Manipur Violence : मणिपुर की सर्वतोन्मुखी अशांति बंदूक के बल पर नहीं समाप्त किया जा सकता

Manipur Violence: स्थानीय नेतृत्व की कार्यप्रणाली में राष्ट्रीय भावना की कमी पाई जो मणिपुर के प्रथम सांसद व लोहिया के सत्याग्रही सहयोगी रिशोंग कीशिंग में थी जिन्हें जयप्रकाश नारायण ने एशियाई सोशलिस्ट कॉउन्सिल में भारत का प्रतिनिधि बना कर भेजा था ।

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Published on: 3 Jun 2023 10:57 AM GMT
Manipur Violence : मणिपुर की सर्वतोन्मुखी अशांति बंदूक के बल पर नहीं समाप्त किया जा सकता
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Manipur Violence (photo: social media )

Manipur Violence: कैसे हम खामोश हो देखें कि

आदर्श हमारा जलता है

आओ मिल सभी बुझायें

भारत वर्ष हमारा जलता है

मणिपुर की सर्वतोन्मुखी अशांति को बंदूक के बल पर समाप्त नहीं किया जा सकता । मैंने मणिपुर की लंबी प्रवासीय यात्राओं के दौरान महसूस किया कि मणिपुर की समस्या काफी जटिल है । एकांगी दृष्टिकोण से मणिपुर की हिंसा का स्थाई समाधान नहीं होगा । स्थानीय नेतृत्व की कार्यप्रणाली में राष्ट्रीय भावना की कमी पाई जो मणिपुर के प्रथम सांसद व लोहिया के सत्याग्रही सहयोगी रिशोंग कीशिंग में थी जिन्हें जयप्रकाश नारायण ने एशियाई सोशलिस्ट कॉउन्सिल में भारत का प्रतिनिधि बना कर भेजा था ।

उन्होंने मुझ अकिंचन से एक सार्थक संवाद के मध्य कहा था कि आर्थिक विषमता को कम नहीं किया गया तो मणिपुर में आंतरिक संघर्ष असमाधेय समस्या हो जाएगा । तरक्की समावेशी व विकेन्द्रित होनी चाहिए । लौह महिला इरोम शर्मिला चानू के मणिपुर में अहिंसक प्रतिकारों का अंतहीन सिलसिला समूचे देश के लिए दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण है । चिंतन व बौद्धिक सभा के साथियों के सहयोग से अपने लोककर्तव्य का अनुपालन करते हुए मणिपुर के एक हजार 32 बुद्धिजीवियों, सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ताओं एवं विचार-वीरों से बातचीत कर एक रपट बनाई है जो मणिपुर की समस्या के समाधान से संदर्भित है ।

रिपोर्ट गृह मंत्रालय को दे दी है । हमें उम्मीद है कि मणिपुर में शीघ्रातिशीघ्र शांति कायम होगी । मैती व आदिवासी समूह राम- लखन सदृश सहोदरी भाव सम्पन्न सुखमय व सौहार्दपूर्ण जीवन व्यतीत करेंगे......मणिपुर में व्याप्त असंतोष, अशांति व आतंक प्रतिध्वनित करता है कि सरकार की ऊर्वसीयम नीति में कुछ न कुछ कमी है । वहां राज व राजनीति विफल रही अब राज को समाज का खुला व उदार साथ लेना चाहिए और समाज देश की बेहतरी व राष्ट्रहित में अग्रगामी हो ।

यही अंदाज-ए- दयानत रहा तो कल का ताजिर

बर्फ की बाट लिए धूप में बैठा होगा

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