×

एक देश, एक कृषि बाजारः आशाएँ और आशंका बता रहे हैं- अर्थशास्त्री यशवीर त्यागी

भारत एक कृषि-प्रधान देश है यह बात बरसों से हम लोग सुनते आये हैं। यद्यपि यह भी सत्य है कि कृषि की देश की जी.डी. पी. में हिस्सेदारी लगातार घटती जा रही है।

Roshni Khan
Published on: 5 Jun 2020 9:11 AM GMT
एक देश, एक कृषि बाजारः आशाएँ और आशंका बता रहे हैं- अर्थशास्त्री यशवीर त्यागी
X

यशवीर त्यागी

लखनऊ: भारत एक कृषि-प्रधान देश है यह बात बरसों से हम लोग सुनते आये हैं। यद्यपि यह भी सत्य है कि कृषि की देश की जी.डी. पी. में हिस्सेदारी लगातार घटती जा रही है। परन्तु अभी भी देश की बहु-संख्यक आबादी अपनी जीविका के लिए खेती पर ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में निर्भर करती है। देश में अन्न के भरपूर भंडार हैं परन्तु अन्नदाता की झोली खली रहती है । इसका मुख्य कारण है कि किसानो को अपनी उपज का सही मूल्य नहीं मिल पता है।

ये भी पढ़ें:प्राइवेट अस्पताल में कोरोना के इलाज पर सुनवाई, SC ने केंद्र सरकार से पूछा ये सवाल

किसानो की भलाई के लिए समय -समय पर सरकारों ने अनेक उपाय किये पर कृषि में संरचनात्मक जड़ताएं बनी रही। इसके फलस्वरूप किसान आर्थिक रूप से दूसरे वर्गों से पिछड़ गए।

1991 के बाद से जो आर्थिक सुधर भारत की अर्थव्यवस्था में किये गए उनसे भी कृषिक्षेत्र लगभग अछूता ही रहा। देशी और विदेशी बाज़ारों में बढ़ती प्रतियोगिता का लाभ उठाने हेतु किसानो को सक्षम नहीं बनाया जा सका।

किसान कल्याण की योजनाएं बनी परन्तु उनको अपने पैरों पर खड़े होने के हेतु सार्थक प्रयास नहीं हुए।

मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में किसानो के हित में अनेक नीतियां और कार्यक्रम लागु किये। इनमे उल्लेखनीय हैं- किसान सम्मान निधि, फसल बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड का विस्तार और किसानो को कम ब्याज दरों पर ऋण को उपलब्ध कराना।

इसी कड़ी में विगत 3 जून को मोदी कैबिनेट ने किसानों को लाभान्वित करने और कृषि क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन के लिए निम्न्लिखित ऐतिहासिक निर्णय लिए-

आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन

इसके द्वारा खादयान ,दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्याज और आलू जैसी वस्तुओं को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटा दिया जाएगा। इस व्यवस्था से निजी निवेशक अत्यधिक नियामकीय हस्तक्षेप के भय से मुक्त हो जाएंगे। किसान भी कृषि उत्पादों का इच्छानुसार भण्डारण और विपणन कर सकेंगे।

उत्पादन, भंडारण, ढुलाई, वितरण और आपूर्ति करने की स्वतंत्रता से बड़े पैमाने पर उत्पादन करना संभव हो जाएगा और इसके साथ ही कृषि क्षेत्र में घरेलू और विदेशी निवेश को भी आकर्षित किया जा सकेगा। इससे कोल्ड स्टोरेज, वेयर हाउसेस में निवेश बढ़ाने और खाद्य आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) के आधुनिकीकरण में मदद मिलेगी।

संशोधन में यह व्यवस्था की गई है कि युद्ध, अकाल, असाधारण मूल्य वृद्धि और प्राकृतिक आपदा जैसी स्थितियों में, ऐसे कृषि खाद्य पदार्थों को विनियमित किया जा सकता है। यद्यपि, एक मूल्य श्रृंखला प्रतिभागी की स्थापित क्षमता और एक निर्यातक की निर्यात मांग को इस तरह की स्टॉक सीमा से छूट दी जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कृषि में निवेश हतोत्साहित न हो।

घोषित संशोधन में किसानों और उपभोक्ताओं, दोनों के हितों को ध्यान में रखा गया है और मूल्यों में स्थिरता राखी जा सकेगी। यह भंडारण सुविधाओं की कमी के कारण होने वाली कृषि उपज की बर्बादी को भी रोकेगाऔर खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा मिलेगा।

ये भी पढ़ें:परिवार पर मौत का कहरः पहले पत्नी बच्चों को खिलाया जहर, फिर लगा ली फांसी

किसानो के लिए मुक्त बाजार की व्यवस्था

किसानों को उपज की बिक्री की स्वतंत्रता के लिए और मुक्त व्यापार के लिएसरकार ने एक नवीन 'कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश 2020' को स्वीकृति दी है।

वर्तमान एपी एम सी एक्ट व्यवस्था में कई तरह के नियामक प्रतिबंधों के कारण देश के किसानों को अपने उत्पाद बेचने में काफी कठिनाई आती है। किसान केवल एग्रीकल्चर प्रोडूस मार्केट कमेटी (APMC) की मंडियों में ही अपनी फसल बेच सकते हैं।

अधिसूचित कृषि उत्पाद विपणन समिति वाले बाजार क्षेत्र के बाहर किसानों पर उत्पाद बेचने पर कई तरह के प्रतिबंध हैं। अपने उत्पाद सरकार द्वारा लाइसेंस प्राप्त क्रेताओं को ही बेचने की बाध्यता है।

इसके अतिरिक्त एक राज्य से दूसरे राज्य को ऐसे उत्पादों के व्यापार के रास्ते में भी कई तरह की बाधाएं हैं।

कैबिनेट के फैसले के बाद किसानों के सामने यह मजबूरी खत्म हो गई है। अब किसान को जहां भी उसकी फसल के ज्यादा दाम मिलेंगे, वहां जाकर अपनी फसल बेच सकता है।

अध्यादेश से राज्य के भीतर और बाहर दोनों ही जगह ऐसे बाजारों के बाहर भी कृषि उत्पादों का उन्मुक्त व्यापार सुगम हो जाएगा जो राज्यों के कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) अधिनियम के तहत अधिसूचित हैं।

इससे किसानों को अधिक विकल्प मिलेंगे और उन्हें अपने उत्पादों का उचित मूल्य मिल सकेगा। इससे अतिरिक्त उपज वाले क्षेत्रों में भी किसानों को अपने उत्पाद के अच्छे दाम मिल सकेंगे और साथ ही दूसरी ओर कम उपज वाले क्षेत्रों में उपभोक्ताओं को भी ज्यादा कीमतें नहीं चुकानी पड़ेंगी।

अध्यादेश में कृषि उत्पादों का सुगम कारोबार सुनिश्चित करने के लिए एक ई-प्लेटफॉर्म बनाए जाने का भी प्रस्ताव है।

इस अधिनियम के तहत किसानों से उनकी उपज की बिक्री के लिए कुछ भी कर, उपकर (सेस) या शुल्क नहीं लिया जा।एगा। इसके अलावा, किसानों के लिए एक अलग विवाद समाधान व्यवस्था होगी।

अध्यादेश का मूल उद्देश्य एपी एम सी बाजारों की सीमाओं से बाहर किसानों को कारोबार के अतिरिक्त अवसर उपलब्ध कराना है जिससे कि उन्हें प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण में अपने उत्पादों की अच्छी कीमतें मिल सकें। यह एम एस पी पर सरकारी खरीद की वर्तमान प्रणाली के पूरक के तौर पर काम करेगा।

यह निश्चित रूप से ‘एक देश, एक कृषि बाजार’ बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा। किसानों को प्रसंस्करणकर्ताओं, एग्रीगेटर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा कारोबारियों, निर्यातकों से सम्बद्ध करना।

ये भी पढ़ें: बलिया का संपर्क कटाः पहली बरसात में बहा करोड़ों का इकलौता समपार पुल

कैबिनेट ने एक और महत्वपूर्ण अध्यादेश को स्वीकृति दे दी है। इसका नाम है- ‘मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश, 2020’ अध्यादेश किसानों को शोषण के भय के बिना समानता के आधार पर प्रसंस्करणकर्ताओं (प्रोसेसर्स), एग्रीगेटर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा कारोबारियों, निर्यातकों आदि के साथ जुड़ने में सक्षम बनाएगा।

इससे बाजार की अनिश्चितता का जोखिम प्रायोजक पर हस्तांतिरत हो जाएगा और साथ ही किसानों को आधुनिक तकनीक और बेहतर कृषि आगत उपलब्ध हो सकेंगे। इससे विपणन की लागत में कमी आएगी, बिचौलियों की भूमिका समाप्त होगीऔर किसानो को अपनी फसल का बेहतर मूल्य मिलेगा। किसानों की आय में सुधार होगा।

भूतपूर्व अध्यक्ष अर्थशास्त्र विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय

देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Roshni Khan

Roshni Khan

Next Story