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Mann Ki Baat 100 Episodes: मोदी ने भगीरथ ही नहीं खोजे, सामाजिक संपदा भी बनाई

Mann Ki Baat 100 Episodes: विपक्षी या मोदी विरोधी चाहे जिस भी नज़रिये से देखें पर स्वर्ण जयंती एपिसोड पर हर एपिसोड को अलग अलग करके न देखा जाये तो विरोधियों के मुँह खुद ब खुद बंद हो जाने चाहिए । क्योंकि मोदी ने इस कार्यक्रम से लोगों के दिमाग़ को सकारात्मक रूप से झंकृत किया।

Yogesh Mishra
Published on: 30 April 2023 4:43 PM GMT
Mann Ki Baat 100 Episodes: मोदी ने भगीरथ ही नहीं खोजे, सामाजिक संपदा भी बनाई
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'पीएम मोदी' के 'मन की बात' 100वां एपिसोड: Photo- Social Media

Mann Ki Baat 100 Episodes: मन की बात के सौवें एपिसोड को लेकर जिस तरह की तैयारी भाजपा में दिखी। उसे विपक्षी या मोदी विरोधी चाहे जिस भी नज़रिये से देखें पर स्वर्ण जयंती एपिसोड पर हर एपिसोड को अलग अलग करके न देखा जाये तो विरोधियों के मुँह खुद ब खुद बंद हो जाने चाहिए । क्योंकि मोदी ने इस कार्यक्रम से लोगों के दिमाग़ को सकारात्मक रूप से झंकृत किया। रोज़मर्रा की ज़िंदगी के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर किया।

आम आदमी को भारत की सांस्कृतिक विविधताओं व विशेषताओं से परिचित कराया। यही नहीं, देश को विभिन्न इलाक़ों में नेपथ्य में रह कर अनूठे काम के माध्यम से समाज व देश की जो लोग सेवा कर रहे हैं, उन्हें भी लोकल से उठा कर नेशनल फलक पर ला रखा। उन्हें वोकल होने का अवसर दिया। इस कार्यक्रम में पीएम मोदी उन अनाम नायकों की गाथा लेकर सामने आते हैं । जिनके बारे में स्थानीय स्तर को छोड़कर देश में किसी ने कुछ सुना ही नहीं होता है। ऐसा करने से उन नायकों को सम्मान मिलता है।

इससे भी बड़ा फायदा यह है कि इन नायकों का नाम कई नए नायकों को प्रेरित करता है। लोगों को लगा कि उनका काम बिना नाम के बेकार नहीं होगा। उनके काम को चार चाँद लगे। सबको यह यक़ीन हुआ कि सरकार केवल दिल्ली बैठकर नहीं चल रही है। न ही चलाई जा रही है। उसकी नज़र सुदूर इलाक़ों पर भी है। उन लोगों पर भी है जो बिना हो हल्ला किये अपने काम में जुटे हुए हैं। मन की बात में एक बार भी राजनीति पर चर्चा न होना , यह बताता है कि सचमुच जनता और मोदी मन के संग जुड़ते हैं। पीएम मोदी ने अपने मन की बात को जनभागीदारी और जनसंपर्क का हामी बनाया है। उन्होंने इसे केवल बातचीत ही सीमित नहीं रखा । बल्कि और आगे भी ले गये। देश को सभी नागरिक सम्मानों में इसकी झलक मोदी के आने के बाद से देखा जा सकता है।

मन की बात

मन की बात कार्यक्रम को लेकर हुई एक आरटीआई में यह तथ्य निकलकर सामने आया है कि इस कार्यक्रम पर करीब 7 करोड़ रुपए खर्च किए गये हैं । जबकि इससे आकाशवाणी को करीब 33 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। आईआईएम रोहतक के एक अध्ययन में यह सामने आया है कि मन की बात को देश के 100 करोड़ लोग कम से कम एक बार सुन चुके हैं। 23 करोड़ लोग नियमित इस कार्यक्रम को सुनते हैं। मन की बात में उनका सपना महिला की बराबरी या उसके विकास से कहीं ज्यादा महिला नेतृत्व में विकास का है।

मन की बात के उदाहरण महिलाओं के छोटे-छोटे कामों में बड़े नेतृत्व की कहानी कहता है। स्वच्छता अभियान, खादी, रेलवे, जल से नल, कोविड महामारी और उसके बाद टीकाकरण से जैसे मुद्दों को मन की बात के जरिए जनभागीदारी की शक्ल देने का काम किया है। पीएम मोदी के इस कार्यक्रम को बारीकी से समझने वाले इस बात को समझते हैं कि मन की बात में पीएम मोदी दो विषयों जनभागीदारी और नारीशक्ति को बहुत महत्व देते हैं। मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में भी खेल व खिलाड़ियों की बात की है। यह बताया है कि हमारे खिलाड़ी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मेडल जीतने के लिए कितनी मेहनत करते हैं। सानिया मिर्ज़ा ने जब प्रोफेशनल टेनिस को अलविदा कहा तो प्रधानमंत्री मंदी ने उन्हें पत्र लिखा। प्रधानमंत्री ने सानिया की न केवल हौसला अफजाई की।बल्कि उनके शानदार कैरियर की तारीफ़ भी की।

मन की बात का 99वां एपिसोड

9 साल में पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कई लोगों का जिक्र किया जो बाद में सेलेब्रिटी बन गए। पूरे देश में उनकी चर्चा हुई। सबसे पहले बात करते हैं 99वें एपिसोड की। इसी कड़ी में पीएम मोदी ने देश की सबसे कम उम्र की अंगदान करने वाली 39 दिन की महिला अबाबत का जिक्र किया। उन्होंने अबाबत के माता-पिता से बात की। अपनी कहानी दुनिया के सामने रखी। अबाबत के पिता ने बताया कि उनकी बेटी के दिल का आकार बड़ा होता जा रहा था। 39 दिन की अबाबत की इलाज के दौरान मौत हो गई । तो उसने अंगदान करने का फैसला किया। उन्होंने गुरु नानक को याद करते हुए बच्ची की किडनी दान कर दी । क्योंकि सिर्फ इसी का दान किया जा सकता था।

पीएम मोदी मन की बात में चार बार हरियाणा के सुनील जागलान का जिक्र कर चुके हैं। जींद के रहने वाले जगलान ने 'सेल्फी विद डॉटर' कैंपेन शुरू किया है। यह अभियान अब दुनिया के 80 देशों में पहुंच चुका है। सुनील ने इस अभियान की शुरुआत बीवीपुर जैसे कस्बे से की थी।पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में जम्मू के पल्ली में रहने वाले विनोद कुमार का जिक्र किया। वह 27 साल से मधुमक्खी पालन कर रहे हैं और साल में 15 से 20 लाख रुपए कमा रहे हैं।

मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने उत्तराखंड के लोक गायक पूरन राठौर का भी जिक्र किया। बागेशनर निवासी पूरन विकलांग हैं। उन्होंने राजुला मालुशाही, न्योली, हुड़क्य बाउल, श्रतु रैन, जागर, भगनौल आदि गाकर प्रदेश की परंपरा को आगे बढ़ाया है।मन की बात के 97वें कार्यक्रम में पीएम मोदी ने आंध्र प्रदेश के नांदयाल जिले के रहने वाले के.वी. रामा सुब्बा रेड्डी के बारे में देश को बताया। रेड्डी ने सरकारी नौकरी छोड़कर अपने गांव में बाजरा प्रसंस्करण इकाई स्थापित की। उसका नाम मिलेट मैन रखा गया है। वे मोटे अनाज से कई चीजें तैयार करते हैं।

पीएम मोदी ने मन की बात में झारखंड के 'लाइब्रेरी मैन' के नाम से मशहूर संजय कच्छप का भी जिक्र किया। चाईबासा जिला निवासी संजय कच्छप ने गरीब व जरूरतमंद लोगों के लिए पुस्तकालय का निर्माण कराया। आज वे 40 पुस्तकालय चलाते हैं, जिनमें से 24 डिजिटल हैं। साल 2004 में उन्होंने पहला पुस्तकालय खोला था।
पीएम ने हमारे देश में कई अनोखी चीजों के बारे में बात की है, जैसे 30 मई, 2021 को 77वें संस्करण में त्रिपुरा का कटहल और 30 अक्टूबर, 2022 को 94वें संस्करण में टेराकोटा के कप का ज़िक्र किया। मन की बात के 19वें एपिसोड में, पीएम मोदी ने महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के हिवरेबाजार ग्राम पंचायत के किसानों का उल्लेख किया, जिन्होंने फसल के पैटर्न को बदलकर पानी की कमी की समस्या का समाधान किया। गन्ना व केला जैसी फसलों को छोड़ दिया, जिनमें अत्यधिक मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है।

मोदी ने उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के संतोष नेगी का जिक्र किया जिन्होंने मानसून की शुरुआत से पहले खेल के एक मैदान के साथ-साथ चार फीट गहरी 250 छोटी खाइयाँ खोदीं, जिससे खेल के मैदान में गिरने वाले करोड़ों लीटर बारिश के पानी को बचाया जा सका।

अभिनेता आमिर खान पीएम मोदी के मुरीद

जनसंपर्क को लेकर अभिनेता आमिर खान पीएम मोदी के मुरीद नज़र आए। आमिर ने मन की बात कॉन्क्लेव के बाद कहा कि इस माध्यम से पीएम मोदी देश के लोगों के साथ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर बात करते हैं। इस कार्यक्रम के जरिए वे देश के लोगों के साथ कनेक्ट होते हैं और उनकी समस्याओं पर बात करते हैं, देश के लीडर होने के नाते उनका काम काबिल-ए -तारीफ है। जनसंपर्क के इस तरीके के हामी बने आमिर ने कहा कि पीएम मोदी ने साबित किया कि कम्युनिकेशन से लोगों को रास्ता कैसे दिखाया जा सकता है। वो लोगों को बताते हैं कि आपका नजरिया क्या है। फ्यूचर में लोगों का सपोर्ट कैसे हासिल करना है। मन की बात में ऐसे ही महत्वपूर्ण चीजों पर बात होती है। ये प्रधानमंत्री का बहुत ही ऐतिहासिक कार्यक्रम है।

आमिर सरकार के पक्ष में खड़े अभिनेताओं मे से एक नहीं हैं। 2015 में एक इवेंट में आमिर ने असहिष्णुता के मुद्दे पर कहा था कि देश के माहौल को देखते हुए उन्हें परिवार सहित देश छोड़ने का विचार मन में आता है। आमिर ने यह तक कह दिया था कि उनकी पत्नी किरण (अब तलाकशुदा) अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर हमेशा डर के साए में रहती हैं। आमिर का नज़रिया यह साबित करने के लिए साफ है कि मन की बात ने राजनीति और दलों की सीमाओं को तोड़ दिया है।

मन की बात का पहला एपीसोड 4 अक्टूबर 2014 को प्रसारित किया गया। इस कार्यक्रम को लेकर बहुत से संदेह जताए गये। 23 जुलाई 1927 को देश में रेडियो की शुरुआत हुई थी । रेडियो क्लब आफ बॉम्बे के नाम से 94 साल में आज देश में आकाशवाणी के 420 रेडियो स्टेशन हैं और भारत की 99.18 प्रतिशत आबादी तक आकाशवाणी की पहुंच है। पर यह पहुँच तक़रीबन ख़त्म सी हो गयी थी। इसे मन की बात ने रिकनेक्ट किया। मन की बात के चलते पोस्टकार्ड और अंतरदेशीय जैसे डाक का काम चल निकला। नेट कनेक्टिविटी ने हाँ हमें लिखने पढ़ने सा काट रखा था, वहाँ मन की बात ने जोड़ा।

पदम् सम्मान और सामान्य जन

सिर्फ मन की बात में ही पीएम मोदी ने सामान्य और अनजान लोगों का जिक्र नहीं किया है। बहुत से अनजान लोग अब पदम् सम्मान से विभूषित किये जाने लगे हैं।

वर्ष 2022 लिस्ट देखें तो उसमें हरेकला हजब्बा, तुलसी गौड़ा और एमके कुंजोल जैसे नाम हैं जिनको शायद ही पहले किसी ने सुना होगा।

- रामचंद्र मांझी, 94 वर्षीय भोजपुरी लोक नर्तक और रंगमंच कलाकार, जो अब 84 वर्षों से 'लौंडा नाच' के कलाकार हैं। बिहार के सारण जिले के तुजरपुर गाँव में जन्मे मांझी ने 10 साल की उम्र में प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था।

- मिथिला कलाकार दुलारी देवी जिनका जीवन घोर गरीबी और निरंतर मासिक श्रम से शुरू हुआ। लेकिन आगे चल कर एक निपुण और मान्यता प्राप्त मधुबनी चित्रकार के रूप में विकसित हुआ। उन्होंने उस कला में महारत हासिल की जो उच्च जाति की महिलाओं का डोमेन था।

- बंगाल के 77 वर्षीय सुजीत चट्टोपाध्याय जो बेसहारा बच्चों को पढ़ना-लिखना सिखाकर चुपचाप उनका जीवन बदल रहे हैं।।रामनगर उच्च माध्यमिक विद्यालय के सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक केवल साक्षरता प्रदान करने से ही नहीं रुक जाते हैं। चट्टोपाध्याय सामाजिक समानता और पर्यावरण के अनुकूल जीवन की अवधारणाओं को भी सिखा रहे हैं।

- 68 वर्षीय हरेकला हजब्बा, जो कर्नाटक के मैंगलोर में संतरे बेचकर अपनी आजीविका चलाते हैं। तीन दशकों से वह बस एक फल विक्रेता थे। घोर गरीबी में जन्मे, हजब्बा की कभी भी शिक्षा और स्कूलों तक पहुंच नहीं थी। लेकिन उन्होंने इसके बारे में कुछ करने का फैसला किया। अपने लिए नहीं, बल्कि अपने गांव के बच्चों की खातिर उन्होंने एक स्कूल बना डाला।

- कर्नाटक की तुलसी गौड़ा जिन्होंने 30,000 से अधिक पौधे लगाए हैं। वह पिछले छह दशकों से पर्यावरण संरक्षण और संबंधित गतिविधियों में शामिल हैं। उनको पेड़ पौधों की ऐसी अद्भुत जानकारी है जिसके चलते उन्हें "जंगल का विश्वकोश" भी कहा जाता है।

बीते कई साल में आप पद्म सम्मानों की लिस्ट देखिए, ऐसे अनेक नाम मिल जाएंगे। मन की बात हो या पद्म सम्मान, अनजाने से लोगों का जिक्र यह साबित करता है कि समाज के लिए कुछ करने वाले नोटिस जरूर किये जा रहे हैं। उनकी लगन और मेहनत पर सरकार की टॉप लेवल तक की नजर है। ऐसा शायद ही हमने पहले कभी देखा हो। यह अद्भुत है। तभी तो मोदी की लोक से जुड़कर अपनी धुन में मस्त काम करने वाले न केवल प्रेरणास्रोत बनते जा रहे हैं। बल्कि मन की बात से बड़ी सामाजिक संपदा का भी सृजन हो रहा है।

Yogesh Mishra

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