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राजनीति ही सही, यूपी में किसानों की अभी और चांदी कटेगी
डीएम सीधे राज्य सरकार के लिए काम करता है। वह होता तो भारत सरकार का कर्मचारी लेकिन अधीनता राज्य सरकार की रहती है। यूपी में योगी सरकार ने धान खरीदने के लिए अच्छा प्रयास किया।
पुतान सिंह
लखनऊ: यहां हम बात देश भर की नहीं बल्कि सिर्फ उत्तर प्रदेश की कर रहे हैं। यहां एमएसपी पर धान बेचने के लिए किसानों को ज्यादा पापड नहीं बेलने पडे। वजह, यहां कुछ माह बाद चुनाव का शंखनाद होने वाला है। वैसे विधानसभा चुनाव फरवरी 2022 के आसपास होने हैं लेकिन तैयारी अभी से शुरू हो गई है। किसानों को लुभाने का दौर जारी है। पंजाब के किसान भले आंदोलन कर रहे हों लेकिन यूपी के किसान कुछ खास हल्ला नहीं मचा रहे हैं। कारण कई हो सकते हैं।
चुनाव के समय लाभ
बडा कारण यूपी का किसान आम तौर पर खुद को हमेशा परेशान रहने की परंपरा मान चुका है। अगर चुनाव के समय लाभ मिल जाता है तो उसे अम्रत लगता है। जरा एमएसपी के पिछले आंकडों पर नजर डालते हैं। समझ में आ जाएगा कि भाजपा वोट पाने के लिए तुरूप के पत्ते फेंकने में बहुत माहिर है। मोदी ने ये नब्ज पकड कर रखी है। यहां त्वरित लाभ और धर्म की राजनीति सिर पर मंडराती है। दोनों मुददे पर भाजपा मुखर रहती है। फिलहाल, यहां त्वरित लाभ पर नजर डालते हैं।
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2018..19 में सरकार ने धान की एमएसपी में दो सौ रूपये प्रति क्विंटल की बढोत्तरी की थी। 1550 से 1750 कर दिया था। क्योंकि किसानों से वोट लेना था। इसके बाद 2019..20 में एमएसपी में सिर्फ 75 रूपये की बढोत्तरी की। 1750 से बढ कर 1815 रूपये हो गया। क्योंकि मोदी को वोट नहीं लेना था। इसके बाद 2020..21 में तो सिर्फ 53 रूपये की बढोत्तरी की गई। अब सामान्य धान की एमएसपी 1868 रूपये है। क्योंकि इस समय भी वोट नहीं लेना है। पिछले बीस साल में धान की एमएसपी में अगर उछाल देखेंगे तो बढोत्तरी जिस तरह कांग्रेस सरकार ने की उसी तरह मोदी सरकार ने।
गेहूं और धान की एमएसपी में भारी बढोत्तरी
मोदी सरकार ने सिर्फ लोकसभा चुनाव के मददेनजर एकदम से 200 रूपये बढा दिए। वोट लेने के लिए ही सही, किसानों को लाभ मिला। बात अगर चुनाव पर ही अटकती है तो किसानों के लिए 2021..22 बहुत शुभ होने वाला है। यूपी और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव के मददेनजर मोदी सरकार गेहूं और धान की एमएसपी में भारी बढोत्तरी कर सकती है। क्योंकि भाजपा के लिए यूपी में पहले से भी बेहतर जीत दर्ज करना बेहद जरूरी हो गया।
पश्चिम बंगाल में अगर हार भी गए तो भी बहाने तमाम मिल जाएंगे पर यूपी में अगर 2017 के मुकाबले चार सीटें भी कम मिलीं तो 2024 का दर्द अभी से शुरू हो जाएगा। इस नाते दर्द न हो, पहले से ही दर्द निवारक दवा की तरह एमएसपी में भारी बढोत्तरी होने वाली है। दूसरी तरफ एक बात और साफ है। इस बार वे किसान भी सरकारी केंद्र पर धान बेचने में सफल हुए हैं जो कभी केंद्र पर जाते ही नहीं थे। यह कम से कम यूपी में देखने को मिला है।
किसानों से अनाज की खरीद
दरअसल सरकारी केंद्र पर आम किसानों से अनाज की खरीद वहां की राज्य सरकार पर भी निर्णय करता है। अगर डीएम सख्ती न बरते तो केंद्र प्रभारी खरीद नहीं करते, केंद्र खुलते ही नहीं। डीएम सख्त है तो फिर केंद्र भी खुलते हैं और खरीद भी होती है। डीएम सीधे राज्य सरकार के लिए काम करता है। वह होता तो भारत सरकार का कर्मचारी लेकिन अधीनता राज्य सरकार की रहती है। यूपी में योगी सरकार ने धान खरीदने के लिए अच्छा प्रयास किया।
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बिचैलियों को ज्यादा गुंजाइश नहीं दी गई। यही सख्ती अगले गेहूं और धान की फसल के दौरान रहने के आसार हैं, जाहिर है फायदा किसान का होगा। इसके अलावा किसानों के खातों में दो हजार रूपये प्रति तिमाही तो आ ही रहे हैं। यूपी के गांव में सामान्य किसान से बात करिये, केंद्र की मोदी और यूपी की योगी सरकार पर लटटू हैं।