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कोस कोस पर पानी बदले 4 कोस पर बानी
अंतर्राष्ट्रीय भाषा दिवस मनाने के पीछे भी एक इतिहास है। आप सबको पता होगा 21 फरवरी 1952 को ढाका यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तत्कालीन पाकिस्तानी सरकार की भाषा नीति का कड़ा विरोध जताते हुए अपनी मातृभाषा का अस्तित्व बनाए रखने के लिए विरोध प्रदर्शन किया।
राजीव गुप्ता जनस्नेही
दुनिया में किसी भी विषय पर एक विशेष दिन बनाने के पीछे उस दिवस का कहानी व इतिहास होता है या उस विषय से सामाजिक सुधार ,कल्याण या उत्थान होता है। आज हम एक ऐसे विशेष दिवस की बात कर रहे हैं जो दुनिया भर में उस देश की संस्कृति और सभ्यता की पहचान को ना केवल बताती है बल्कि दुनिया भर में उस देश की संस्कृति और सभ्यताओं की सम्मान कराती है।
विश्व मातृभाषा दिवस
आज हम विश्व मातृभाषा दिवस की बात कर रहे हैं। हर देश में अपनी अपनी एक या अनेक भाषाएं बोली जाती हैं। हम सभी जानते हैं भाषा मनुष्य के जीवन में बहुत अहमियत एवं भूमिका होती है। भाषा के माध्यम से ही देश ही नहीं बल्कि विदेशों के साथ संवाद स्थापित किया जा सकता है।
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अंतर्राष्ट्रीय भाषा दिवस मनाने के पीछे भी एक इतिहास है। आप सबको पता होगा 21 फरवरी 1952 को ढाका यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तत्कालीन पाकिस्तानी सरकार की भाषा नीति का कड़ा विरोध जताते हुए अपनी मातृभाषा का अस्तित्व बनाए रखने के लिए विरोध प्रदर्शन किया। पाकिस्तान की पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोली की बरसात कर दी जिससे अनेक प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई लेकिन इसके बावजूद भी प्रदर्शनकारी झुके नहीं तब सरकार को बांग्ला भाषा को आधिकारिक दर्जा देना पड़ा।
यूनेस्को ने पहली बार 1999 में 21 फरवरी को मातृभाषा दिवस की घोषणा की
बांग्लादेश में वर्ष 1952 से ही लगातार मातृभाषा या कहे शहीद दिवस मनाया जाता है और इस दिन एक राष्ट्रीय अवकाश भी होता है। मातृभाषा व शहीद युवाओं की स्मृति में यूनेस्को ने पहली बार 1999 में '21 फरवरी को मातृभाषा दिवस ' के रूप में बनाने की घोषणा की।
लेकिन वर्ष 2000 को संयुक्त राष्ट्र आम सभा ने अंतर्राष्ट्रीय भाषा वर्ष घोषित करते हुए 21 फरवरी को ही अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के महत्व को फिर दोहराया। हर देश में इंटरनेशनल मदर लैंग्वेज डे या भाषा डे और लैंग्वेज मूवमेंट डे और भाषा शहीद दिवस के नाम से जाना जाता है।
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विश्व मातृभाषा दिवस के दिन यूनेस्को और यूएन एजेंसियां दुनिया भर में भाषा और कल्चर से जुड़े उस देश की अपनी संस्कृति को एक पहचान ,उत्थान ,युवा पीढ़ी को उस से रूबरू कराना ,वाद विवाद ,लेखन प्रतियोगिता आदि अलग-अलग तरह के कार्यक्रम आयोजित कराते हैं ताकि इस दिवस को मनाने के उद्देश्य की पूर्ति हो और विश्व में भाषाई एवं संस्कृति विविधता और बहु भाषा को बढ़ावा मिले । दुनिया भर में जो सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाई में गर्व की बात है। हिंदी उसमें से एक भाषा है ।
भारत की मातृभाषा
आइए भारत की मातृभाषा के बारे में चर्चा करते हैं।भारत मे एक बड़ी मशहूर कहावत है कोस कोस पर पानी बदले 4 कोस पर बानी यानी भारत में हर 4 कोस पर भाषा के बदलते ही वहां की संस्कृति में कुछ फ़र्क़ हो जाती है।
भारतवर्ष की भाषा के विषय में अनेक तथ्यों से ना केवल रूबरू कराते हैं बल्कि अपनी मातृभाषा को बचाने का प्रयास भी करना चाहिए । जब एक स्थान से दूसरे स्थान पर जब नई बस्ती बसाते हैं तो वे एक से अधिक भाषा बोलने-समझने में सक्षम हो जाते हैं। 43 करोड़ लोग देश में हिंदी बोलते हैं, इसमें 12 फीसद द्विभाषी है और उनकी दूसरी भाषा अंग्रेजी है।हिंदी और पंजाबी के बाद बांग्ला भारत में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है।
14 हजार लोगों की मातृभाषा संस्कृत
बांग्ला बोलने वाले 9.7 करोड़ लोगों में 18 फीसद द्विभाषी हैं। देश में 14 हजार लोगों की मातृभाषा संस्कृत है।हिंदी मॉरीशस, त्रिनिदाद-टोबैगो, गुयाना और सूरीनाम की प्रमुख भाषा है। फिजी की सरकारी भाषा हिंदी है।संयुक्त राष्ट्र के अनुसार विश्व में 6900 लगभग भाषाएं बोली जाती हैं इनमें 90 फ़ीसदी भाषाएं एक लाख से भी कम लोगों द्वारा बोली जाती हैं।
विश्व में 6900 लगभग भाषाएं बोली जाती
दुनिया की कुल आबादी में तकरीबन 60% लोग 30 प्रमुख भाषाएं बोलते हैं जिसमें 10 सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में जापानी अंग्रेजी रूसी हिंदी बांग्ला पुर्तगाली अरबी पंजाबी मंदारिन और स्पेनिश है। अगले 40 साल वर्ष में 4000 से अधिक भाषाओं के खत्म होने की संभावना है।
गैर सरकारी संगठन भाषा ट्रस्ट के संस्थापक और लेखक गणेश डेवी ने गहन शोध के बाद एक रिपोर्ट मैं बताया शहरीकरण और प्रवास की भागम भाग में करीब 230 भाषाओं का नामोनिशान मिट गया है। वर्ष 1961 की जनगणना के अनुसार भारत में 1652 भाषाएं बोली जाती थी जो 4 कोच वाली कहावत को सिद्ध करती हैं।
भारत में अब 1365 मातृभाषा
हाल में ही कुछ वर्ष पूर्व एक जनगणना के अनुसार भारत में अब 1365 मातृभाषा है जिनका क्षेत्रीय आधार के अनुसार बोली जाती हैं। हम सभी जानते हैं भारत विविधताओं रूप रंग संस्कृति भाषा और परिधान का देश है लेकिन समर्पिता में समग्रता हिंदी भाषा हमारी अपनी पहचान है।
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29 ऐसी भाषा है हैं उसको 10 लाख से ज्यादा लोग बोलती हैं भारत में सात ऐसी भाषाएं बोली जाती हैं जिनको बोलने वालों की संख्या एक लाख से ज्यादा है भारत में 122 ऐसी भाषाएं हैं जिनको बोलने वालों की संख्या 10,000 से ज्यादा है करीब 42.2 करोड़ लोग भारत की मातृभाषा हिंदी का उपयोग करते हैं यानी दुनिया भर में करीब 4.46 % लोग सिर्फ हिंदी का उपयोग करते हैं अर्थात 63.8 करोड़ लोग लोगों की अन्य मातृभाषा है ।
2500 भाषाओ का अस्तित्व खत्म होने के कगार पर
भारत ही नहीं अन्य देश भी अपनी भाषाओं को ना केवल खो रहे हैं बल्कि उससे जुड़ी हुई पहचान के अस्तित्व को भी धूमिल कर रहे हैं। दुनिया भर में ऐसी 2500 भाषाएं हैं जो अपने अस्तित्व के खत्म होने के कगार पर पहुंच गई हैं।
आज विश्व मातृभाषा दिवस पर हम सब भारतीयों की ज़िम्मेदारी हैं हम अपनी मातृभाषा का इस्तेमाल करे बल्कि प्रचार भी करे जिस तरह से भारत में साहित्यिक मंचों का गठन हो रहा है। हमको आशा नही विश्वास है, भारत की मातृभाषा दिन दूनी रात चोगनी बढ़ाये। विश्व मातृभाषा दिवस पर सभी को बहुत बधाई व शुभकामना।
(ये लेखक के निजी विचार हैं)