Uniform Civil Code: समय की प्रबल आवश्यकता है समान नागरिक संहिता

Uniform Civil Code: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार अब भारत देश के हित में लिया गया अपना एक और संकल्प पूरा करने की ओर अग्रसर है और यह संकल्प है समान नागरिक संहिता का। देश लम्बे समय से समान नागरिक संहिता कानून मांग रहा है, देश के न्यायालय भी ऐसा ही चाहते हैं और सबसे बड़ी बात है कि समान नागरिक संहिता संविधान सम्मत है।

Mrityunjay Dixit
Published on: 28 Jun 2023 1:53 PM GMT
Uniform Civil Code: समय की प्रबल आवश्यकता है समान नागरिक संहिता
X
समय की प्रबल आवश्यकता है समान नागरिक संहिता : Photo- Social Media

Uniform Civil Code: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार अब भारत देश के हित में लिया गया अपना एक और संकल्प पूरा करने की ओर अग्रसर है और यह संकल्प है समान नागरिक संहिता का। देश लम्बे समय से समान नागरिक संहिता कानून मांग रहा है, देश के न्यायालय भी ऐसा ही चाहते हैं और सबसे बड़ी बात है कि समान नागरिक संहिता संविधान सम्मत है।

सुप्रीम कोर्ट ने बार- बार कहा है कि कॉमन सिविल कोड लाओ- प्रधानमंत्री मोदी

भोपाल में भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए आयोजित “मेरा बूथ सबसे मजबूत“ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात के संकेत दे दिये हैं कि अब सरकार समान नागरिक संहिता पर तीव्र गति से आगे बढ़ रही है और 2024 लोकसभा चुनाव से पूर्व ही संसद के आगामी सत्रों में सदन से पारित करवाया जा सकता है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एकदम साफ कहा कि कुछ विरोधी दल जो तुष्टिकरण करते हैं तथा मुस्लिम समाज को केवल अपना वोटबैंक समझते हैं वही यूनिफार्म सिविल कोड के नाम पर मुसलमानों को भड़का रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक घर में एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे के लिए दूसरा हो तो घर चल पाएगा क्या? तो ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा ? प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बार- बार कहा है कि कॉमन सिविल कोड लाओ लेकिन वोटबैंक की राजनीति करने वालों ने हमेशा इसका विरोध किया है।

विदेशी साजिश के तहत समान नागरिक संहिता का विरोध- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

उधर देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी पिछले दिनों एक कार्यक्रम में कहा था कि एक बड़ी व विदेशी साजिश के तहत समान नागरिक संहिता का विरोध किया जा रहा है। रक्षा मंत्री ने जो कड़े तेवर दिखाये है उससे भी यह संदेश जा रहा है कि अब समान नागरिक संहिता बहुत ही जल्द भारत का कानून बन जायेगा।

सरकार समान नागरिक संहिता पर बहुत ही सतर्कता व तर्कों के साथ आगे बढ़ रही है ताकि उसका विरोध ठंडा हो जाये। यही कारण है कि सबसे पहले केंद्रीय विधि आयोग की ओर से समान नागरिक संहिता पर आम नागरिकों व धार्मिक संस्थाओं से संहिता के सन्दर्भ में उनके सुझाव व विचार मांगे गये हैं ताकि भारत के सभी नागरिकों, समाजों, पंथों और मजहबों, पर समान कानून लागू हो सके। आम जनता अपने मोबाइल, लैपटाप आदि के माध्यम से विधि आयोग की वेब साइट पर जाकर आने विचार साझा कर सकती है। विधि आयोग की यह पहल सार्वजनिक होते ही मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाली सभी संस्थाओं नेताओं, सांसदों व विधायकों ने झूठ पर आधारित बयान देने की श्रृंखला प्रारम्भ कर दी है और यह अनवरत जारी है।

भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के समय से ही समान नागरिक संहिता उसके तीन मूल ध्येयों में से एक रहा है। 2014 से 2019 तक केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद अब तक वह दो प्रमुख ध्येय प्राप्त कर चुकी है । पहला अयोध्या में श्री रामजन्मभूमि मुक्त हो चुकी है और वहां भव्य राम मंदिर का निर्माण प्रगति पर है और दूसरा जम्मू- कश्मीर से धारा -370 हट चुकी है और अब सरकार समान नागरिक संहिता पर आगे बढ़ रही है।

वर्तमान में समान नागरिक संहिता कानून भारत के गोवा राज्य में लागू है जबकि गुजरात व उत्तराखंड में प्रक्रिया चल रही है। उत्तराखंड में एक आयोग इस विषय पर आम जनता से मंत्रणा कर रहा है और उसकी रिपोर्ट 30 जून तक आ जाएगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि उत्तराखंड की जनता से किया गया हर वादा हर हाल में पूरा किया जायेगा और राज्य में जल्द ही समान नागरिक संहिता को लागू किया जायेगा। गुजरात और उत्तराखंड में विधानसभा चुनावों से ऐन पहले भाजपा ने समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए आयोग गठित करके जनता को एक संदेश दिया था जिसका लाभ भी भारतीय जनता पार्टी को चुनावों में मिला था। मुख्यमंत्री धामी का कहना है कि इसी कानून में जनसंख्या नियंत्रण भी आ सकता है जो सभी को मानना अनिवार्य हो जाएगा।

संविधान का अनुच्छेद- 44

केंद्र सरकार ने इससे पूर्व भी 21वें विधि आयोग से समान नागरिक संहिता पर सुझाव मांगे थे तब विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि, “अभी देश में समान नागरिक संहिता की जरूरत नही है।“ लेकिन अब 22वें विधि आयोग ने एक बार फिर समान नागरिक संहिता पर अपनी पहल प्रारम्भ की है। इससे पूर्व 1985 में शाहबानो प्रकरण और फिर 2015 में भी सुप्रीम कोर्ट समान नागरिक संहिता पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कानून बनाने की बात कह चुका है। संविधान के अनुच्छेद -44 में भी समान नागरिक संहिता लागू करने की बात कही गयी है। इस अनुच्छेद का उद्देश्य संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य के सिद्धांत का पालन करना है।

समान नागरिक संहिता का उल्लेख भारत के संविधान के भाग- 4 के अनुच्छेद 44 में है। इसमें नीति निर्देश भी दिया गया है कि समान नागरिक संहिता कानून लागू करना हमारा लक्ष्य होगा। भारत के संविधान निर्माता डा. भीमराव अम्बेडकर ने भी संविधान सभा की बैठकों में समान नागरिक संहिता के पक्ष में जोरदार बहस की थी किंतु नेहरू जी की वजह से उनका प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया था। बाबा साहब ने कहा था,“ मैं व्यक्तिगत रूप से समझ नहीं पा रहा हूं कि क्यों धर्म को इस विशाल व्यापक क्षेत्राधिकार के रूप में महत्व दिया जाना चाहिए जो असमानता, भेदभाव और अन्य चीजों से भरा है जो हमारे मौलिक अधिकारों के साथ संघर्ष कर रहा है? हमारी सामाजिक व्यवस्था में सुधार करने के लिए हमें यह स्वतंत्रता प्राप्त हो रही है, हम क्या कर रहे हैं इस स्वतंत्रता के लिए?“

समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद

समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद नागरिकों में समानता का भाव आएगा। इसका सबसे अधिक लाभ मुस्लिम महिलाओं को होगा पुरुषों को चार शादियों का अधिकार, हलाला, उत्तराधिकार जैसे विषयों में उन्हें अन्य महिलाओं के समान ही अधिकार मिलेंगे। समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद मजहब आधारित पर्सनल ला बोर्ड समाप्त हो जाएंगे। हिजाब और फतवों की राजनीति मंदी पड़ेगी। यही कारण है कि धर्मनिरपेक्षता का पाखण्ड करने वाले सभी दल गोलबंद होकर मुस्लिम समाज को भड़काने के लिए निकल चुके हैं।

भारत में समान नागरिक संहिता का विरोध केवल मजहबी आधार पर व मजहबी राजनीति को चमकाने के लिये किया जा रहा है जबकि यह अमेरिका, आयरलैंड, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की, इंडोनेशिया, सूडान, मिस्र आदि जो धर्मनिरपेक्ष देश है जहां पर भी समान नागरिक संहिता लागू है।भारत में ही क्यों विरोध हो रहा है? यह समझने व समझाने की आवश्यकता है।

Mrityunjay Dixit

Mrityunjay Dixit

Next Story