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गजवा-ए-हिन्द को ट्रम्प रोकेंगे ?
आतंक से जूझते हर भारतीय को काफी सुकून अब मिलेगा| ऐलाने-अहमदाबाद द्वारा अमरीकी राष्ट्रपति तथा भारतीय प्रधान मंत्री ने उग्र इस्लामी दहशतगर्दी को कुचलने की ''फौलादी इच्छाशक्ति'' दर्शायी है|
के. विक्रम राव
आतंक से जूझते हर भारतीय को काफी सुकून अब मिलेगा| ऐलाने-अहमदाबाद द्वारा अमरीकी राष्ट्रपति तथा भारतीय प्रधान मंत्री ने उग्र इस्लामी दहशतगर्दी को कुचलने की ''फौलादी इच्छाशक्ति'' दर्शायी है| तीन अरब डॉलर की लागत के शस्त्र अमरीका शीघ्र भारत को देगा| इसमें अत्याधुनिक वायुयान भी हैं| विगत सात दशकों से पाकिस्तान ही अमरीकी शस्त्र पाकर भारत पर हमला करता रहा था|
इस्लामी आतंक की पराकाष्ठा हुई थी जब एक विक्षिप्त इराकी मुसलमान इब्राहिम ने अपने को खलीफा-ए-इस्लाम घोषित कर दिया था| यह अबू बक्र अल–बगदादी अल कुरैशी था जिसने केरल, कर्णाटक तथा अन्य भारतीय मुस्लिम युवाओं को जिहाद की प्रेरणा दी थी| राष्ट्रपति ट्रम्प ने घोषणा की कि इस खलीफा और इसकी जिहादी सेना को नेस्तनाबूद कर दिया गया है| मिटा दिया गये हैं|
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यह अबू बक्र खलीफा गजवा-ए-हिन्द को दुहराना चाहता था, जो मोहम्मद बिन कासिम ने सोलह सदी पूर्व सिंध पर आक्रमण करके शुरू किया था| हिन्दू राजा दाहिर को सकुटुम्ब नष्ट कर दिया था| तैमूर लंग से औरंगजेब तक, फिर मोहम्मद अली जिन्ना से इमरान खान तक सभी पिले पड़े रहे| अब अमरीकी शस्त्र न मिलने से गजवा-ए-हिन्द का सपना टूटेगा|
लेकिन गजवा-ए-हिन्द का संकल्प इस्लामी राष्ट्र और समाज में प्रबल है| इसके वैचारिक अर्थ हैं कि सारे मूर्ति पूजकों को इस्लामी सैनिक मार डालेंगे| भारत को दारुल इस्लाम बना डालेंगे| गजवा-ए-हिन्द का उल्लेख हदीस में हुआ है|
कुरान के बाद हदीस का प्रमुख स्थान है| इसमें मजहबी प्रवचन और उक्तियों का संकलन होता है | इस्लामी सभ्यता की हदीस रीढ़ कही जाती है| मजहबी जंग का सन्दर्भ इसमें होता है| लक्ष्य यह है कि समस्त संसार में एक ही मजहब हो, सिर्फ इस्लाम| अर्थात भारत को ये मुसलमान लोग सनातन धर्म से आजाद कराना चाहते हैं| ला इलाही इलल्लाह स्वीकारें वर्ना मौत के घाट जाओ| ताज्जुब यह है कि भारतीय मदरसों में कुरआन और हदीस पढाये जाते हैं| गजवा-ए-हिन्द भी|
अतः भारतीय संविधान की प्रस्तावना (प्राक्कथन) ''हम भारत के लोग'' बेमानी हो गया है, वाहियात बन गया है| उसमें भारत को सेक्युलर गणराज्य बनाने वाली घोषणा है, जबकि मुस्लिम नागरिकों के लिए सेक्युलर होना इस्लाम-विरोधी होता है| त्रासद है कि इस गजवा-ए-हिन्द के सिद्धांत वाले हदीस को किसी भी इस्लामी मरकज अथवा तंजीम ने आज तक नकारा नहीं है| राष्ट्र-विरोधी नहीं करार दिया| न देवबंद ने, न बरेलवी ने और न लखनऊ के नदवा वालों ने|
पाकिस्तान की तंजीमें-इस्लामी (जमीयते इस्लाम) के मौलवी डॉ. इसरार अहमद की भविष्यवाणी है कि खुरासान (अफगानिस्तान) से दो लश्कर काले झण्डे लेकर चलेंगे| एक इजराइल से यहूदियों को खदेड़ेगा| दूसरा गजवा-ए-हिन्द हेतु भारत को हिन्दुओं से मुक्त कराएगा| कूच की तिथि अभी तय नहीं है|
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अतः विकट प्रश्न उठेगा कि हिन्दू क्या करेंगे ? हालाँकि दिल्ली विधान सभा में वर्षों पूर्व जनता दल (अब कांग्रेसी) नेता मोहम्मद शोएब ने हिन्दुओं से पूछा था : ''हम मुसलमान तो 51 इस्लामी देशों में बस सकते हैं| तुम हिन्दू लोग सिवाय नेपाल के कहाँ पनाह पाओगे?'' मगर अब हिन्दुओं की दुर्दशा अधिक हैं| नेपाल भी चीन-समर्थक सेक्युलर हो गया है|