नेपाली संसद भंग क्यों हुई ?

ओली को इसी समझ के आधार पर प्रधानमंत्री बनाया गया था कि आधी अवधि में वे राज करेंगे और आधी में प्रचंड बिल्कुल वैसे ही जैसे उप्र में मायावती और मुलायमसिंह के बीच समझौता हुआ था।

Newstrack
Published on: 22 Dec 2020 7:53 AM GMT
नेपाली संसद भंग क्यों हुई ?
X
नेपाली संसद पर डॉ. वेदप्रताप वैदिक का लेख (PC: social media)

डॉ. वेदप्रताप वैदिक

लखनऊ: नेपाल की संसद को प्रधानमंत्री खड्गप्रसाद ओली ने भंग करवा दिया है। अब वहां अप्रैल और मई में चुनाव होंगे। नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय में कई याचिकाएं दायर हो गई हैं। उनमें कहा गया है कि नेपाल के संविधान में संसद को बीच में ही भंग करने का कोई प्रावधान नहीं है लेकिन मुझे नहीं लगता कि अदालत इस फैसले को उलटने का साहस करेगी। यह निर्णय ओली ने क्यों लिया ? इसीलिए कि सत्तारुढ़ नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के दोनों खेमों में लगातार मुठभेड़ चल रही थी। एक खेमे के नेता पुष्पकमल दहल प्रचंड हैं और दूसरे खेमे के ओली।

ये भी पढ़ें:हेलीकॉप्टर वाली दुल्हनियाँ: काटती थी बस टिकट, अब शादी के बाद ऐसे हुई विदा

ओली को इसी समझ के आधार पर प्रधानमंत्री बनाया गया था

ओली को इसी समझ के आधार पर प्रधानमंत्री बनाया गया था कि आधी अवधि में वे राज करेंगे और आधी में प्रचंड बिल्कुल वैसे ही जैसे उप्र में मायावती और मुलायमसिंह के बीच समझौता हुआ था। अब ओली अपनी गद्दी से हिलने को तैयार नहीं हुए तो प्रचंड खेमे ने उस गद्दी को ही हिलाना शुरु कर दिया। पहले उन्होंने ओली पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। खुले-आम चिट्ठियां लिखी गईं, जिनमें सड़क-निर्माण की 50 करोड़ रु. की अमेरिकी योजना में पैसे खाने की बात कही गई। लिपूलेख-विवाद के बारे में भारत के विरुद्ध चुप्पी साधने का आरोप लगाया गया। इसके अलावा सरकारी निर्णयों में मनमानी करने और पार्टी संगठनों की उपेक्षा करने की शिकायतें भी होती रहीं।

उन्होंने भी कम दांव नहीं चले

ओली ने भी कम दांव नहीं चले। उन्होंने लिपुलेख-विवाद के मामले में भारत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। सुगौली की संधि का उल्लंघन करके भारतीय क्षेत्रों को नेपाली सीमा में दिखा दिया। ओली के इस ‘राष्ट्रवादी पैंतरे’ को संसद में सर्वदलीय समर्थन मिला। चीन की महिला राजदूत हाउ यांकी दोनों धड़ों के बीच सरपंच की भूमिका निभाती रही। अपनी भारत-विरोधी छवि चमकाने के लिए ओली ने नेपाली संसद में हिंदी में बोलने और धोती-कुर्ता पहनने पर रोक लगाने के पहल भी कर दी।

ये भी पढ़ें:अब किसानों के निशाने पर मुकेश अंबानी, संगठन ने सरकार को दी चेतावनी

इसकी अनुमति अब से लगभग 30 साल पहले मैंने संसद अध्यक्ष दमनाथ ढुंगाना और गजेंद्र बाबू से कहकर दिलवाई थी। नेपालियों से शादी करनेवाले भारतीयों को नेपाली नागरिकता लेने में अब सात साल लगेंगे, ऐसे कानून बनाकर ओली ने अपनी राष्ट्रवादी छवि जरुर चमकाई है लेकिन कुछ दिन पहले उन्होंने भारत के भी नजदीक आने के संकेत दिए। किंतु सत्तारुढ़ संसदीय दल में उनकी दाल पतली देखकर उन्होंने संसद भंग कर दी। यह संसद प्रधानमंत्री गिरिजाप्रसद कोइराला ने भी भंग की थी लेकिन अभी यह कहना मुश्किल है कि वे जीत पाएंगे या नहीं ?

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Newstrack

Newstrack

Next Story