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पप्पू कब समझेगा ?

कांग्रेस की लोकसभा चुनाव में हुयी दुर्दशा के बाद भी बीस महीनों में राहुल ने न कोई खेद व्यक्त किया, न रिटायर हुये। केवल जोंक की भांति चिपके हैं। अब कांग्रेस हितैषी लोग क्या करें? कैसे मुक्ति पायें?

Ashiki
Published on: 1 March 2021 1:40 PM GMT
पप्पू कब समझेगा ?
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पप्पू कब समझेगा ?

K-Viram-rao के. विक्रम राव

कांग्रेस में शुद्धिकरण की शुरुआत गुलाम नबी आजाद और इनके वरिष्ठ पार्टी साथियों ने कल (28 फरवरी 2021) जम्मू की एक सभा से कर दी। सभी नेता भगुवा पगड़ी पहने थे। सांकेतिक था। उनका दावा था कि सवा सौ साल पुरानी पार्टी कमजोर हो गयी है। इशारा राहुल गांधी की ओर था। उनकी बहन और मां की ओर भी उंगली उठी थी। कांग्रेस की लोकसभा चुनाव में हुयी दुर्दशा के बाद भी बीस महीनों में राहुल ने न कोई खेद व्यक्त किया, न रिटायर हुये। केवल जोंक की भांति चिपके हैं। अब कांग्रेस हितैषी लोग क्या करें? कैसे मुक्ति पायें? पार्टी की अकूत चल-अचल सं​पत्ति ही इसका खास कारण होगी। कुंडली मारे बैठे फनधारियों को कौन भगायेगा ?

वाह रे राहुल गांधी!

पर वाह रे राहुल गांधी! शिकस्त खाकर भी उनकी उक्तियां अभी भी लाजवाब ही है। प्रधानमंत्री पर वे बोले (4 जनवरी 2021) कि ''राष्ट्र में न नेतृत्व है। न रणनीति और न कार्यकुशलता। नरेन्द्र मोदी ने भारत को केवल भूख, बेरोजगारी तथा आत्महत्या ही दिया।'' उनकी तय राय है कि गत लोकसभा चुनाव नरेन्द्र मोदी ने झूठ के बल पर जीता था। यह बात वायनाड में अपनी विजय रैली पर कहा था। हालांकि तब अमेठी में उनके पुरखों की सीट पर राहुल को एक भाजपा महिला कार्यकत्री ने खदेड़ दिया था।

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लोकसभा चुनाव में पार्टी की सदन में मान्य-विपक्ष हेतु 50 सीटें तक न मिलने पर मंत्री के समकक्ष नेता विपक्ष भी राहुल नहीं बन पाये। दर्द रह गया दिल में। तब पूर्व हॉकी खिलाड़ी और केन्द्रीय कांग्रेस मंत्री रहे भोपाल के असलम शेरखान ने कांग्रेस अध्यक्ष का काम संभालने (8 जून 2019) की पेशकश की थी। राहुल ने सुना ही नहीं।

सहयोगी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी को भी ले डूबे

अपनी पार्टी ही नहीं, राहुल गांधी तो ने सहयोगी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी को भी ले डूबे। वायनाड (केरल) में लोकसभा सीट माकपा से छीनकर राहुल ने माकपा महासचिव येचूरी सीताराम को कांग्रेस के प्रति नरमी दिखाने के इल्जाम में कमजोर कर दिया है। माकपा के मलयालम दैनिक ''देशाभिमानी'' ने अमेठी के साथ वायनाड सीट पर उनके चुनाव लड़ने पर शीर्षक (2 अप्रैल, 2019 के अंक) छापा था : ''पप्पू स्ट्राइक।'' बात न्यायपालिका की याद आती है जब राहुल ने प्रधानमंत्री को ''चौकीदार चोर है'' कहा था।

राफेल पर आरोप

राफेल जहाज में कमीशनखोरी का आरोप लगाया था। उच्चतम न्यायालय की झिड़की पर खुली अदालत में क्षमा याचना उन्होंने की। तब बचे। नादानी और बेशर्मी की हद कर दी जब राहुल ने घोषणा की ​थी कि 23 मई 2019 को भाजपा हारेगी और वे प्रधानमंत्री बनेंगे। मगर राजग ने 334 सीटें हासिल कर लीं। कांग्रेस पचास से कम। देश के राजनीतिक इतिहास में राहुल गांधी अकेले राजनेता है जो पटना, दिल्ली और अन्य अदालतों से जमानत/मुचलके पर छूटे हैं।

इस प्रतीक्षारत प्रधानमंत्री की अज्ञानता का नमूना गत माह (24 फरवरी 2021) को मिला। अरब सागर में मछुआरों के साथ बोटिंग के बाद राहुल गांधी ने बयान दिया कि : ''प्रधानमंत्री बनने पर वे मत्स्य ​पालन मंत्रालय की स्थापना करेंगे।'' (दि हिन्दू, 25 फरवरी 2021)। तब केन्द्रीय मंत्री राजकुमार सिंह ने इस कांग्रेसी सांसद को सूचित किया कि मोदी सरकार में मत्स्य विभाग है जिसके मंत्री बिहार के गिरिराज सिंह हैं। अर्थात इस कई बार बने सांसद को यही नहीं पता कि केन्द्र सरकार में कौन—कौन से विभाग​ हैं।

राहुल गांधी एकमात्र राजनेता...

एक और कीर्तिमान भी। राहुल गांधी एकमात्र राजनेता है जिनसे उनकी भारतीय नागरिकता पर केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने सूचना मांगी थी (इंडियन एक्सप्रेस: 1 मई 2019)। अमेठी चुनाव अधिकारी को एक शिकायत पत्र दिया गया था कि राहुल गांधी ब्रिटिश नागरिक हैं। खबर थी 2014 की कि ''राओल विंची'' के नाम से उन्होंने ब्रिटेन में ट्रिनिटी कालेज में दाखिला लिया था। उनपर आरोप था फ्लोरिडा (अमेरिका) के रोलिंस कालेज से प्राप्त उनकी डिग्री बोगस थी।

''विनाश-पुरुष''

राहुल गांधी की निराशाजनक टिप्पणियों पर केन्द्रीय वित्त मंत्री ने उन्हें ''विनाश-पुरुष'' की संज्ञा से नवाजा है। भाजपा के अनुसार केन्द्रीय रक्षा मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति के ग्यारह बैठकों में राहुल गांधी एक में भी नहीं हाजिर हुये। इस पर टिप्पणी है कि केवल रक्षा कमीशनखोरी में उनकी रुचि है। राहुल का बयान था कि नरेन्द्र मोदी कम्युनिस्ट चीन से भयभीत हैं। कौन प्रधानमंत्री आतंकित था और किसने तिब्बत और असीम हिमालयी जमीन चीन से हारी, यह इतिहास में भली भांति दर्ज है। दोषी राहुल गांधी की दादी के पिता थे।

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दो दिलचस्प बातें और। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की 136वीं वर्षगांठ (25 दिसंबर 2020) पर निवर्तमान अध्यक्ष राहुल गांधी अपने ननिहाल रोम (इटली) अवकाश पर चले गये। हालांकि उनका पूरा खानदान इसी पार्टी की खाता रहा, पांच पीढ़ियों से।

अब राहुल गांधी की राष्ट्रवादिता पर कुछ। इस्लामी पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र संघ में कश्मीर पर झूठा प्रचार करने की अपनी याचिका की पुष्टि में राहुल गांधी के बयान की प्रतिलिपि लगायी थी।

मीडिया में रहने के लिये ख्यात हैं राहुल गांधी

भ्रमित कारणों से मीडिया में रहने के लिये ख्यात हैं राहुल गांधी। एकदा यह युवा गांधी अपने विदेशी दोस्तों के साथ अजंता गुफा देखने गये। वहां तैनात अधिकारियों ने उनको विदेशी समझ लिया। यूरेशियन तो हैं ही। प्रवेश के लिये उनसे डालर में शुल्क की मांग की। उनके पांच दोस्तों में हर एक ने पांच सौ रुपये शुल्क जमा किया। पर राहुल बैठाये गये। काफी देर बाद छोड़े गये, जब उनके सुरक्षाकर्मियों ने राहुल के बारे में बताया।

प्रतीत होता है कि जम्मू की आम सभा में प्रमुख कांग्रेसी दिग्गजों की अपील पर शायद मां अपने नाकाम पुत्र को छुट्टी दे दे। पर भारत की मांग होगी की फर्जी गांधी के स्थान पर कोई असल राष्ट्रप्रेमी इस पुरानी पार्टी नेता बने। तभी पिण्ड छोड़ेंगे पप्पू घाण्डी !!

नोट- ये लेखक के निजी विचार हैं

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