×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

प्रशांत भूषण को दंड देना जरुरी है ?

उन्होंने प्रशांत भूषण को दोष तो दे ही दिया है, क्या उन्हें दंड देना भी जरुरी है ? प्रशांत भूषण ने स्पष्ट कहा है कि वह अदालत की अवमानना कतई नहीं करना चाहते।

Newstrack
Published on: 18 Aug 2020 8:44 AM IST
प्रशांत भूषण को दंड देना जरुरी है ?
X

बहुचर्चित वकील प्रशांत भूषण को सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी मानहानि करने का दोषी करार दिया है और शीघ्र ही उन्हें सजा भी दी जाएगी। उनका दोष यह बताया गया है कि उन्होंने कुछ जजों को भ्रष्ट कहा है और वर्तमान सर्वोच्च न्यायाधीश पर भी आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी थी। यह बात तो बिल्कुल ठीक है कि किसी भी नेता या न्यायाधीश पर भ्रष्टाचार का आरोप यों ही नहीं लगा दिया जाना चाहिए और उनके बारे में बेलगाम भाषा का भी इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। लेकिन यह भी सत्य है कि कोई दूध का धुला है या नहीं, इस तथ्य पर संदेह की उंगली हमेशा उठी रहनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं होगा तो भारत की सरकार, प्रशासन और अदालतों का स्वच्छ रहना असंभव होगा।

न्यायाधीशों पर भी चलाना पड़ा महाभियोग

नेता, अफसर और जज भी आम आदमियों की तरह इंसान ही तो हैं। ये कोई आसमान से उतरे हुए फरिश्ते तो नहीं हैं। यह भी सच है कि फिसलता तो वही है, जो सीढ़ी पर चढ़ा होता है। सत्ता के सिंहासन पर बैठे हुए इन लोगों पर प्रशांत भूषण जैसे लोग ही अंकुश लगाते रहते हैं। डॉ लोहिया और मधु लिमये जैसे सांसद और डॉ अरुण शौरी जैसे पत्रकार ही इनकी बखिया उधेड़ते रहे हैं। राजनीति के बारे में तो सभी लोग मानने लगे हैं कि वह भ्रष्टाचार के बिना चल ही नहीं सकती।

ये भी पढ़ें- बनारस होगा मंडुआडीह रेलवे स्टेशन का नाम, गृह मंत्रालय ने दी मंजूरी

Judge Judge

लेकिन हमारे न्यायाधीशों के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता। ज्यादातर न्यायाधीश निष्पक्ष, निडर और निस्वार्थ होते हैं। लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं, जिन पर संसद को महाभियोग चलाना पड़ता है और उच्च न्यायालय के दो जज ऐसे भी थे, जिन्हें संसद ने दोषी पाया और उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया। कुछ समय पहले सर्वोच्च न्यायालय के चार जजों ने पत्रकार परिषद करके अपना असंतोष जाहिर किया था।

न्यायपालिका में होता है भ्रष्टाचार

Court Court

ये भी पढ़ें- पीएम केयर का पैसा PMNRF में ट्रांसफर करने की याचिका SC का फैसला आज

1966 में एक संसदीय कमेटी ने माना था कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार होता है। दो सर्वोच्च न्यायाधीशों ने भी ऐसा ही कहा था। भ्रष्टाचार का अर्थ सिर्फ रिश्वतखोरी ही नहीं है। सेवा-निवृत्त होते ही जजों का राज्यपाल या राज्यसभा सदस्य या राजदूत बन जाना किसी प्रवृत्ति का सूचक है ? वरिष्ठों की उपेक्षा और कनिष्ठों की पदोन्नति किस बात की ओर संकेत करती है ? ठकुरसुहाती करने में कई न्यायाधीश क्या-क्या फैसले नहीं दे देते हैं ?

Prashant Bhushan Prashant Bhushan

ये भी पढ़ें- Hartalika Teej 2020: इस व्रत से बढ़ता है सौभाग्य, जानें विधि, महत्व व शुभ मुहूर्त

हमने आपात्काल में यह सब होते हुए देखा था या नहीं ? इसीलिए प्रशांतभूषण के आरोपों से नाराज होने की बजाय जजों को न्यायपालिका के काम-काज को सुधारने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने प्रशांत भूषण को दोष तो दे ही दिया है, क्या उन्हें दंड देना भी जरुरी है ? प्रशांत भूषण ने स्पष्ट कहा है कि वह अदालत की अवमानना कतई नहीं करना चाहते।



\
Newstrack

Newstrack

Next Story