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बिहार में फंसा पेच: नई सरकार की कवायद, इस फार्मूले पर काम

बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में बहुमत मिलने के बाद एनडीए में अब नई सरकार के गठन की तैयारियां शुरू हो गई हैं। एनडीए के नेताओं ने नई सरकार के स्वरूप को लेकर आपसी चर्चाओं का दौर शुरू कर दिया है।

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Published on: 12 Nov 2020 3:56 AM GMT
बिहार में फंसा पेच: नई सरकार की कवायद, इस फार्मूले पर काम
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बिहार में फंसा पेच: नई सरकार की कवायद, इस फार्मूले पर काम

अंशुमान तिवारी

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में बहुमत मिलने के बाद एनडीए में अब नई सरकार के गठन की तैयारियां शुरू हो गई हैं। एनडीए के नेताओं ने नई सरकार के स्वरूप को लेकर आपसी चर्चाओं का दौर शुरू कर दिया है। हालांकि तय किया गया है कि नए मुख्यमंत्री की ताजपोशी दीपावली के बाद ही होगी मगर मंत्रियों के फार्मूले को लेकर नेताओं के बीच शुरुआती बातचीत शुरू हो गई है। मंत्रियों के जिस फार्मूले पर बातचीत चल रही है, उससे यह तय माना जा रहा है कि इस बार मुख्यमंत्री भले ही नीतीश कुमार बनेंगे मगर उनके मंत्रिमंडल में जदयू से ज्यादा मंत्रियों की संख्या भाजपा मंत्रियों की होगी।

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तय किया गया यह फॉर्मूला

सियासी जानकारों के मुताबिक एनडीए में जिस शुरुआती फार्मूले पर बातचीत चल रही है उसके मुताबिक 7 विधायकों पर दो को मंत्री बनाया जा सकता है। नियमों के मुताबिक बिहार में मुख्यमंत्री समेत अधिकतम 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं। इस बार एनडीए के 125 विधायक जीतकर विधानसभा में पहुंचे हैं। विजय हासिल करने वाले विधायकों में भाजपा के 74, जदयू के 43 और हम व वीआईपी के चार-चार विधायक शामिल हैं।

Nitish Kumar-Narendra Modi

प्रारंभिक तौर पर तय किए गए फार्मूले के मुताबिक भाजपा से 21 और जदयू से 13 विधायकों को मंत्री बनने का मौका मिल सकता है जबकि हम और वीआईपी से एक-एक विधायक को मंत्री बनाया जा सकता है। वैसे सियासी जानकारों का यह भी कहना है कि यह प्रारंभिक फार्मूला है जो बिहार के एनडीए नेताओं की बातचीत में तय किया गया है मगर शीर्ष नेताओं की बैठक में इस फार्मूले में थोड़ा बहुत बदलाव भी किया जा सकता है।

बाद में भी किया जा सकता है यह काम

वैसे राजनीतिक गलियारों में चल रही चर्चाओं के मुताबिक जनता के बीच एकजुटता का संदेश देने के लिए शुरुआती दौर में भाजपा और जेडीयू से बराबर-बराबर विधायकों को भी मंत्री बनाया जा सकता है और भविष्य में मंत्रिमंडल का विस्तार होने पर पार्टियों के संख्या बल के हिसाब से मंत्रिमंडल में घटक दल के सदस्यों को मौका दिया जा सकता है। वैसे राजनीतिक जानकार इस बात को मानते हैं कि भाजपा पर विधायकों की ओर से अधिक मंत्री पद हासिल करने का दबाव जरूर होगा।

मंत्रियों की संख्या कोई बड़ा मुद्दा नहीं

किस दल के विधायक को विधानसभा अध्यक्ष बनाया जाए, इस मुद्दे पर एनडीए के नेताओं की बैठक में चर्चा की जाएगी। एक न्यूज़ चैनल की ओर से इस बाबत पूछे गए सवाल पर भाजपा के वरिष्ठ नेता और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि गठबंधन में कोई बड़ा या छोटा भाई नहीं होता। उन्होंने कहा कि एनडीए पूरी तरह एकजुट है और किस दल के कम मंत्री होंगे और किस दल के अधिक मंत्री, यह एनडीए में कोई बड़ा मुद्दा नहीं है।

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ऐसा था नीतीश का पिछला मंत्रिमंडल

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पिछले मंत्रिमंडल में 31 मंत्री थे और इनमें मुख्यमंत्री को मिलाकर जदयू कोटे से 17 विधायकों को मंत्री बनाया गया था। जदयू कोटे से ही विजय चौधरी को विधानसभा अध्यक्ष भी बनाया गया था। दूसरी और भाजपा कोटे से 13 विधायकों को ही मंत्री बनने का मौका मिला था। उस समय गौर करने वाली बात यह भी थी कि जदयू विधायकों की संख्या अधिक थी और पार्टी बड़े भाई की भूमिका में थी।

भाजपा से अधिक थे जदयू विधायक

पिछले विधानसभा चुनाव में जदयू के 71 विधायक जीते थे जबकि भाजपा के 53 विधायकों को कामयाबी मिली थी। विधायकों की संख्या के आधार पर मंत्रियों की संख्या का फार्मूला तय किया गया था मगर इस बार समीकरण पूरी तरह बदल गए हैं। भाजपा बड़े भाई की भूमिका में आ गई है जबकि जेडीयू छोटे भाई की भूमिका में है। इस बार भाजपा के 74 विधायकों को कामयाबी मिली है जबकि जेडीयू से सिर्फ 43 विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। ऐसे में मंत्रिमंडल का स्वरूप बदलना तय माना जा रहा है।

मांझी नहीं बनेंगे मंत्री

इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने साफ किया है कि एनडीए की नई सरकार में वे खुद मंत्री नहीं बनेंगे। मीडिया से बातचीत में मांझी ने कहा कि वे राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और ऐसे में उनकी मंत्री बनने की कोई इच्छा नहीं है। यह पूछे जाने पर कि उनकी पार्टी से कितने विधायक मंत्री बनेंगे माझी ने कहा कि यह विशेषाधिकार तो मुख्यमंत्री का होता है। अभी एनडीए में इस बात पर कोई चर्चा नहीं हुई है। मांझी ने अपने विधायकों से चर्चा करने के लिए उन्हें गुरुवार को पटना तलब किया है। इस बार हम के चार विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। दूसरी ओर वीआईपी के भी चार विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं मगर पार्टी के मुखिया मुकेश सहनी इस बार चुनाव हार गए हैं।

मोदी के एलान के बाद तस्वीर साफ

वैसे भाजपा की ओर से पार्टी का मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग के बावजूद नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री बनना तय माना जा रहा है। बुधवार को नई दिल्ली में भाजपा मुख्यालय में आयोजित जश्न समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा कि नीतीश कुमार की अगुवाई में एनडीए की सरकार विकास के सारे काम करेगी। उन्होंने कहा कि हम राज्य की जनता के लिए विकास की योजनाएं पूर्व की भांति चलाते रहेंगे और बिहार को देश का उन्नत राज्य बनाया जाएगा। पीएम मोदी के इस एलान के बाद अब नीतीश कुमार के नेतृत्व को लेकर संशय की कोई गुंजाइश नहीं रह गई है।

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