इन मुद्दों पर क्यों चुप हैं राहुल और प्रियंका, सवाल खड़े कर रही ये चुप्पी

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ कांग्रेस और विपक्ष पूरे देश में विरोध प्रदर्शन कर रहा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी लगातार इस मुद्दे पर सरकार को घेर रही हैं।

Dharmendra kumar
Published on: 3 Jan 2020 12:10 PM GMT
इन मुद्दों पर क्यों चुप हैं राहुल और प्रियंका, सवाल खड़े कर रही ये चुप्पी
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धर्मेंद्र कुमार सिंह

लखनऊ: नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ कांग्रेस और विपक्ष पूरे देश में विरोध प्रदर्शन कर रहा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी लगातार इस मुद्दे पर सरकार को घेर रही हैं। कांग्रेस ने नागरिकता संशोधन कानून(सीएए) को काला कानून बताया है। इसके साथ ही उसने कहा है कि यह कानून लोकतंत्र के खिलाफ है।

तो वहीं उत्तर प्रदेश में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हो रही कार्रवाई को लेकर प्रियंका गांधी लगातार प्रदेश की योगी सरकार पर सवाल खड़ा कर रही हैं। इसके साथ ही वह जेल में बंद दंगाईयों के परिवार वालों से भी मिली हैं। राहुल गांधी नागरिकता संशोधन कानून को दलितों से जोड़ रहे हैं और उनका कहना है कि यह कानून आदिवासियों और दलितों के खिलाफ है। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी कहा है कि इस कानून के खिलाफ देशभर में हो रहे प्रदर्शन को कांग्रेस का समर्थन है।

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कांग्रेस के इस विरोध में राजनीति साफ-साफ नजर आ रही है, क्योंकि सरकार ने साफ कर दिया है कि नागरिकता संशोधन कानून किसी के खिलाफ नहीं है। गृह मंत्री और प्रधानमंत्री ने भी कहा है कि यह कानून नागरिकता लेने वाला नहीं, बल्कि देने वाला है। इसके बावजूद कांग्रेस नेतृत्व इस पर सवाल खड़े कर रहा है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी लगातार बीजेपी पर हमलावार हैं, तो वहीं कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान में मासूम बच्चों की मौत और मध्य प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी के मुद्दे पर चुप हैं। क्या यह राजनीति नहीं है कि आप अपने फायदे और वोटबैंक के लिए सिर्फ उन्हीं मुद्दों को उठा रहे हैं जिससे आपको फायदा है?

अगर हम राजस्थान में बच्चों की मौत और मध्य प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी के मुद्दे को छोड़ भी दें तो देश में जनता के इतने मुद्दे हैं जिस पर कांग्रेस के बड़े नेताओं ने चुप्पी साध राख रखी है। कांग्रेस नेता जनता को प्रभावित करने वाली महंगाई जैसे मुद्दे पर भी बोलने को तैयार नहीं है। वह सिर्फ और सिर्फ सीएए के खिलाफ मोर्चा खोला हुए हैं।

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राजस्थान के कोटा स्थित जेके लोन अस्पताल में 104 की मौत हो गई है, लेकिन इस मामले पर न ही प्रियंका गांधी औ न ही राहुल गांधी का बयान सामने आया है जबकि भाई-बहन हर मुद्दे पर ट्वीट करते हैं। पता नहीं क्यों इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। शायद यह उनकी राजनीति को शूट नहीं करता। ये भी हो सकता है कि अभी वह इस मुद्दे पर बोलने की तैयारी कर रहे हों कि क्या बोला जाए, क्योंकि राजस्थान में उनकी पार्टी यानी कांग्रेस की सरकार है।

प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बच्चों की मौत पर अपने शर्मनाक बयान के बाद जब घिरे तो उन्होंने मीडिया पर ही सवाल खड़ा कर दिया। इसके साथ ही इस मामले को सीएए से जोड़ दिया। उन्होंने कहा कि मीडिया सीएए के खिलाफ हो रहे आंदोलन से ध्यान फटकाने के लिए इस मुद्दे को उठा रहा है। इसके पहले उन्होंने मासूमों की मौत पर कहा था कि यह कोई नई बात नहीं है।

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अब सवाल खड़ा हो रहा है कि यूपी में जेल बंद में दंगाईयों के परिवारों से मिलने वाली प्रियंका गांधी को क्या उन माताओं का दर्द नहीं दिखाई दे रहा है जिन्होंने अपने दिल के टुकड़े को खो दिया है। वह उन माताओं से क्यों नहीं मिलने जा रही हैं? शायद वह मिलने जातीं तो उन माताओं को लगता कि कोई है जो उनका दर्द बांट सकता है, क्योंकि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी तो एक मां हैं। हमे आशा है कि दंगाईयों के परिवारों से मिलने वाली प्रियंका गांधी उन माताओं से भी जरूर मिलेंगी जिन्होंने अपने बच्चों को तिल तिल मरते हुए देखा है।

एक और सवाल देश में बेरोजगारी के मुद्दे पर बोलने वाले राहुल गांधी और प्रियंका गांधी मध्य प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी भी चुप हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि लोगों को रोजगार देने का वादा करने वाली कांग्रेस के एक साल के शासन में 7 लाख लोगों की नौकरी चली गई है। रोजगार के बड़े-बड़े दावे करने वाले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी चुप्पी साध रखी है। वह बोलने को तैयार नहीं हैं।

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बता दें कि मध्‍य प्रदेश में पंजीकृत शिक्षित बेरोजगार युवाओं की संख्‍या एक साल में 7 लाख बढ़कर करीब 28 लाख हो गई है। लेकिन इस दौरान करीब 34 हजार युवाओं को रोजगार मिला है। यह जानकारी खुद सीएम कमलनाथ ने विधानसभा में दी है।

इन मुद्दों पर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का चुप्पी साधना राजनीति में कोई नई बात नहीं है। सभी राजनीतिक पार्टियां सिर्फ दूसरी पार्टी की सरकारों पर सवाल खड़े करती हैं, हालांकि उम्मीद की जाती है कि पार्टी नेता जनता के मुद्दों पर जरूर बोलेंगे और तब जब मामला संवेदनशील हो। कांग्रेस नेताओं से भी यहीं उम्मीद की जा रही है। अब देखना होगा कि राजस्थान में बच्चों की मौत और एमपी में बेरोजगारी के मुद्दे पर राहुल और प्रियंका बोलते हैं या चुप्पी ही साधे रखते हैं।

Dharmendra kumar

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