TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

बागी हैं ये ! बगावत काम है इनका...

निरंकुश रूस में नेता-विपक्ष 44-वर्षीय एलेक्सी नवलनी आज शौर्य के पर्याय हैं। प्रतिरोध के समतुल्य हैं। जेल उनका दूसरा घर हो गया है।

Shivani Awasthi
Published on: 27 Jan 2021 8:46 PM IST
बागी हैं ये ! बगावत काम है इनका...
X

के. विक्रम राव

के. विक्रम राव

भारतीय राजनेता जो बिना यातना भुगते, कारागार गये, संघर्ष किये सत्ता की लिप्सा पालते है, उनके लिये रूस के नेता-विपक्ष 44-वर्षीय एलेक्सी नवलनी प्रेरणा के स्रोत हैं, एक उदाहरण हैं। निरंकुश रूस में वे आज शौर्य के पर्याय हैं। प्रतिरोध के समतुल्य हैं। जेल उनका दूसरा घर हो गया है। राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतीन नवलनी का मरा मुंह देखने को तरस रहें हैं। तानाशाह स्टालिन की आतंकी गुप्तचर संस्था केजीबी में वर्षों तक कर्नल रहे पुतीन ने कम्युनिस्ट युग में कथित राज्यशत्रुओं के नसों में चढ़ाने वाली विष ‘‘नोविचोक‘‘ नवलनी को दिया। विश्वमत के दबाव में नवलनी को बर्लिन सुश्रुषा हेतु भेजा गया। वहां प्रधानमंत्री एंजेला मार्कल ने चिकित्सा की व्यवस्था करायी।

राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतीन नवलनी का मरा मुंह देखने को तरस रहें

सेहत कुछ सुधरते ही नवलनी जिद कर के स्वराज आ गये। मास्को के हवाई अड्डे पर उतरते ही उन्हें नजरबंद कर लिया गया। इस कैद के विरूद्ध हजारों रूसी जन सड़कों पर उतर आये। उनकी पत्नी यूलिया तथा सास लुडामिला भी गिरफ्तार हो गये। शून्य से पचास डिग्री नीचे बर्फीले मौसम की अनदेखी कर ये प्रदर्शनकारी पुतीन-विरोधी नारे लगा रहे थे। सत्ता केन्द्र क्रेमलिन से बस दो किलोमीटर दूर है यह चौराहा जिसे अमर सहित्यकार एलेक्सेंडर पुश्किन के नाम 1937 में रखा गया था।

ये भी पढ़ेंः इस आंदोलन का ‘महात्मा गांधी’ कौन है ?

मास्को में पुश्किन चौक से क्रेमलिन तक मई दिवस

आईएफडब्ल्यूजे के अपने चौतीस पत्रकार साथियों के साथ मैं मई 1984 में यूरोप यात्रा पर मास्को में पुश्किन चौक से क्रेमलिन तक मई दिवस मनाने हम सब पैदल चले थे। इनमें हसीब सिद्दीकी, सुनीता एैरन, मदन मोहन बहुगुणा, रवीन्द्र सिंह, शीतला सिंह (फैजाबाद), राजीव शुक्ल (कानपुर जागरण, आज कांग्रेसी और क्रिकेट नेता), राजेन्द्रपाल सिंह कश्यप (बिजनौर), इम्तियाज अली खां (शाहजहांपुर) आदि उत्तर प्रदेश से थे। बुडापेस्ट (हंगरी) में आईएफडब्ल्यूजे की ओर से प्रेषित प्रशिक्षु शरत प्रधान अपनी पत्नी स्व. कामिनी के साथ शामिल थे। तब मैं हैदराबाद में ‘‘टाइम्स आफ इंडिया‘‘ का संवाददाता था और आईएफडब्ल्यूजे का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी। तभी सोवियत प्रधानमंत्री कोन्स्टेन्टिन चेर्नेंको के नामित उत्तराधिकारी मिखायल गोबीचोव सत्तारूढ हो रहे थे।

ये भी पढ़ेंः कोरोनाः भारत दयालु महाशक्ति

एलेक्सी नवलनी का अभियान चल रहा जोरों से

आज जोरों से एलेक्सी नवलनी का अभियान चल रहा है कि पुतीन को भ्रष्ट तरीकों से आकूत धन संग्रह करने और वाणी स्वतंत्रता खत्म करने के अभियोग में दण्डित किया जाये। वह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतीन और पुतीन की सरकार में भ्रष्टाचार के खिलाफ सुधारों की वकालत करने के लिए, प्रदर्शनों का आयोजन और न्यायिक प्रक्रिया चलाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय हैं। ‘‘द वॉल स्ट्रीट जनरल‘‘ द्वारा नवलनी को व्लादिमीर पुतीन का सबसे ज्यादा डर बताया गया है। उधर पुतीन सीधे नवलनी का नाम से जिक्र करने से बचते हैं। नवलनी रूसी विपक्षी समन्वय परिषद के सदस्य हैं। वह भ्रष्टाचार निरोधक फाउंडेशन के संस्थापक हैं।

ये भी पढ़ें-ट्रैक्टर परेड में तिरंगे का अपमान, कोई भी नहीं रहा पीछे, इस वीडियो से देश में गुस्सा

नवलनी को गत वर्ष नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित कया गया था। उनके पांच लाख से अधिक यू-टूब ग्राहक है और बीस लाख से अधिक ट्विटर अनुयायी हैं। इन चैनलों के माध्यम से, वह रूस में भ्रष्टाचार के बारे में सामग्री प्रकाशित करतें हैं, राजनीतिक प्रदर्शन आयोजित करते हैं और अपने अभियानों को बढ़ावा देता है। एक रेडियो (2011) साक्षात्कार में उन्होंने रूस की सत्तारूढ़ पार्टी ‘‘संयुक्त रूस‘‘ को ‘‘बदमाश और चोरों की पार्टी‘‘ के रूप में वर्णित किया, जो एक कहावत बन गयी। अतः उन्हें भविष्य के चुनावों में भाग लेने से रोक दिया गया। मानव अधिकार के यूरोपीय न्यायालय ने फैसला दिया था कि उन पर चलाये गये मुकदमों की निष्पक्ष सुनवाई करने के लिए नवलनी के अधिकार का उल्लंघन हुआ है।

नवलनी मॉस्को ने महापौर चुनाव में पाए थे 27 प्रतिशत वोट

वहीं नवलनी मॉस्को महापौर चुनाव में 2013 में लड़े और 27 प्रतिशत वोट पाकर दूसरे स्थान पर आये। वे 2016 दिसम्बर के चुनाव के दौरान रूस के राष्ट्रपति के लिए प्रत्याशी थे, लेकिन केंद्रीय चुनाव आयोग और बाद में एक झूठे आपराधिक दोष के कारण सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उन पर रोक लगा दी गई।

ये भी पढ़ें- सात समंदर पार यूपी के इस शहर की पहचान, कृष्ण की बांसुरी की है यहां डिमांड

आगामी राष्ट्रपति चुनाव में नवलनी प्रत्याशी है। पर निर्वाचन आयोग ने उनकी पार्टी का पंजीकरण निरस्त कर दिया। एमनेस्टी इन्टर्नेशनल ने उन्हें अंतरात्मा का कैदी करार दिया। नवलनी को रूस के दूरस्थ प्रान्तों में अपार जनसम्पर्क मिल रहा है। पुतीन हर बार कानून बदल कर कभी राष्ट्रपति और कभी प्रधानमंत्री बन जातें हैं। वह भी निर्विरोध। इस महाशक्ति के चुनावी ढकोसले में सोवियत कम्युनिस्ट शासक से भी अत्यधिक निरंकुशता है। पर सुनवायी कहां होगी? फिर भी इतनी आशा है कि देर से सही न्याय मिलेगा। विश्व जनमत के समर्थन से।



\
Shivani Awasthi

Shivani Awasthi

Next Story