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कश्मीर में नई पहल का मौका

मैं तो समझता हूं कि कश्मीरी लोगों को अपना क्रोध या गुस्सा प्रकट करने की इजाजत वैसे ही मिलनी चाहिए, जैसी कि चीन ने हांगकांग के लोगों को दे रखी है। अहिंसक प्रदर्शन करने का पवित्र अधिकार सबको है।

Manali Rastogi
Published on: 14 May 2023 3:43 PM GMT
कश्मीर में नई पहल का मौका
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कश्मीर में नई पहल का मौका

डॉ. वेदप्रताप वैदिक डॉ. वेदप्रताप वैदिक

आज कश्मीर में प्रतिबंध लगे पूरा डेढ़ महीना हो गया है। सरकार कहती है कि कश्मीर के हालात ठीक-ठाक हैं। कोई पत्थरबाजी नहीं है। कोई लाठी या गोलीबार नहीं है। न लोग मर रहे हैं और न घायल हो रहे हैं। मरीज़ों के इलाज के लिए अस्पताल खुले हुए हैं। हजारों आपरेशन हुए हैं। लोगों को राशन वगैरह ठीक से मिलता रहे, उसके लिए दुकानें खुली रहती हैं लेकिन मैंने अपने कश्मीरी दोस्तों और नेताओं से लेंडलाइन टेलिफोन पर बात की है।

कुछ जेल से छूटे हुए कार्यकर्ता भी दिल्ली और गुड़गांव आकर मुझसे मिले हैं। वे जो कह रहे हैं, वह बिल्कुल उल्टा है। उनका कहना है कि लोग बेहद तकलीफ में हैं। सड़कों पर कर्फ्यू लगा हुआ है। स्कूल-कालेज बंद हैं। सैलानियों ने कश्मीर आना लगभग बंद कर दिया है। गरीब लोगों के पास रोजमर्रा की चीजें खरीदने के लिए पैसा नहीं है। कोई किसी से बात नहीं कर पा रहा है।

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इंटरनेट और मोबाइल फोन बंद हैं। ज्यादातर घरों में लेंडलाइन अब है ही नहीं। अखबार और टीवी चैनल भी पाबंदियों के शिकार हैं। शुक्रवार को कई मस्जिदों में नमाज़ भी नहीं पढ़ने दी जाती है, क्योंकि सरकार को डर है कि कहीं भीड़ भड़ककर हिंसा पर उतारु न हो जाए।

श्रीनगर हवाई अड्डे से ही वापस कर दिया

दिल्ली से जानेवाले कई नेताओं को श्रीनगर हवाई अड्डे से ही वापस कर दिया जाता है। सर्वोच्च न्यायालय ने कई याचिकाओं के जवाब में कहा है कि सरकार वहां जल्दी से जल्दी हालात ठीक करने के लिए कदम उठाए। लगभग सभी अखबारों और टीवी चैनलों पर मांग की जा रही है कि कश्मीरियों को अभिव्यक्ति की आजादी शीघ्रातिशीघ्र दी जाए। मुझे लगता है कि इस मांग पर अमल होना शायद अगले हफ्ते से शुरु हो जाएगा।

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संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक बार भारत-पाक वाग्युद्ध हो ले, उसके बाद भारत सरकार जरुर कुछ नरम पड़ेगी। पाकिस्तान की फौज और सरकार को इस बात पर खुश होना चाहिए कि कश्मीरियों पर से प्रतिबंध उठाने की मांग वे जितने जोरों से कर रहे हैं, उससे ज्यादा जोरों से भारत में हो रही है।

मोदी सरकार ने इतने कड़े प्रतिबंध क्यों लगाए?

फिर भी यह प्रश्न उठता है कि मोदी सरकार ने इतने कड़े प्रतिबंध क्यों लगाए हैं ? क्योंकि वह कश्मीर में खून की नदियां बहते हुए नहीं देखना चाहती। कश्मीरी लोगों को सोचना चाहिए कि उनकी जुबान ज्यादा कीमती है या उनकी जान ? यही सवाल सबसे बड़ा है।

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मैं तो समझता हूं कि कश्मीरी लोगों को अपना क्रोध या गुस्सा प्रकट करने की इजाजत वैसे ही मिलनी चाहिए, जैसी कि चीन ने हांगकांग के लोगों को दे रखी है। अहिंसक प्रदर्शन करने का पवित्र अधिकार सबको है। अब सही मौका है, जबकि जेल में बंद कश्मीरी नेताओं से सरकार मध्यस्थों के जरिए बात करना शुरु करे।

Manali Rastogi

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