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बंगाल में टीमएसमी का रक्तचरित्र वापस लौटा?
बंगाल में विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं। ममता बनर्जी ने मुख्यमंत्री पद की तीसरी बार शपथ ले ली हैं।
बंगाल में विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं। ममता बनर्जी ने मुख्यमंत्री पद की तीसरी बार शपथ ले ली हैं। लेकिन साथ ही बंगल में हिंसा का नंगा नाच भी शुरू हो गया है। अब देश के सभी सेकुलर दलों व बुद्धिजीवियों ने चुप्पी साध ली है। बंगाल में अराजकता का वातावरण है। अब कोई पुरस्कार वापसी गैंग सामने नहीं आ रहा। किसी भी विरोधी दल का नेता बंगाल में हिंसा के शिकार हुए परिवार वालों से मिलने के लिए नहीं जा रहा। बंगाल में जिस प्रकार से बीजेपी की महिला कार्यकर्ताओं के साथ व हिंदू समाज की युवतियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म हो रहे हैं तथा उनकी हत्यााएं हो रही हैं उससे पता चल रहा है कि बंगाल की महिला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केवल नाम की ममता हैं।
ममता बनर्जी के मन में मानवता नाम की कोई चीज नहीं है। ममता दीदी को हिंसा का खेला पसंद है। आज बंगाल जल रहा है, अब तक बीस बीजेपी कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा बंगाल का दौरा कर रहे हैं। वहां पर उन्होंने अपने विधायकों के साथ निर्णायक विजय तक संघर्ष करने की शपथ ली है, उनका कहना है कि बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के हाथ खून से सने हुए हैं। बीजेपी ने पूरे देशभर में धरना प्रदर्शन भी किया लेकिन अब धरना-प्रदर्शन से कुछ नहीं होने वाला है। अब बंगाल में चल रहे अराजकता के नंगे नाच को रोकने के लिए कुछ न कुछ कठोर कदम तो केंद्र सरकार को उठाने ही होंगे। नहीं तो अगले विधानसभा चुनावों में बीजेपी को यह फिर से भारी पड़ सकता है। सोशल मीडिया के सभी मंचों पर बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग लगातार की जा रही है।
मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है। बंगाल में हिंसा का दावानल इतना तेज है कि बीएसएफ व अर्धसैनिक बलों के जवानों व उनके आवासों पर भी सामूहिक तरीके से हमले किये जा रहे हैं। यह बेहद दुभाग्यपूर्ण स्थिति है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि बंगाल को देश के अन्य हिस्सों से काटने की साजिश रची जा रही है। चुनाव पारिणामों के बाद सुनियोजित तरीके से हिंदू समाज को निशाना बनाया जा रहा है। बीजेपी कार्यकर्ताओं व समर्थकों के घरों पर हमले हो रहे हैं, लूटपाट की जा रही है तथा दुकानें लूटी जा रही हैं। बीजेपी के कई दफ्तर आग के हवाले किये जा चुके हैं। चुनावों में विजयी व पराजित उम्मीदवारों पर कातिलाना हमले किये जा रहे है। क्या यही लोकतंत्र है? असम और पुडडुचेरी में एनडीए गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला वहां पर कोई हिंसा नहीं हो रही। आखिर बंगाल, केरल और तमिलनाडु में ही हिंसा क्यों हो रही है? यह सेकुलर राजनीतिक दलों के लिए विचारणीय विषय है।
खबर तो यह भी है कि बीजेपी के नवनिर्वाचित विधायकों को वहां की पुलिस धमका रही है। बंगाल में विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद हिंसा का खेला तो होगा यह तय हो गया था जब ममता बनर्जी ने चुनाव प्रचार के समय बाद में देख लेने की धमकी कई अवसरों पर दी थी। ममता बनर्जी का रवैया अभी भी ठीक नहीं हो रहा है शपथग्रहण के बाद उन्होंने एक बार फिर आरोप लगाया कि बंगाल में बाहरी लोग कोरोना लेकर आये। आखिर वह चाहती क्या हैं, उनके दिमाग में क्या चल रहा है? नंदीग्राम में मिली हार को वह स्वीकार नहीं कर पा रही है। पहले उन्होंने कहा कि उन्हें नंदीग्राम का चुनाव परिणाम स्वीकार है और भूल जाइये कि नंदीग्रम में क्या हुआ?
लेकिन थोड़ी ही देर बाद वह पलट जाती है और फिर वहां पर रिकाउंटिंग व दोबारा चुनाव की मांग पर अड़ जाती हैं। उन्हें लग रहा है कि उनके खिलाफ नंदीग्राम में साजिश रची गयी, अगर ऐसा है तो बीजेपी भी कह सकती है कि कम से कम तीस से पचास सीटें ऐसी हैं जहां पर रिकाउंटिंग और पुनर्मतदान की आवश्यकता है। हो सकता है कि आगामी कुछ दिनों में कम से कम तीस सीटों में दोबारा चुनाव व मतदान के लिए बीजेपी हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा भी दे।
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बंगाल की हिंसा के बाद वहां के हिंदू असम की ओर पलायन कर रहे हैं। यह ममता बनर्जी की सवंदेनशीलता और बदले की राजनीति को दर्शाता है। असम के मंत्री और हेमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि एक दुखद घटनाक्रम में तीन सौ से चार सौ बीजेपी बंगाल कार्यकर्ता और परिवार के सदस्य असम के धुबरी में आकर रुके हैं। उन लोगों ने बंगाल में अत्याचार और हिंसा का सामना करने के बाद बार्डर पार किया है। असम सरकार ने बांगल से पलायन कर यहां आ रहे लोगों के लिए शेल्टर होम और खाने-पीने की व्यवस्था की है। ये बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लोकतंत्र का घिनौना नाच है और इन्हें इसे बंद करना चाहिए। बंगाल की लोमहर्षक व दुखद घटनाओं पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग व महिला आयोग ने बंगाल प्रशासन को लताड़ा है और संज्ञान में लिया है। आज बंगाल का हिंदू कराह रहा है, क्या उसे जीवन जीने का, अपनी अभव्चियक्ति की आजादी प्रकट करने का अधिकार नहीं है।
अब बंगाल की मुख्यंमंत्री ममता बनर्जी को अपना नाम बदल देना चाहिए, क्योंकि उनमें मानवता नहीं है, वह एक तानाशाही प्रवृति की महिला हैं। यह उनकी हिटलरशाही सोच है कि राज्य में उनका एक भी विरोधी अपनी आवाज को बुलंद न रख सके और एक भी सीट पर चुनाव न जीत न सके। बंगाल से आ रही रिपोर्टों के अनुसार टीएमसी के गुंडे कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भी हत्या कर रहे हैं। पूरे राज्य में कोहराम मचा हुआ है। लेफ्ट को भी हिंसा का निशाना बनाया जा रहा है। लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है कि आज यही कांग्रेस व लेफ्ट के नेता बंगाल में मोदी व अमित शाह की पराजय का जश्न मना रहे हैं और ममता दीदी की प्रशंसा कर रहे हैं, उनकी तारीफों के पुल बांध रहे हैं। बंगाल में कांग्रेस व लेफ्ट का अस्तित्व समाप्त हो चुका है फिर भी वह बहुत खुश हैं तथा राज्य में भारी हिंसा के बाद भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ एक भी कड़ी निंदा वाला बयान नहीं जारी किया और जो किया भी है वह वास्तव में दिखावटी ही है।
तृणमूल कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता राजनीतिक विरोधियों पर जिस तरह से टूट पड़े हैं, उसकी मिसाल मिलना मुश्किल है। राजनीतिक हिंसा में महिलाओं, बच्चों और वृद्धों तक को नहीं छोड़ा जा रहा है। राज्य में ऐसी कई घटनाएं पुलिस की उपस्थिति में हुई हैं, इसलिए इसमें संदेह नहीं कि यह हिंसा प्रायोजित है।
बंगाल की हिंसा में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य यह भी है कि ममता बनर्जी की पार्टी के कुछ नेता राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ जारी हिंसा को जायज भी ठहरा रहे हैं। तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि दरअसल भाजपा के लोग अपने ही लोगों को मार रहे हैं। एक-दूसरे को पीटकर हार की खीझ निकाल रहे हैं। महिला सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि पागल के हाथ माचिस किसने दी? खुद ममता बनर्जी ने एक बयान में कहा कि बीजेपी पराने वीडियो दिखाकर झूठ फैला रही है, इन लोगों के बयानों से साफ हो रहा है कि बंगाल की हिंसा को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का सीधा संरक्षण प्राप्त है। तृणमूल नेताओं की मानसिकता कितनी विकृत है। ममता दीदी बंगाल की हिंसा से अपने आप को बचा नहीं सकती। बंगाल में हिंदू समाज के कत्लेआम व हिंदू महिलाओं के बलात्कार व हत्या के लिए ममता दीदी ही जिम्मेदार हैं।
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यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि जब फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत ने टि्वटर के माध्यम से बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग की और एक के बाद एक कई ट्वीट किये उनका टि्वटर एकाउंट ही बंद कर दिया गया। टि्वटर भी सच का गला घोंट रहा है, लेकिन वह सच का गला अधिक दिनों तक दबा नहीं सकता। इधर टि्वटर भी हिंदू समाज के खिलाफ काम कर रहा है। अगर कोई हिंदू हित व राष्ट्रवाद की बात करता है तो उसका टि्वटर बंद कर दिया जाता है, जबकि स्वरा भास्कर व डेरेक ओ बायन जैसे लोगों के टिवटर एकाउंट नहीं बंद किये जा रहे। यह हिंदू समाज के खिलाफ दोहरापन चल रहा है, सेकुलर गैंग का।
बंगाल में खेला होबे के बाद खून-खराबे की हिंसा रोकने में ममता दीदी को कोई दिलचस्पी नहीं है, जिसके कारण रक्तरंजित बंगाल कलंकित होने को विवश हो रहा है। बंगाल में हिंसा को रोकने के लिए तथा अगर बंगााल में बीजेपी को पूर्ण विजय प्राप्त करनी है तो केंद्र सरकार को कड़े व ऐतिहासिक कदम उठाने ही होंगे। क्योंकि गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से जो रिपोर्ट तलब की है, उसका जवाब ममता दीदी फिलहाल देने के मूड में नहीं है और न ही वह देंगी। केंद्र सरकार को आज नहीं तो कल आत्मरक्षा हेतु कदम उठाने ही होंगे, नहीं तो वहां पर बीजेपी को कंधा देने वाला कोई नहीं बचेगा।
(यह लेखक के निजी विचार हैं)