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New Parliament Building: राष्ट्रीयता व आत्मनिर्भर भारत का सन्देश दे रही नई संसद

New Parliament Building: संसद भवन राष्ट्र को समर्पित करने के बाद प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि यह संसद भवन आत्मनिर्भर और विकसित भारत का साक्षी बनेगा।

Mrityunjay Dixit
Published on: 31 May 2023 8:04 AM GMT
New Parliament Building: राष्ट्रीयता व आत्मनिर्भर भारत का सन्देश दे रही नई संसद
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New Parliament Building (photo: social media )

New Parliament Building: स्वतंत्रता प्राप्ति के 75 वर्षों के लंबे अंतराल के पश्चात विविध राजनैतिक अवरोधों को पार करते हुए देश को अपना नया संसद भवन मिला है । जिसे देखकर समस्त भारतवासी स्वयं को धन्य समझ रहे हैं । नया संसद भवन मात्र एक संसद भवन नहीं अपितु आत्मनिर्भर भारत, एक भारत श्रेष्ठ भारत और अखंड भारत की संकल्पना का सन्देश भी दे रहा है।

नये संसद भवन के उदघाटन के अवसर पर तमिलनाडु की चोल परंपरा के सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक राजदंड सेंगोल की स्थापना, अधीनम द्वारा की गयी पूजा अर्चना से यह आयोजन इतिहास में अमर हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राजदंड सेंगोल को दंडवत प्रणाम एक अद्भुत दृश्य और गुलामी की मानसिकता से प्रेरित होकर राजनीति करने वाले लोगों व दलों को भविष्य के अनेक सन्देश दे रहा था।

संसद भवन के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन में स्पष्ट सन्देश था कि आगे आने वाले समय में सरकार भारतीय व अंतरराष्ट्रीय राजनीति व समाज को प्रभावित करने वाले बड़े व दूरगामी प्रभाव डालने वाले निर्णय लेगी।

विपक्षी दलों की राजनैतिक जमीन को हिला कर रख दिया

संसद भवन का उद्घाटन कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा के सहयोगी दलों के साथ मिलकर विपक्षी दलों की राजनैतिक जमीन को हिला कर रख दिया है। इस कार्यक्रम के पश्चात विपक्ष की 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा के खिलाफ महागठबंधन बनाने के प्रयासों को भी तगड़ा झटका दिया है । संसद भवन के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन में 25 दल शामिल हुए जबकि विरोध में केवल 21 दल रहे।

संसद भवन राष्ट्र को समर्पित करने के बाद प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि यह संसद भवन आत्मनिर्भर और विकसित भारत का साक्षी बनेगा।यह संसद भवन 140 करोड़ देशवासियों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिंब है, ये हमारे लोकतंत्र का मंदिर है । जो योजना को यथार्थ से, नीति को निर्माण से, इच्छाशक्ति को क्रियाशक्ति से तथा संकल्प को सिद्धि से जोड़ने वाली अहम कड़ी साबित होगा। दिव्य और भव्य भवन राष्ट्र की समृद्धि व सामर्थ्य की नई गति को शक्ति देगा। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में एक ओजस्वी कविता सुनकर सम्पूर्ण परिवेश को राष्ट्र भाव से ओत प्रोत कर दिया – “नवीन प्राण चाहिए”।

प्रधनमंत्री ने अपने संबोधन में संसद भवन की समस्त विशेषताओं का उल्लेख करते हुए बताया कि नया संसद भवन बनाना भविष्य की चुनौतियों को पूरा करने और उनसे निपटने के लिए कितना अनिवार्य हो गया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि नये संसद भवन को देखकर हर भारतीय गौरवान्वित है क्योंकि इसमें विरासत और वास्तुकला का कौशल है तो संस्कृति के साथ संविधान के स्वर भी हैं। संसद के प्रांगण में राष्ट्रीय वृक्ष बरगद है तो लोकसभा का आंतरिक हिस्सा राष्ट्रीय पक्षी मोर को समर्पित है । जबकि राज्यसभा का आंतरिक हिस्सा राष्ट्रीय फूल कमल पर आधारित है। राजदंड सेंगोल की स्थापना पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद के नए भवन में पवित्र सेंगोल की स्थापना कर इसकी गरिमा लौटाई गयी है। महान चोल साम्राज्य में सेंगोल कर्तव्य पथ, सेवापथ और राष्ट्रपथ का प्रतीक माना जाता था।

शिव वाहक नंदी

संसद भवन का उद्घाटन हो जाने के बाद गुलामी के सभी प्रतीकों व विचारों से स्वतंत्रता मिलने का युग प्रारम्भ हो चुका है। नवीन संसद भवन में शिव वाहक नंदी से युक्त तथा नीतिपरायणता का सन्देश देने वाले सेंगोल की स्थापना से अब संसद में आने वाले सभी सांसदों को अपने कर्तव्यों का बराबर बोध होता रहेगा। सेंगोल को राजदंड या धर्मदंड भी कहा जाता है इसे भावी रामराज्य के लोक कल्याणकारी पक्ष एवं प्रतिमान के रूप में देखा जा सकता है। संसद में अखंड भारत का मानचित्र भी है ।अतः सेंगोल और अखंड भारत के मानचित्र से अखंड भारत के लिए धर्मसम्मत कर्तव्य का बोध भी जागृत हो सकेगा। सेंगोल की स्थापना वस्तुतः हमारे गौरवशाली इतिहास की पुनः प्रतिष्ठा है, यह चोल राजाओं के सुदीर्घ साम्राज्य के साथ साथ हिंदू धर्म के लोकोपकारी बृहत्तर रूप का उद्घाटन करने वाला है। संसद में सेंगोल की स्थापना के साथ हिंदू धर्म की आध्यात्मिकता सत्ता के स्वत्व में धर्म के सत्व की चर्चाओे का श्रीगणेश होगा।

संसद भवन के उदघाटन सत्र को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि नया संसद भवन भारत के समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक विरासत का प्रतिबिम्ब है और नये विचारों को गति देगा।आजादी के अमृतकाल में पूरा देश इस ऐतिहासिक घटना का गवाह बन रहा है।ढाई साल से भी कम समय में यह भवन बनकर तैयार हुआ है।कोविड के कठिन समय में भी निर्माण में लगे कारीगर प्रतिबद्ध रहे।भारत को विश्व में लोकतंत्र की जननी माना जाता है।

नवनिर्मित संसद भवन में सेंगोल की स्थापना के बाद सर्वधर्म प्रार्थना सभा के आयोजन के बाद गुलामी की मानसिकता से प्रेरित दलों की राजनीति जड़ें हिलकर रह गई हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि भारतीय संसद में सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन संपूर्ण विश्व ने देखा है।अमेरिका सहित विश्व के कई देश अपने आप को बहुत बड़ा समावेशी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक देश मानते है किंतु आज तक अमेरिका सहित किसी भी यूरोपियन संसद में सर्व धर्म प्रार्थना सभा का आयोजन नहीं हुआ। संसद भवन में सर्व धर्म प्रार्थना सभा का आयोजन हो जाने के बाद भड़काऊ बयानबाजी करने वाले नफरती दलों की हवा निकल गयी है।ऐसे लोगों व दलों का वह प्रोपेगेंडा बेनकाब हो गया है जिसमें वे आरोप लगाते रहे है कि भारत में जब से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नयी सरकार आयी है तब से अन्य धर्मों विशेषकर मुस्लिम समाज के साथ भेदभाव व अत्याचार बढ़ गया है। इस अवसर पर सभी धार्मिक नेताओं ने कहा कि नई संसद विविधता में एकता को दर्शाती है।सभी को एकजुट होकर देश के विकास के लिए काम करना चाहिए।जैन मुनि आचार्य लोकेश ने कहा कि नई संसद भवन में राजदंड के साथ धर्मदंड भी स्थापित किया गया है।

शक्ति, स्थायित्व और अखंड भारत का सन्देश देता नया संसद भवन -

यह संसद भवन पूर्ण रूप से स्वदेशी है। नई संसद का आकार शक्ति और स्थायित्व का प्रतीक है। नये संसद में लगाया गया अखंड भारत का मानचित्र केवल भारत में ही नहीं अपितु विदेशों में भी खूब चर्चा बटोर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में भी इसका उल्लेख किया है ।इसमें पाकिस्तान स्थित तक्षशिला समेत प्राचीन भारत के साम्राज्यों और नगरों को चिन्हित किया गया है। अखंड भारत के मानचित्र से भी संसद भवन के उदघाटन समारोह का बहिष्कार करने वाले हतप्रभ हैं । भारत की जनता अब बहिष्कार करने वालों से सोशल मीडिया सहित विभिन्न मंचों पर पूछ रही है कि, ”क्या आप लोग संसद के आगामी सत्रों की बैठकों में भाग लेंगे या बहिष्कार करेंगे या फिर संसद से इस्तीफा देकर अपनी राजनीति की दुकान को बंद कर देंगे।”

इस अवसर पर भारत की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तथा उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ जी के सन्देश भी पढ़े गए।

28 मई वीर सावरकर की जयंती है । अतः इस दिन हुआ नए संसद भवन का लोकार्पण भारत देश ले लिए अलग ही महत्व रखता है।

Mrityunjay Dixit

Mrityunjay Dixit

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