अयोध्या के विवादित ढांचा को ढ़हाए जाने का मामला: कल्याण सिंह पर आरोप तय

30 मई, 2017 को इस आपराधिक मामले में सीबीआई की विशेष अदालत (अयोध्या प्रकरण) ने एलके आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार व विष्णु हरि डालमिया पर आईपीसी की धारा 120 बी (साजिश रचने) के तहत आरोप तय किया था।

Aditya Mishra
Published on: 15 Jun 2023 12:37 PM GMT (Updated on: 15 Jun 2023 10:47 AM GMT)
अयोध्या के विवादित ढांचा को ढ़हाए जाने का मामला: कल्याण सिंह पर आरोप तय
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विधि संवाददाता

लखनऊ: अयोध्या के विवादित ढांचा को ढ़हाए जाने के आपराधिक मामले में शुक्रवार को सीबीआई की विशेष अदालत (अयोध्या प्रकरण) ने सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह पर आईपीसी की धारा 120बी, 153ए, 153बी, 295, 295ए के साथ ही आईपीसी की धारा 505 के तहत आरोप तय कर दिया।

इसके साथ ही केार्ट ने कल्याण सिंह की पत्रावली शेष मुकदमें से अलग करते हुए सीबीआई को अपना गवाह पेश करने का आदेश दिया।

इससे पहले सीबीआई की विशेष अदालत के समक्ष कल्याण सिंह हाजिर हुए व जमानत की मांग की। विशेष जज सुरेंद्र कुमार यादव ने उन्हें न्यायिक हिरासत में लेते हुए उनकी जमानत अर्जी मंजूर कर ली।

उन्हें दो लाख का निजी मुचलका दाखिल करने पर रिहा करने का आदेश दिया। विशेष जज ने अगले आदेश तक कल्याण सिंह को व्यक्तिगत हाजिरी से छूट भी प्रदान की है। पूर्व आदेश के अनुपालन में शुक्रवार को करीब पौने 12 बजे कल्याण सिंह विशेष अदालत के समक्ष हाजिर हुए थे।

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30 मई, 2017 को इस आपराधिक मामले में सीबीआई की विशेष अदालत (अयोध्या प्रकरण) ने एलके आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार व विष्णु हरि डालमिया पर आईपीसी की धारा 120 बी (साजिश रचने) के तहत आरोप तय किया था।

जिसके बाद इन सभी अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 149, 153ए, 153बी व 505 (1)बी के साथ ही आईपीसी की धारा 120 बी के तहत भी मुकदमे का विचारण शुरु हो गया।

वहीं महंत नृत्य गोपाल दास, महंत राम विलास वेदांती, बैकुंठ लाल शर्मा उर्फ प्रेमजी, चंपत राय बंसल, धर्मदास व डाॅ. सतीश प्रधान के खिलाफ 147, 149, 153ए, 153बी, 295, 295ए व 505 (1)बी के साथ ही आईपीसी की धारा 120 बी के तहत आरोप तय हुआ था। जबकि गर्वनर होने के नाते कल्याण सिंह के खिलाफ आरोप तय नहीं हो सका था।

नौ सितंबर, 2019 को सीबीआई ने विशेष अदालत से इस मामले में कल्याण सिंह को तलब करने की मांग की थी। यह कहते हुए कि कल्याण सिंह अब संवैधानिक पद पर नहीं है। लिहाजा उन्हें इस मामले में बतौर अभियुक्त समन जारी किया जाए।

क्योंकि इस मामले में उनके खिलाफ भी आरोप पत्र दाखिल है। लेकिन गर्वनर होने के नाते उन पर आरोप तय नहीं हो सका था। विशेष अदालत ने तब सीबीआई को इस संदर्भ में प्रमाणित साक्ष्य पेश करने का आदेश दिया था।

लेकिन तीन तारीखों के बाद भी सीबीआई प्रमाणित साक्ष्य पेश नहीं कर सकी थी। तब 21 सितंबर को विशेष जज सुरेंद्र कुमार यादव ने कल्याण सिंह के राज्यपाल पद पर नहीं रहने का स्वतः संज्ञान लेते हुए बतौर अभियुक्त उनके विरुद्ध समन जारी करने का आदेश दिया था। साथ ही उनकी पेशी के लिए 27 सितंबर की तारीख तय की थी।

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यह है मामला

छह दिंसबर, 1992 को विवादित ढांचा ढंहाए जाने के मामले में कुल 49 एफआईआर दर्ज हुए थे। एक एफआईआर फैजाबाद के थाना रामजन्म भूमि में एसओ प्रियवंदा नाथ शुक्ला जबकि दूसरी एसआई गंगा प्रसाद तिवारी ने दर्ज कराई थी। शेष 47 एफआईआर अलग अलग तारीखों पर अलग अलग पत्रकारों व फोटोग्राफरों ने भी दर्ज कराए थे।

पांच अक्टूबर, 1993 को सीबीआई ने जांच के बाद इस मामले में कुल 49 अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। इनमंे 16 अभियुक्तों की मौत हो चुकी है।

शुक्रवार को कल्याण सिंह पर भी आरोप तय होने के बाद अब इस मामले में 33 अभियुक्तों के खिलाफ दिन-प्रतिदिन सुनवाई होगी। अभियोजन की ओर से अब तक करीब 336 गवाह पेश किए जा चुके हैं।

19 अप्रैल, 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी कर इस मामले की सुनवाई दो साल में पुरा करने का आदेश दिया था। हालाकि अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने यह अवधि नौ माह के लिए और बढ़ा दी है।

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