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अब प्रदेश में धर्मांतरण और लव जेहाद पर लगेगी लगाम

सीएम योगी आदित्यनाथ ने उपचुनावों के दौरान लव जेहाद के खिलाफ कड़ा कानून बनाने का ऐलान किया था और जिसकी सियासी गलियारों में खूब चर्चा हुई थी

Newstrack
Published on: 27 Nov 2020 12:55 PM GMT
अब प्रदेश में धर्मांतरण और लव जेहाद पर लगेगी लगाम
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धर्मांतरण और लव जेहाद पर मृत्युंजय दीक्षित का लेख (Photo by social media)

मृत्युंजय दीक्षित

लखनऊ: सीएम योगी आदित्यनाथ ने उपचुनावों के दौरान लव जेहाद के खिलाफ कड़ा कानून बनाने का ऐलान किया था और जिसकी सियासी गलियारों में खूब चर्चा हुई थी और यह भी चर्चा हुई थी कि लव जेहाद और धर्मांतरण के खिलाफ योगी जी ने जो बयान दिये थे यह उन्हीं का असर था कि भाजपा सात में से छह सीटें जीतने में कामयाब रही हालांकि यह बात और है कि जिस सीट मल्हानी पर यह बात कही गयी वहां पर भाजपा चुनाव हार गयी लेकिन अन्य जगहों पर स्वागत किया गया।

उपचुनावों के बाद मुख्यमंत्री ने मंत्रिपरिषद की बैठक में यह कानून पास भी करवा लिया है और यह अब मंजूरी के लिये राज्यपाल को भेज दिया गया है राजभवन से अनुमति मिलने के बाद यह विधानमंडल में बहस और पारण के लिये रखा जायेगा विधानमंडल की अनुमति मिलते ही यह कानून बन जायेगा। उप्र सरकार द्वारा उप्र विधि विरूद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिशेध अध्यादेश -2020 के लागू होने के बाद छल -कपट और जबरन धर्मांतरण के मामलों में एक से दस वर्ष तक की सजा का प्रावधान किया गया है।

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सजा का तथा 15 हजार रूपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है

कानून के अंतर्गत छल कपट से प्रलोभन देकर, बलपूर्वक या विवाह के लिए धर्मपरिवर्तन के सामान्य मामलों में कम से कम एक वर्ष तथा अधिकतम पांच वर्ष की सजा का तथा 15 हजार रूपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। वहीं नाबालिग लड़की, अनुसूचित जाति, जनजाति की महिला का जबरन धर्मपरिवर्तन कराने पर कम से कम तीन वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष कारावास तथा 25 हजार रूपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामलों में कम से कम तीन वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष की सजा और 50 हजार के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

कानून में कई प्रकार के कड़े प्रावधान किये गये हैं तथा इसमें सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामलों में शामिल सामाजिक संगठनों का पंजीकरण निरस्त कर उनके विरुद्ध भी कार्यवाही की जायेगी। कानून के उल्लंघन की दोषी किसी संस्था अथवा संगठन के प्रति भी सजा का प्रावधान किया गया है जबरन धर्म परिवर्तन के मामलों में साक्ष्य देने का भार भी आरोपित पर ही होगा। अर्थात कपटपूर्वक, जबरदस्ती या विवाह के लिए किसी का धर्म परिवर्तन किये जाने के मामलों में आरोपित को ही साबित करना होगा कि ऐसा नहीं हुआ। यह अपराध संज्ञेय अपराध की श्रेणी में होगा और गैर जमानती होगा। यदि किसी लड़की का धर्म परिर्वतन केवल विवाह के लिए किया गया होगा तो विवाह शून्य घोषित किया जा सकेगा।

कानून की सबसे बड़ी बात यह है

कानून की सबसे बड़ी बात यह है कि धर्मांतरण के इच्छुक होने पर तय प्रारूप में डीएम के समक्ष दो माह पूर्व आवेदन करना होगा तथा इसका भी उल्लंघन होने पर छह माह से तीन वर्ष की सजा का प्रावधान निर्धारित किया गया है। जिलाधिकारी के समक्ष यह घोषणा करनी होगी कि धर्म परिवर्तन किसी छल कपट के तहत, जबरन बलपूर्वक कोई प्रलोभन देकर अथवा कपटपूर्ण रीति से विवाह द्वारा एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन के लिए नहीं है।

cm-yogi cm-yogi (Photo by social media)

लव जेहाद और धर्मातंरण एक बेहद गंभीर समस्या बन चुका है और यह केवल उत्तर प्रदेष में ही नहीं हो रहा है अपितु समस्त भारत में इसका फैलाव हो चुका है। आज इस कानून के विरोधी और लिबरल वामपंथी विचारधारा के लोग तथा कांग्रेस व समाजवादी दल के नेता इस कानून को एक छलावा और देश में विचारधाराओें के तुष्टिकरण का प्रयास बता रहे हैं वहीं दूसरी ओर जब से योगी सरकर ने यह कानून लाकर दिखा दिया है तब से देश के कई अन्य राज्य भी इसी प्रकार का कानून बनाने की बात कर रहे हैं। मध्य प्रदेश, हरियाणा, असम और कर्नाटक ने भी इस कानून को अपने यहां लागू करने की तैयारी कर ली है। यह कानून आने के बाद देशभर के संत समाज में खुशी की लहर दौड़ गयी है जबकि मुस्लिम समाज दिग्भ्रमित और विभाजित नजर आ रहा है।

अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने कहा

अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि स्वमी विवेकानंद कहते थे कि एक व्यक्ति का धर्मांतरण सनातन धर्म से सिर्फ एक व्यक्ति का धर्मांतरण नहीं है यह यह एक राष्ट्रांतरण की प्रक्रिया है जिसकी निष्ठा धर्मातंरित होते ही रातों रात बदल जाती है। भारत की एकता और अखंडता की रक्षा के लिए देश के सनातनी हिंदुओं का बहुसंख्यक बने रहना बहुत ही जरूरी है अन्यथा देश के जिन भागों में हिंदू कम हुआ है आतंकवाद और सांप्रदायिकता की घटना अलगाववाद ,अर्बन नक्सली वहीं अधिक सक्रिय हुए हैं।

भारतीय जनता पार्टी व अन्य सामाजिक संगठनों का कहना है कि यह कानून बन जाने के बाद एक भयमुक्त वातावरण बनेगा। अभी तक कोई कानून न होने से लव जेहाद व धर्मांतरण से पीड़ित परिवार व महिलाएं अपनी आवाज नहीं उठा सकती थीं तथा अदालत जाना तो दूर यह सभी मामले केवल समाचार पत्रों और घर की दहलीज पर दफन हो जाते थे तथा लव जेहाद और घृणित अपराध की शिकार बेटियां तथा परिवार एक आह लेकर रह जाते थे तथा उनकी आंखों के आंसू बहकर सूख जाते थे।

लव जेहाद के प्रकरण आजादी के तत्काल बाद ही शुरू हो गये थे

लव जेहाद के प्रकरण आजादी के तत्काल बाद ही शुरू हो गये थे तथा जब से आतंकवाद का नया दौर शुरू हुआ उसके बाद इसमें और तेजी आ गयी। उत्तर प्रदेश सहित देशभर में कई ऐसी घटनाएं घटी हैं जो बेहद शर्मनाक और हृदय विदारक है। हरियाणा के वल्लभगढ़ की घटना दिल दहलाने वाली घटना थीं। यह सरेआम लव जेहाद और आतंकवाद का ही एक प्रारूप था। अयोध्या में भव्य एवं दिव्य भूमि पूजन समारोह संपन्न होने के बाद प्रदेश में सामाजिक समरसता का वातावरण भंग करने के लिए एक के बाद एक कई घटनाएं प्रकाश में आने के बाद प्रदेश सरकार ने एसआईटी का गठन किया था जिसमें सबसे चर्चित कानपुर के 13 केस भी रहे।

जिसमें कई केसों मे लव जेहाद के सबूत भी मिल गये हैं

जिसमें कई केसों मे लव जेहाद के सबूत भी मिल गये हैं तथा अभी भी गहन जांच जारी है। कानून को लेकर टीवी चैनलों व सोषल मीडिया में विरोधी दलों की ओर से एक से बढ़कर एक अनोखे तर्कहीन व आधारहीन बयान दिये जा रहे है तथा एक प्रकार से लव जेहाद और धर्मांतरण को भी केवल और केवल कोरी कल्पना कहा जा रहा है। राजस्थान से लेकर हरियाणा तक और फिर पूरा का पूरा दक्षिण भारत तथा पूर्वोत्त्तर राज्य इस भयंकर समस्या से ग्रसित हो चुका है।

तब भी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलौत इसे बकवास कहकर कहते हैं कि यह शब्द भाजपा ने किसानों और बेरोजगारों की समस्या से ध्यान हटाने के लिए अपनी कल्पना से पैदा किया है तथा यह कानून अदालत में टिक नही पायेगा। यह वह लोग हैं जिन्होंने कभी अपनी सरकारों के कार्यकाल के दौरान हुए घोटालों से जनता का ध्यान हटाने के लिए हिंदू आतंकवाद और भगवा आतंकवाद जैसे शब्दों का आविष्कार कर डाला था वहीं एक बहस में तो कांग्रेसी प्रवक्ता हिंदू शब्द की अवधारणा को ही पूरी तरह से नकार रहे थे और अपनी मानसिक विकृति का परिचय देकर मुस्लिम समाज को भड़काने का काम कर रहे थे।

जबरन शादी करना या निकाह करना गैर कानूनी है

एक ओर जहां मुस्लिम परस्त राजनैतिक दल मुस्लिम समाज को एक बार फिर बरगलाने का काम कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर आल इंडिया महिला मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की शाइस्ता अंबर को इससे काफी प्रसन्न्ता हो रही है तथा उनका कहना है कि जबरन शादी करना या निकाह करना गैर कानूनी है सरकार ने इस पर कानून लाकर इसको और मजबूती दी है। सबको सभी के धर्म का सम्मान करना चाहिए। जबरन धर्म परिर्वतन करना और उसे लव जेहाद का नाम देना अनुचित है। इस्लाम धर्म में जबरन शादी को अवैध माना गया है और अपराध की श्रेणी में रखा गया है।

सरकार ने भी लव जेहाद जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं किया है जो दूरदर्शिता का परिचायक है। मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली का भी कहना है कि इस कानून का मजहबी आजादी पर कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए। मौलाना खालिद का कहना है कि जबरन धर्मांतरण की इस्लाम में बिल्कुल भी इजाजत नहीं है। शरीयत में किसी भी चीज का लालच देकर या डरा धमकाकर मजहब परिवर्तन कराना बड़ा जुर्म माना गया है। उनका कहना है कि इस कानून में एक अच्छी बात यह है कि इसमें लव जेहाद शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है। कहा कि कानून बनाने का उददेश्य यही होता है कि किसी के साथ कोई भेदभाव न हो।

उप्र अल्पसंख्यक आयोग के सदस्यों ने भी इस कानून का स्वागत किया

उप्र अल्पसंख्यक आयोग के सदस्यों ने भी इस कानून का स्वागत किया और कहा है कि नये कानून से मासूम किषोरियों एवं नव युवतियों से धोखा देकर विवाह करने जैसी घटनाओं पर रोक लगेगी। यह बात बिलकुल सह है कि अब इस कानून पर खूब बहसें होने जा रही हैं तथा यह कानून बन जाने के बाद कुछ तत्व इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दे सकते हैं। लेकिन कई संविधान विषेषज्ञों ने इस कानून को एक बेहतरीन तथा सराहनीय कानून बताया है और उनका कहना है कि इस कानून के बन जाने के बाद कई प्रकार की विसंगतियां दूर हो सकेंगी। विषेषज्ञों का मत है कि संविधान किसी भी व्यक्ति को कोई भी धर्म मानने और प्रचार करने के साथ किसी भी धर्म के व्यक्ति से षादी की आजादी देता है लेकिन अवैध धर्मांतरण गलत है। धोखे से प्राप्त की गई कोई भी चीज कानून की निगाह में अमान्य और शून्य है और इस तरह की गई शादी भी उस में आयेगी।

कानून के मामले में पहला सवाल उठता है कि क्या राज्य को ऐसा कानून बनाने का अधिकार है। इसका जवाब सुप्रीम कोर्ट के 1977 के स्टेनसलाउस बनाम मध्य प्रदेश के फैसले से मिलता है जिसमें सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की न्यायपीठ ने अवैध धर्मांतरण को लाये गये मप्र और उड़ीसा के कानून को वैध ठहराया था।

विवाह करना एक बहुत ही जघन्यतम अपराध है

लव जेहाद और धर्मांतरण करके विवाह करना एक बहुत ही जघन्यतम अपराध है और अभी तक इस प्रकार के अपराधों के खिलाफ कोई कठोर कानून नहीं था तथा यह भी एक आम धंधा बनता जा रहा था और पूरा एक सिंडीकेट बन गया था। जब से सिमी प्रतिबंधित हुआ उसके बाद पीएफआई और एसडीपीआई जैसे नापाक संगठनों ने यह काम शुरू कर दिया । इस काम के लिए विदेशो से भी फंडिंग हो रही है। अभी सभी मामलों की गहनता से जांच की जा रही है तथा कई चौंकाने वाले खुलासे किये जा रहे है। इस अपराधिक कृत्य में लड़कियों को प्रेमजाल में फंसाकर उनका माइंडवाश कर दिया जाता है। तीन तलाक कानून के बाद यह सबसे बड़ा सुधार कानून है।

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आज योगी सरकार के इस कदम की बड़ी सराहना हो रही है। यह एक बहुत ही असभ्य कुरीति और अपराध संगठित रूप से चल रहा था जिसका संचालन कटटरपंथी तत्व कर रहे थे तथा मुस्लिम युवाओं को बकायदा प्रशिक्षित करते थे और इसके लिए विदेशी फंडिंग भी हो रही थी और मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाले राजनैतिक दल इन तत्वों का संरक्षण कर रहे थे। आज केवल वही लोग इसका विरोध कर रहे हैं जिन लोगों की दुकानें अब बंद होने जा रही हैं। योगी सरकार ने अब लव जेहाद और धर्मांतरण के खिलाफ कानूनी स्ट्राइक करके पूरे देष को एक राह दिखायी है औरै युवतियों को एक बड़ा सुरक्षा कवच देने का काम किया है।

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