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जी-20: सतत जलवायु के लिए जल संरक्षण

जी-20: दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में, भारत की जी-20 अध्यक्षता; पिछली 17 अध्यक्षता के कार्यकाल की महत्वपूर्ण उपलब्धियों के आधार पर आगे बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

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Published on: 27 March 2023 7:30 PM GMT
जी-20: सतत जलवायु के लिए जल संरक्षण
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Pankaj Kumar Article on G 20 (Photo-Social Media)

जी-20: भारत ने 1 दिसंबर, 2022 को इंडोनेशिया से जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण की। जी-20 नेतृत्व, देश को ग्लोबल वार्मिंग, भोजन और ऊर्जा की कमी, आतंकवाद, भू-राजनीतिक संघर्ष और डिजिटल अंतर को कम करने समेत विभिन्न आकस्मिक स्थितियों से मुकाबला करने के लिए दुनिया को "भारत के प्रयास तथा वर्तमान स्थिति" को सामने रखने का अवसर प्रदान करता है।

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में, भारत की जी-20 अध्यक्षता; पिछली 17 अध्यक्षता के कार्यकाल की महत्वपूर्ण उपलब्धियों के आधार पर आगे बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इस वर्ष की जी-20 थीम "एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य"; भारत के "वसुधैव कुटुम्बकम" (विश्व एक परिवार है) के अंतर्निहित दर्शन को पूरी तरह से व्यक्त करती है। यह दर्शन भारत के जी-20 नेतृत्व का मार्गदर्शन करेगा।

पहली जी-20 पर्यावरण और जलवायु स्थिरता कार्य समूह (ईसीएसडब्ल्यूजी) की बैठक एक सकारात्मक परिणाम के साथ संपन्न हुई, जिसमें सभी जी-20 देशों ने भारत की अध्यक्षता के अंतर्गत पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफएंडसीसी) द्वारा प्रस्तावित विषयों पर अपना समर्थन व्यक्त किया। निम्न उर्वरता भूमि को फिर से उपजाऊ बनाने, समुद्र-तटीय क्षेत्रों में नीली अर्थव्यवस्था के जरिये सतत विकास को बढ़ावा देने, जैव विविधता को बढ़ाने, जंगल की आग और समुद्री कचरे को रोकने, चक्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने आदि विषयों पर हुई गहन चर्चा ने दूसरे शिखर सम्मेलन में अधिक सकारात्मक व दृष्टिगत विचार-विमर्श के लिए मंच तैयार किया है।

जल संसाधन प्रबंधन के सर्वोत्तम तौर-तरीके

अपनी जी-20 की अध्यक्षता के कार्यकाल के दौरान, भारत जलवायु परिवर्तन और जल संकट की चुनौतियों से जुड़े प्रभाव को कम करने के लिए एक एकीकृत, व्यापक और सर्वसम्मति पर आधारित दृष्टिकोण के प्रति आशान्वित है। जल संरक्षण, वास्तव में, भारतीय पहचान और सांस्कृतिक इतिहास का अभिन्न अंग है और वर्तमान समय में यह और अधिक प्रासंगिक हो गया है। पानी की "बचत" करना, केवल जल संरक्षण से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह हम सबकी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त स्वच्छ पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करना है, चाहे समय और स्थान कोई भी हो।

भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने कृत्रिम पुनर्भरण और वर्षा जल संचयन के माध्यम से जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए कई पहलें की हैं। जल जीवन मिशन कार्यक्रम का लक्ष्य, 2024 तक 193 मिलियन से अधिक ग्रामीण परिवारों को नल से पेयजल आपूर्ति की सुविधा प्रदान करना है। हमारे महत्वाकांक्षी नमामि गंगे मिशन ने नदी के कायाकल्प, प्रदूषण में कमी, पारिस्थितिक तंत्र के संरक्षण और नदी बेसिन प्रबंधन के समग्र दृष्टिकोण आदि के सन्दर्भ में मूलभूत बदलाव किये हैं। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने इसे प्राकृतिक जगत को पुनर्जीवित करने के लिए विश्व के शीर्ष 10 कायाकल्प कार्यक्रमों (रेस्टोरेशन फ़्लैगशिप) में से एक के रूप में मान्यता दी है।

अति महत्वपूर्ण जल भंडारण अवसंरचना को जलवायु अनुकूल बनाने के लिए भारत, दुनिया के सबसे बड़े बांध पुनर्वास कार्यक्रम का भी कार्यान्वयन कर रहा है।

इसके अलावा, मांग और आपूर्ति पक्ष से जुड़े कार्यक्रमों के संयोजन के माध्यम से भूजल संसाधनों के दीर्घकालिक स्थायित्व सुनिश्चित करने के लिए, अटल भूजल योजना लागू की जा रही है। यह योजना समुदाय के नेतृत्व में, ग्राम पंचायत-वार जल सुरक्षा योजनाओं के माध्यम से वर्तमान में चल रही/नई योजनाओं के संयोजन के जरिये कार्यान्वित की जा रही है।

इन प्रयासों और कई अन्य योजनाओं के साथ, भारत वर्ष 2047 तक जल सुरक्षित राष्ट्र बनने के लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ रहा है। इस परिदृश्य में, हम दूसरी जी-20 पर्यावरण और जलवायु स्थिरता कार्य समूह (ईसीएसडब्ल्यूजी) बैठक की मेजबानी करने के लिए उत्सुक हैं। यह बैठक जल संरक्षण और सतत तथा समानता आधारित जल संसाधनों के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करेगी।

हमें उम्मीद है कि जल संसाधन प्रबंधन पर वैश्विक सर्वोत्तम तौर-तरीकों और अभिनव विचारों पर चर्चा करने के लिए बैठक में विभिन्न जी-20 देशों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। मुझे विश्वास है कि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत नदी कायाकल्प; जलवायु-अनुकूल अवसंरचना; भूजल प्रबंधन; स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन के माध्यम से स्वच्छता तथा स्वच्छ पेयजल तक सार्वभौमिक पहुंच के लिए रणनीति आदि विषयों पर ध्यान केंद्रित करते हुए होने वाली चर्चाओं से भाग लेने वाले देशों को एक दूसरे से सीखने और सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में तेजी लाने में मदद मिलेगी।

इतिहास और विरासत गुजरात के पर्याय हैं। गौरवशाली गुजरात में कई प्राचीन शहरों के अवशेषों, महलों, किलों और मकबरे मौजूद हैं, जो राजवंशों के भव्य स्वर्ण युग को दर्शाते हैं। रानी की वाव और अडालज वाव की बावड़ी; प्राचीन जल प्रबंधन प्रथाओं को प्रदर्शित करती हैं तथा ये जल संसाधन संरक्षण के लिए भारत की दीर्घकालिक परंपरा की द्योतक हैं। गुजरात, पुराने और नए पारंपरिक जल ज्ञान तथा जल अवसंरचना निर्माण में उपयोग की जाने वाली आधुनिक तकनीकों के मिश्रण के साथ, 20 देशों को एक मूल्यवान मंच प्रदान करेगा, ताकि प्रत्येक देश का सर्वश्रेष्ठ सामने आ सके और प्रत्येक देश से सीखने का अवसर मिल सके।

पंकज कुमार, सचिव, (जल संसाधन विभाग)

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