TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

किसानों लिये एक नई आजादी की शुरूआत

एक किसान पुत्र के रूप में बचपन में मेरे द्वारा देखा गया सपना आज साकार हो रहा है। बचपन में जब मैं मंडी जाता था और व्यापारियों द्वारा बोली लगाकर धान की खरीद फरोख्त देखता तो मन में अक्सर यह विचार आता था कि काश हम भी इस मंडी के अलावा कहीं भी ऐसी जगह जाकर अपना अनाज बेच पाते जहां हमें इस मंडी से बेहतर और उचित दाम मिल सके।

Newstrack
Published on: 24 Sept 2020 1:56 AM IST
किसानों लिये एक नई आजादी की शुरूआत
X
वर्तमान केन्द्र सरकार द्वारा आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत कृषि के आधारभूत ढांचे के निर्माण के लिये एक लाख करोड़ की विशाल धनराशि स्वीकृत की गई है।

कैलाश चौधरी

एक किसान पुत्र के रूप में बचपन में मेरे द्वारा देखा गया सपना आज साकार हो रहा है। बचपन में जब मैं मंडी जाता था और व्यापारियों द्वारा बोली लगाकर धान की खरीद फरोख्त देखता तो मन में अक्सर यह विचार आता था कि काश हम भी इस मंडी के अलावा कहीं भी ऐसी जगह जाकर अपना अनाज बेच पाते जहां हमें इस मंडी से बेहतर और उचित दाम मिल सके। लेकिन कानूनों की पाबंदी ऐसा करने नहीं देती थी। आज मेरा वो सपना फलीभूत हो गया है। प्रधानमंत्री मोदीजी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने किसानों को नई आजादी प्रदान की है और उन्हें यह हक दिया है कि वे अपनी उपज कहीं भी किसी भी व्यक्ति या संस्था को बेच सकते हैं जहां उन्हें इच्छित एवं उचित मूल्य मिल सके।

नये कानून और उनके मुख्य प्रावधान-

वर्तमान केन्द्र सरकार द्वारा आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत कृषि के आधारभूत ढांचे के निर्माण के लिये एक लाख करोड़ की विशाल धनराशि स्वीकृत की गई है। अनेक नवीन योजनाओं का सूत्रपात किया गया है और कानूनों का सरलीकरण कर ऐसे कानून बनाये जा रहे हैं्र जिससे किसानों को उनका वाजिब हक मिले और खेत में लहलहाती फसल के समान ही उनकी जिंदगी भी समृद्धि की हरियाली में लहलहा सके।

केन्द्र सरकार द्वारा कृषि उत्पाद एवं व्यापार वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक-2020 प्रस्तुत किया गया जो लोकसभा ने दिनांक 17 सितंबर को पारित कर दिया और राज्यसभा ने भी दिनांक 20 सितंबर को पारित कर दिया। यह नया

विधेयक एक किसान को यह आजादी देता है कि वह अपनी उपज देश में कहीं भी किसी भी पेनकार्ड धारक को बेच सकता है। इस विधेयक के माध्यम से देश में किसान अपनी उपज को किसी भी ऐसे स्थान पर बेच सकता है जहां उसे सर्वोत्तम मूल्य मिल सके। साथ ही यह विधेयक कृषि व्यापारियों एवं खाद्य प्रसंस्करणकर्ताओं आदि को भी लाभ पहुंचायेगा क्योंकि वे अब अपनी औद्योगिक इकाई या गोदाम के आसपास ही किसानों से कृषि उपज खरीद सकेंगे जिससे बिचैलिये कम हो जायेगकोरोना काल में जहां अधिकांश व्यापार बंद थे और कुछ समय के लिये मंडियां भी बंद थी तब यद्यपि थोड़ी परेशानी हुई परंतु धीरे धीरे कृषि क्षेत्र में सरकार द्वारा प्राप्त विशेष रियायतों के परिणामस्वरूप कार्य आरंभ हो गया।

कई बार मंडियों में व्यापारी किसान की इस मजबूरी का फायदा उठाते रहे कि वो किसान संबंधित मंडी के अलावा और कई जा नहीं पायेगा। इससे बिचैलियों और कई व्यापारियों को अपनी मनमानी करने का अवसर मिल जाता था। ऐसे में किसान को अपनी लागत के अनुसार फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाता था। साथ ही यह भी देखा गया है कि हरेक गांव या कस्बे में मंडी नहीं है और लाखों किसान तो ऐसे भी हैं जिनके यहां से मंडी की दूरी भी बहुत होती है। ऐसे में किसान के लिये अपनी फसल को वहां लेकर जाना भी एक दुस्कर एवं महंगा कार्य हो जाता है। किसान की इस मजबूरी का फायदा बिचैलिये और मुनाफाखोर उठाते हैं तथा सस्ते दामों में ही किसानों की उपज को खरीद कर तेज भाव आने पर मंडी मंे जाकर बेचते हैं। नये कानून के तहत अब किसान को इस मजबूरी से मुक्ति मिल गई है। दूर मंडी में जाने के बजाय वो अगर चाहे तो अपने पास में ही किसी खाद्य औद्योगिक इकाई को सीधे ही अपना माल बेच सकता है।

यह भी पढ़ें...केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने CM रावत से की जल जीवन मिशन के कार्यान्‍वयन पर चर्चा

नया कानून ना सिर्फ किसानों के लिये खुशहाली लाया है बल्कि कृषि से संबंधित कार्य कर रहे खाद्य प्रसंस्करणकर्ताओं, निर्यातकों एवं थोक व्यापारियों के लिये भी वरदान साबित हुआ है। अब वे अपनी औद्योगिक इकाई या गोदाम के आसपास ही वहां के किसानों से सीधे ही कानूनी रूप से फसल खरीद सकते हैं और इस प्रकार खरीद फरोख्त की इस श्रंृखला में बिचोलियों के कम हो जाने से किसान और व्यापारी दोनों की लागत घटेगी और इससे दोनों को परस्पर फायदा होगा। जीएसटी के माध्यम से केन्द्र सरकार ने एक देश एक बाजार का जो सपना देखा है वो अब कृषि सहित सभी क्षेत्रों में पूरा हो रहा है।

महामारी के संकट के दौर में देश की करीब 1.30 अरब आबादी को खाने-पीने चीजों समेत रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र की अहमियत काफी हद तक महसूस की गई। यही वजह थी कि कोरोनावायरस संक्रमण की रोकथाम को लेकर जब देशव्यापी लॉकडाउन किया गया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार ने कृषि व संबद्ध क्षेत्रों को इस दौरान भी छूट देने में देर नहीं की। फसलों की कटाई, बुवाई समेत किसानों के तमाम कार्य निर्बाध चलते रहे।

यह भी पढ़ें...कृषि सुधार बिल से किसानों को मिलेगी बिचौलिओं से मुक्ति, खुलेंगे नए रास्ते

मगर, लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में कई राज्यों में एपीएमसी द्वारा संचालित जींस मंडियां बंद हो गई थीं, जिससे किसानों को थोड़ी कठिनाई जरूर हुई। इस कठिनाई ने सरकार को किसानों के लिए सोचने का एक मौका दिया और इस संबंध में और सरकार ने और अधिक विलंब नहीं करते हुए कोरोना काल की विषम परिस्थिति में किसानों के हक में फैसले लेते हुए कृषि क्षेत्र में नए सुधारों पर मुहर लगा दी।

मोदी सरकार ने कोरोना काल में कृषि क्षेत्र की उन्नति और किसानों के समृद्धि के लिए तीन अध्यादेश लाकर ऐतिहासिक फैसले लिए हैं, जिनकी मांग कई दशक से हो रही थी। इन फैसलों से किसान और कारोबारी दोनों को फायदा मिला है क्योंकि नए कानून के लागू होने के बाद एपीएमसी का एकाधिकार समाप्त हो जाएगा और एपीएमसी मार्केट यार्ड के बाहर किसी भी जींस की खरीद-बिक्री पर कोई शुल्क नहीं लगेगा जिससे बाजार में स्पर्धा बढ़ेगी। कृषि बाजार में स्पर्धा बढ़ने से किसानों को उनकी फसलों को बेहतर व लाभकारी दाम मिलेगा।

यह भी पढ़ें...PM मोदी की 7 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ अहम बैठक, कहीं ये महत्वपूर्ण बातें

केंद्र सरकार ने अध्यादेश के माध्यम से आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में बदलाव किया है जिससे खाद्यान्न दलहन, तिलहन व खाद्य तेल समेत आलू और प्याज जैसी सब्जियों को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटा दिये हैं। इस फैसले से उत्पादक और उपभोक्ता दोनों को लाभ मिलेगा। अक्सर ऐसा देखा जाता था कि बरसात के दिनों में उत्पादक मंडियों में फसलों की कीमतें कम होने से किसानों को फसल का भाव नहीं मिल पाता था जबकि शहरों की मंडियों में आवक कम होने से उपभोक्ताओं को उंचे भाव पर खाने-पीने की चीजें मिलती थीं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि कारोबारियों को सरकार की ओर से स्टॉक लिमिट जैसी कानूनी बाधाओं का डर नहीं होगा जिससे बाजार में मांग और आपूर्ति के बीच समन्वय बना रहेगा।

नए कानून में इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग और इससे जुड़े हुए मामलों या आकस्मिक उपचार के लिए एक सुविधाजनक ढांचा प्रदान करने का भी प्रावधान है। साथ ही विवादों के निपटारे के लिये भी उचित, सरल एवं समयबद्ध उपाय किये गये हैं। एक महत्वपूर्ण कानून और भी बनाया जा रहा है जो कि मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा पर किसान (सशक्तिकरण एवं सरलीकरण) करार विधेयक-2020 कृषि समझौतों पर एक राष्ट्रीय ढांचा प्रदान करता है जो कृषि-व्यवसाय फर्मों, प्रोसेसर, थोक व्यापारी, निर्यातकों या कृषि सेवाओं के लिए बड़े खुदरा विक्रेताओं और आपस में सहमत पारिश्रमिक मूल्य ढांचे पर भविष्य में कृषि उपज की बिक्री के लिए स्वतंत्र और पारदर्शी तरीके से किसानों की रक्षा करता है और उन्हें अधिकार प्रदान करता है।

कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने में यह कानून काफी अहम साबित होगा क्योकि व्यावसायिक खेती वक्त की जरूरत है। खासतौर से छोटी जोत वाले व सीमांत किसानों के लिए ऐसी फसलों की खेती नामुमकिन है जिसमें ज्यादा लागत की जरूरत होती है और जोखिम ज्यादा होता है। नये कानूनों से किसान अपना यह जोखिम अपने कॉरपोरेट खरीदारों के हवाले कर सकते हैं। इस प्रकार, व्यावसायिक खेती किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।

यह भी पढ़ें...कोरोना पर अच्छी खबर: नए संक्रमितों के मुकाबले बढ़ रही ठीक होने वालों की संख्या

मोदी सरकार ने इन कानूनी बदलावों के साथ-साथ कृषि क्षेत्र के संवर्धन और किसानों की समृद्धि के लिए कोरोना काल में कई अन्य महत्वपूर्ण फैसले भी लिए हैं जिनमें कृषि क्षेत्र में बुनियादी संरचना तैयार करने के लिए एक लाख करोड़ रुपये के कोष की व्यवस्था काफी अहम हैं। इस कोष से फार्म गेट इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने का प्रावधान है। दरअसल, खेत से लेकर बाजार तक पहुंचने में कई फसलें व कृषि उत्पाद 20 फीसदी तक खराब हो जाती हैं। इन फसलों व उत्पादों में फल व सब्जी प्रमुख हैं। इसलिए सरकार ने फॉर्म गेट इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने पर जोर दिया है ताकि फसलों की इस बर्बादी को रोककर किसानों को होने वाले नुकसान से बचाया जाए।

खेतों के आसपास कोल्ड स्टोरेज, भंडारण जैसी बुनियादी सुविधा विकसित किए जाने से कृषि क्षेत्र में निजी निवेश आकर्षित होगा और खाद्य प्रसंस्करण का क्षेत्र मजबूत होगा। खेतों के पास अगर प्रसस्ंकरण संयंत्र लगने से एक तरफ उनकी लागत कम होगी तो दूसरी तरफ किसानों को उनकी उपज का अच्छा दाम मिलेगा। इतना ही नहीं, इससे कृषि क्षेत्र में प्रच्छन्न बेरोजगारी की समस्या भी दूर होगी।

कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों की समस्या विकराल बन गई, जिस पर राजनीति तो सबने की लेकिन इस समस्या के समाधान की दृष्टि किसी के पास नहीं थी। दरअसल, गांव से शहर की तरफ या एक राज्य से दूसरे राज्य की तरफ श्रमिकों का पलायन रोजगार की तलाश में ही होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समस्या का स्थाई समाधान तलाशने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं के विकास में जोर दिया है ताकि गांवों के आसपास वहां के स्थानीय उत्पादों पर आधारित उद्योग लगे और लोगों को रोजगार मिले। इस प्रकार भारत सरकार ने कृषि क्षेत्र को अवसर में बदलने की कोशिश की है जिसके नतीजे आने वाले दिनों में देखने को मिलेंगे और ग्रामीण अर्थव्यवस्था देश के आर्थिक विकास की धुरी बनेगी और यह अधिनियम ही किसान के जीवन को बदलने वाला होगा।

यह भी पढ़ें...योगी सरकार का बड़ा फैसला, धीरे-धीरे पुलिस विभाग का हो जाएगा डिजिटाइजेशन

मेरे देश का किसान मजबूत है और उनके पास ज्ञान और क्षमता की कोई कमी नहीं है। अपने फैसले खुद लेने के लिये किसान सक्षम है। खुद के फैसले लेने के लिये केन्द्र सरकार नई योजनाओं एवं नये कानूनों के माध्यम से किसानों को यह अधिकार भी दे रही है। केन्द्र सरकार की नई योजना ‘किसान उत्पादक संघठन’ यानि एफपीओ के माध्यम से किसान स्वयं विधिक रूप से अपने संगठन बना कर अपनी उपज का मूल्य और उसके लिये बाजार खुद निर्धारित कर सकते हैं। अब किसान का भाग्य का निर्धारण कोई और नहीं करेगा बल्कि किसान स्वयं ही अपना भाग्य विधाता होगा।

लेखक- (केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री हैं)

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



\
Newstrack

Newstrack

Next Story