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बलिया का संपर्क कटाः पहली बरसात में बहा करोड़ों का इकलौता समपार पुल
सोनौली- बलिया राजमार्ग के रेलवे समपार संख्या 31 ए पर निर्मित यह उपरिगामी सेतु न सिर्फ जिला अस्पताल व बलिया नगर को जिले के मुख्य सड़कों से जोड़ता है।
बलिया: सोनौली-बलिया राजमार्ग के रेलवे समपार पर निर्मित उपरिगामी सेतु का एक हिस्सा बीती रात्रि पहली बरसात भी झेल नही पाया तथा क्षतिग्रस्त हो गया। देर रात में ध्वस्त होने के कारण एक बड़ा हादसा टल गया।
पुल हुआ ध्वस्त
जिला मुख्यालय पर स्थित इकलौता उपरिगामी सेतु की स्थिति ने स्पष्ट कर दिया है कि जनपद के अधिकारी किस कदर गम्भीर व संवेदनशील हैं। सोनौली- बलिया राजमार्ग के रेलवे समपार संख्या 31 ए पर निर्मित यह उपरिगामी सेतु न सिर्फ जिला अस्पताल व बलिया नगर को जिले के मुख्य सड़कों से जोड़ता है। बल्कि भारी वाहन भी इसी सेतु से होकर गुजरते हैं। रोडवेज बस स्टैंड के सामने जिला न्यायालय गेट से शुरू होने वाला यह सेतु शहरी क्षेत्र में लोगों खासकर दोपहिया से लेकर भारी वाहन के गुजरने का इकलौता मार्ग है। जिस स्थान पर पुल क्षतिग्रस्त हुआ है। उसके समीप ही सिटी अस्पताल है।
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बलिया नगर पालिका परिषद के वार्ड नम्बर एक के सभासद उमेश कुमार कहते हैं कि इस सेतु पर छोटा सा गड्ढा था। लेकिन नगर पालिका परिषद के जिम्मेदार लोगों ने उनके ध्यान दिलाने के बावजूद कोई कदम नही उठाया। जिसके परिणामस्वरूप इस सेतु का एक हिस्सा बीती रात ध्वस्त हो गया। अधिवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि उन्होंने तकरीबन तीन महीने पहले पुल की दयनीय दशा को लेकर नगर मजिस्ट्रेट से लेकर नगर पालिका परिषद के जिम्मेदार लोगों को पत्र देकर जानकारी दी थी कि सेतु की एक तरफ का मिट्टी बहकर नाला में चला जा रहा है। लेकिन उनके पत्र देने व कई बार अनुरोध के बावजूद सम्बंधित अधिकारियों ने कोई कदम नही उठाया।
848 लाख की लागत से बना पुल
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अधिवक्ता ने कहा कि यदि बरसात देर रात के बजाय दिन में किसी समय हुई रहती तो सम्भव था कि बड़ा हादसा हो गया रहता। 848 लाख रुपये की लागत से निर्मित इस सेतु को तत्कालीन प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने पूर्व प्रधानमंत्री मा० चन्द्र शेखर जी की उपस्थिति में आम जन को समर्पित किया था। यह उपरिगामी सेतु एक बानगी है यह दिखाने के लिए कि नौकरशाही अपनी सरकार के मुखिया के निर्देश के पालन के प्रति कितना चौकन्ना व गम्भीर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य लगातार निर्देश दे रहे हैं। लेकिन नौकरशाही को इन निर्देशों की कोई परवाह नही रह गई है।
रिपोर्ट- अनूप कुमार हेमकर