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मोदी से कोई बैर नहीं, नीतीश तेरी खैर नहीं! अब इस रणनीति पर चुनाव लड़ेगी लोजपा

लोजपा ने नीतीश कुमार की अगुवाई में बिहार चुनाव न लड़ने का बड़ा फैसला लिया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद चिराग पासवान ने बदलाव का संकेत दे दिया था।

Shivani
Published on: 5 Oct 2020 9:55 AM IST
मोदी से कोई बैर नहीं, नीतीश तेरी खैर नहीं! अब इस रणनीति पर चुनाव लड़ेगी लोजपा
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अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। मोदी से कोई बैर नहीं, नीतीश तेरी खैर नहीं। एक-दो दिन पूर्व लोजपा का यह पोस्टर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था और आखिरकार लोजपा के मुखिया चिराग पासवान इसी रास्ते पर निकल पड़े हैं। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर अब तक की सबसे बड़ी खबर यह है कि लोजपा मुखिया चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व को अस्वीकार कर दिया है।

काफी दिनों से लिखी जा रही थी पटकथा

लोजपा ने नीतीश कुमार की अगुवाई में बिहार विधानसभा चुनाव न लड़ने का बड़ा फैसला कर लिया है। लोजपा का यह फैसला भले ही अचरज में डालने वाला लग रहा हो मगर सच्चाई यह है कि इसकी पटकथा काफी दिनों से लिखी जा रही थी। लोजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद ही चिराग पासवान ने पार्टी की रणनीति और तौर-तरीकों में बदलाव का संकेत दिया था।

नीतीश पर लगातार हमले कर रहे थे चिराग

बिहार में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने से पूर्व ही उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमले शुरू कर दिए थे। कोरोना संकट की शुरुआत और बिहार के कई जिलों के बाढ़ग्रस्त होने के बाद चिराग पासवान ने अपना तेवर और तीखा कर लिया था और वे बिहार की बदहाली के लिए सीधे नीतीश कुमार को जिम्मेदार ठहराने लगे थे। उनका कहना था कि मुख्यमंत्री की गलत नीतियों के कारण ही बिहार के लोगों को तमाम मुसीबतें झेलनी पड़ रही।

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जदयू ने दी थी कालिदास की संज्ञा

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर चिराग के सीधे हमले से जदयू में भी काफी नाराजगी थी। हालांकि चिराग के हमलों का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सीधे कभी जवाब नहीं दिया मगर उनके करीबी ललन सिंह ने चिराग को तीखा जवाब देते हुए उन्हें कालिदास तक की संज्ञा दे डाली थी।

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उनका कहना था कि जिस तरह कालिदास जिस डाल पर बैठे थे उसी को काट रहे थे, वही हाल चिराग पासवान का हो गया है। जदयू के कई अन्य नेताओं ने भी चिराग के बयानों पर आपत्ति जताई थी।

चुनाव को लेकर भी था अलग स्टैंड

बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर भी चिराग ने जदयू से अलग स्टैंड अपनाया था। राजद नेता तेजस्वी यादव मौजूदा हालात में बिहार में चुनाव कराने के पूरी तरह खिलाफ थे और चिराग पासवान ने भी तेजस्वी यादव के सुर में सुर मिलाते हुए आया चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर चुनाव टालने का अनुरोध किया था।

रामविलास पासवान-चिराग पासवान

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उनका कहना था कि मौजूदा हालात में चुनाव कराना जनता को जानबूझकर मौत के मुंह में धकेलने की तरह होगा। हालांकि जदयू शुरुआत से तय समय पर चुनाव कराने की मांग कर रही थी मगर चिराग का नजरिया इससे पूरी तरह अलग था।‌ भाजपा ने कभी इस मुद्दे पर खुलकर कोई बात नहीं कही और इसे पूरी तरह चुनाव आयोग के विवेक पर छोड़ दिया था।

वैचारिक मतभेदों को बताया कारण

लोजपा की ओर से जदयू के साथ मिलकर चुनाव न लड़ने के फैसले का कारण वैचारिक मतभेदों को बताया गया है। लोजपा के राष्ट्रीय महासचिव अब्दुल खालिक का कहना है कि राष्ट्रीय स्तर और लोकसभा चुनाव में भाजपा-लोजपा का मजबूत गठबंधन है। राज्य स्तर पर गठबंधन में मौजूद जदयू से वैचारिक मतभेदों के कारण लोजपा ने गठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

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उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव परिणामों के बाद लोजपा के जीते हुए विधायक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास के मार्ग पर चलते हुए भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे।

जदयू का लोजपा पर पलटवार

उधर जदयू ने लोजपा पर पलटवार करते हुए कहा कि उसे यह बात बतानी चाहिए कि वैचारिक मतभेद का आधार क्या है। प्रदेश जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. अशोक चौधरी ने कहा कि लोजपा लोकसभा चुनाव जदयू के साथ मिलकर लड़ती है। चिराग पासवान नीतीश कुमार से बार-बार अनुरोध करके उन्हें अपने में क्षेत्र में ले जाकर प्रचार कराते हैं और जीत हासिल करते हैं मगर विधानसभा चुनावों में पार्टी को वैचारिक मतभेदों की याद आ गई।

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ऐसे में लोजपा को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उसका जदयू के साथ क्या वैचारिक मतभेद है। उन्होंने कहा कि दलितों के उत्थान के लिए नीतीश कुमार ने कई योजनाएं चलाई हैं। ऐसे में वैचारिक मतभेद की बात करना पूरी तरह समझ से परे है।

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