूर है। इसीलिए भारत के प्रस्ताव पर वीटो करवाकर चीन ये कोशिश कर रहा है कि पाकिस्तान से उसे सीपीईसी की सुरक्षा की गारंटी मिल जाए। इस प्रोजेक्ट पर चीन के करीब 10,000 कर्मचारी काम कर रहे हैं। लेकिन भारत के साथ कारोबार के प्रभावित होने की चीन को कोई चिंता नहीं है क्योंकि उसे पता है कि इस देश की जनता को चीन के उत्पादों का इंतजार रहता है।

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अब जबकि चीन ने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव को वीटो कर ही दिया है तब भारत की जनता क्या चीनी उत्पादों को बहिष्कार करेगी। यह सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न है। सरकारी स्तर भी चीनी प्रोडक्ट पर प्रतिबंध की मुहिम फिर से शुरू होती है तो यह जनता में सकारात्मक संदेश देगी। इसी माह होली का पर्व है। होली पर भारतीय बाजार चीनी प्रोडक्ट से भर जाते हैं अब यदि जनता इन प्रोडक्ट का बहिष्कार कर देती है और देसी पिचकारी और रंग को तरजीह देती है तो चीन को सबक सिखाया जा सकता है। लेकिन जनता को एक बार फिर किसी गांधी का इंतजार रहेगा जो चीनी उत्पादों की होली जलवा कर विदेशी चीनी उत्पादों का बहिष्कार करवाए।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, यह उनके निजी विचार हैं।

Shivakant Shukla

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