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उ.प्र.: दंगाइयों को सबक
उत्तर प्रदेश की सरकार को मैं बधाई देता हूं, जो वह अपने कौल पर डटी हुई है। वह अब एक अध्यादेश ले आई है, जिसका उद्देश्य है, उन दंगाइयों से पूरा मुआवजा वसूल करना, जो निजी और सरकारी संपत्तियों का नुकसान करते हैं।
डॉ. वेदप्रताप वैदिक
उत्तर प्रदेश की सरकार को मैं बधाई देता हूं, जो वह अपने कौल पर डटी हुई है। वह अब एक अध्यादेश ले आई है, जिसका उद्देश्य है, उन दंगाइयों से पूरा मुआवजा वसूल करना, जो निजी और सरकारी संपत्तियों का नुकसान करते हैं। मैं पूछता हूं कि जो जान की हिंसा करते हैं, उन्हें सजा का कानून है तो जो माल की हिंसा करते हैं, उन्हें सजा क्यों नहीं मिलनी चाहिए ? उन्हें सजा भी मिले और उन्होंने जो नुकसान किया है, उसका हर्जाना भी उनसे वसूल क्यों न किया जाए? ऐसा कानून हर प्रांतीय विधानसभा को बनाना चाहिए बल्कि दक्षिण एशिया के हर राष्ट्र को बना देना चाहिए। हमारे इस उप-महाद्वीप के राष्ट्र संपन्न नहीं हैं।
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ऐसे राष्ट्रों के अस्पतालों, स्कूलों, सरकारी दफ्तरों, निजी दुकानों और कारों को आग लगानेवालों को इतनी कड़ी सजा मिलनी चाहिए कि सारे विरोध-प्रदर्शन बिल्कुल अहिंसक बन जाएं। उत्तरप्रदेश की भाजपा सरकार ने अध्यादेश लाने का यह कदम तुरत-फुरत इसलिए उठाया है कि पिछले दिनों उसके कई शहरों में भयंकर तोड़-फोड़ हुई है। सरकार ने लखनऊ में ऐसे 57 लोगों के नाम और फोटो चिपकाकर जगह-जगह पोस्टर लगा दिए हैं। ये लोग नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। संयोग की बात है कि इनमें से ज्यादातर आरोपी मुसलमान हैं लेकिन अब तो यह सभी तरह के दंगाइयों पर लागू होगा। इसमें कोई जातीय, मजहबी, भाषाई भेद नहीं होगा। इसीलिए मैं इसका तहे-दिल से समर्थन करता हूं लेकिन पता नहीं आरोपियों के फोटो और नामों के पोस्टर लगाना कहां तक ठीक है ?
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क्योंकि यदि उन पर अदालत में आरोप सिद्ध नहीं हुआ तो वे फिजूल ही बदनामी के शिकार होंगे। इसीलिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इन पोस्टरों पर आपत्ति की है। उ.प्र. सरकार इन आपत्तियों पर सर्वोच्च न्यायालय में बहस चलाएगी लेकिन उसने हर्जाने का जो अध्यादेश जारी किया है, वह सर्वोच्च न्यायालय के 2009 और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के मुताबिक ही है। 2011 में बसपा की मायावती सरकार ने इसके समर्थन में बाकायदा सरकारी आदेश भी जारी किया था। यदि उ.प्र. सरकार ने यह कानून सख्ती से लागू किया तो इस बार कम से कम 500 लोग पूरे प्रदेश में हर्जाना भरने के लिए मजबूर होंगे। भावी दंगाइयों के लिए गंभीर सबक होगा।
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