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BJP के 40 साल: शून्य से शिखर तक की यात्रा ऐतिहासिक ,ऐसे बदला पार्टी का स्वरूप

देश की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के गठन के आज 40 ऐतिहासिक साल पूरे हो गए हैं। इस दौरान पार्टी ने शून्य से शिखर तक का जो सफर तय किया है वो कई मायनों में ऐतिहासिक रहा है।

Aditya Mishra
Published on: 6 April 2020 11:35 AM IST
BJP के 40 साल: शून्य से शिखर तक की यात्रा ऐतिहासिक ,ऐसे बदला पार्टी का स्वरूप
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नई दिल्ली: देश की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के गठन के आज 40 ऐतिहासिक साल पूरे हो गए हैं। इस दौरान पार्टी ने शून्य से शिखर तक का जो सफर तय किया है वो कई मायनों में ऐतिहासिक रहा है।

अटल युग से मोदी युग तक पार्टी के स्वरूप में कई बदलाव आए हैं। इस मौके पर पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित पार्टी के तमाम नेताओं ने कार्यकर्ताओं और देशवासियों को शुभकामनाएं दी है।

1980 में हुआ गठन

दरअसल देश की आजादी के बाद संघ के सहयोग से भारतीय जनसंघ का जन्म हुआ था। इसे भारतीय जनसंघ के रूप में जाना जाता था। इसकी स्थापना श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1951 में की थी। इसने पहले लोकसभा का चुनाव लड़ा। उसमें पार्टी को तीन सीटें मिलीं।

1977 के चुनावों में जनसंघ का जनता पार्टी में विलय हो गया। दोहरी सदस्यता के मुद्दे पर जनता पार्टी की सरकार 1979 जब गिरी तो इसके जनसंघ घटक ने अलग राष्ट्रीय पार्टी के गठन का फैसला किया।

अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी ने भारतीय जनता पार्टी के नाम से 1980 में इसकी नींव रखी। इसका जन्म सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अवधारणा पर हुआ।

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कहां हैं इस पार्टी की जड़ें

भारतीय जनता पार्टी की आधिकारिक बेवसाइट में पार्टी के इतिहास के बारे में लिखा है कि बीजेपी संघ परिवार की महत्वपूर्ण सदस्य है। जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा के साथ पोषित होती है।

यानि पार्टी की जड़ें संघ से जुड़ी हैं, जो समय के साथ देश का सबसे मजूबत संगठन बन चुका है, जो देश में करीब 60 हजार शाखाओं के साथ खुद को संचालित करता है।

क्या है निशान

बीजेपी का चुनाव चिह्न कमल का फूल है। कमल फूल को बीजेपी भारत की सांस्कृतिक परंपरा से जोड़कर देखती है।

बीजेपी ने पहला चुनाव कब लड़ा

1980 में गठन के बाद पार्टी ने पहला आम चुनाव 1984 में लड़ा। तब उन्हें केवल दो सीटों पर ही कामयाबी मिली। लेकिन बीजेपी की आधिकारिक साइट कहती है कि उस चुनाव में बीजेपी को देश में दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा वोट शेयर हासिल हुए थे।

पार्टी कैसे आगे बढ़ी

- अटल बिहारी वाजपेयी को पार्टी का उदारवादी चेहरा माना जाता था। 1984 के चुनावों में पार्टी की असफलता के बाद आत्मावलोन के लिए एक कार्यकारी समिति का गठन हुआ ताकि आत्मवलोन के जरिए पार्टी कमियों की ओर देखे। आगे की रणनीति तैयार करे।

- पार्टी ने हिंदुत्व और हिंदू कट्टरवाद का पूरी दृढता से पालन करने का फैसला किया।

- 1984 में लालकृष्ण आडवाणी पार्टी के अध्यक्ष बनाए गए। पार्टी ने विश्व हिंदू परिषद के साथ मिलकर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण अभियान की शुरुआत की।

- राम मंदिर आंदोलन ने भाजपा की लोकप्रियता में जबरदस्त बढोतरी की।

1989 में उछाल

- 1989 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को 85 सीटें मिलीं। उसने नेशनल फ्रंट की विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार का महत्वपूर्ण समर्थन किया।

1990 टर्निंग साल

- सितम्बर 1990 में आडवाणी ने राम मंदिर आंदोलन के समर्थन में अयोध्या के लिए 'रथ यात्रा' शुरू की। यात्रा के कारण होने वाले दंगों के कारण बिहार सरकार ने आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन कारसेवक और संघ परिवार कार्यकर्ता फिर भी अयोध्या पहुंच गए। बाबरी ढांचे का विध्वंस की कोशिश में अर्द्धसैनिक बलों से उनका मुकाबला हुआ। कई कारसेवक मारे गए।ये बीजेपी के लिए टर्निंग प्वाइंट था। इसके बाद बीजेपी लगातार बड़ी ताकत बनती चली गई।

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06 दिसंबर 1992 ने बदली तकदीर

06 दिसम्बर 1992 को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और इससे जुड़े संगठनों की रैली अयोध्या पहुंची। इसमें हजारों कार्यकर्ता शामिल थे। बाबरी मस्जिद गिरा दी गई। देशभर में सांप्रदायिक हिंसा हुई। दो हजार से अधिक लोग मारे गये। आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत कई नेता विध्वंस के दौरान उत्तेजक भड़काऊ भाषण देने के कारण गिरफ़्तार कर लिए गए।

बढता गया ग्राफ

- 1996 के चुनाव में बीजेपी लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। राष्ट्रपति ने बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार कुछ दिनों में ही गिर गई।

- 1998 में मध्यावधि चुनाव हुए। जिसमें बीजेपी को 182 सीटें मिलीं। बीजेपी ने अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में गठबंधन सरकार बनाई।

- एक साल बाद देश में फिर मध्यावधि चुनाव हुए। फिर बीजेपी को 182 सीटें मिलीं। साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को 294 सीटें मिलीं। अटल तीसरी बार प्रधानमंत्री बने। पांच साल का कार्यकाल पूरा किया।

2014 में जबरदस्त उछाल

2014 बीजेपी के लिए सबसे अहम साल रहा। गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने 282 सीटों पर जीत हासिल की। इतनी ताकत इससे पहले कभी बीजेपी को चुनावों में नहीं मिली थी। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। हालांकि बीजेपी अकेले की सरकार बना सकती थी लेकिन उसने नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट बनाकर कई अन्य दलों को भी साथ लिया।

वर्ष 2019 में और बड़ा बहुमत

एक साल पहले वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। पूरे देश में उसने अकेले ही 303 सीटें जीतीं। बीजेपी ने कई राज्यों में क्लीन स्वीप भी किया। राज्यसभा में बीजेपी की ताकत 83 सदस्यों की है।

लोकसभा चुनाव में सीटें

साल सीटें वोट शेयर

1984 02 7।74

1989 85 11।36

1991 120 20।11

1996 161 20।29

1998 182 25।59

1999 182 23।75

2004 138 22।16

2009 116 18।70

2014 282 31।34

2019 303 37।46

कितने राज्यों में सरकार

फिलहाल 18 राज्यों में बीजेपी के मुख्यमंत्री हैं

- ये राज्य हैं - अरुणाचल प्रदेश, कर्नाटक, त्रिपुरा, असम (असम गण परिषद और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के साथ), गोवा (गोवा फॉरवर्ड पार्टी और महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी के साथ), गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, मणिपुर (नागा पीपुल्स फ्रंट, नेशनल पीपल्स पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी के साथ), उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश।

- 06 राज्यों में अन्य राजनीतिक दलों के साथ सत्ता में भागीदारी। ये राज्य हैं-आंध्र प्रदेश (तेलुगू देशम पार्टी के साथ), बिहार (जनता दल (संयुक्त), लोक जनशक्ति पार्टी, राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी और हिंदुस्तानी Awam मोर्चा के साथ), नागालैंड (नागा पीपुल्स फ्रंट के साथ), सिक्किम (सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के साथ), मेघालय (नेशनल पीपुल्स पार्टी, यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी, पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट और हिल स्टेट पीपु्ल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ) और तमिलनाडु (एआईएडीएमके के साथ)

सबसे ज्यादा सदस्य

बीजेपी का दावा है कि वह दुनिया सबसे ज्यादा सदस्यों वाली अकेली पार्टी है। पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल पर दावा किया था कि पार्टी की सदस्यता अब करीब 18 करोड़ है।

अब तक के अध्यक्ष

1। अटल बिहारी वाजपेयी - 1980 से 1986 तक

2। लाल कृष्ण आडवाणी - 1986 से 1990 तक

3। डॉ। मुरली मनोहर जोशी - 1990 से 1992

4। लाल कृष्ण आडवाणी - 1992 से 1998

5। स्व। कुशाभाऊ ठाकरे - 1998 से 2000

6। स्व। बंगारू लक्ष्मण - 2000 से 2001

7।स्व। के। जना कृष्णमूर्ति - 2001 से 2002

8। एम। वेंकैया नायडू - 2002 से 2004

9। लाल कृष्ण आडवाणी - 2004 से 2006

10 राजनाथ सिंह - 2006 से 2009

11। नितिन गडकरी - 2009 से 2013

12। राजनाथ सिंह - 2013 से 2014

13 अमित शाह - 2014 से अबतक

14 जेपी नड्डा - 20 जनवरी 2020 से

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Aditya Mishra

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