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जेईई/एनईईटी को लेकर मोदी सरकार पर जमकर बरसीं ममता बनर्जी, कही ऐसी बात

जेईई/एनईईटी परीक्षा आयोजित करने पर अड़े रहकर केंद्र छात्रों की जान जोखिम में डाल रहा है। केंद्र उपदेश देने में व्यस्त है, इसके बजाय उसे छात्रों के 'मन की बात' को सुनना चाहिए।

Newstrack
Published on: 28 Aug 2020 5:15 PM IST
जेईई/एनईईटी को लेकर मोदी सरकार पर जमकर बरसीं ममता बनर्जी, कही ऐसी बात
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अब्दुल मन्नान का कहना है कि टीएमसी सरकार के पास केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव लाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।

कोलकाता: जेईई/एनईईटी परीक्षा आयोजित करने पर अड़े रहकर केंद्र छात्रों की जान जोखिम में डाल रहा है। केंद्र उपदेश देने में व्यस्त है, इसके बजाय उसे छात्रों के 'मन की बात' को सुनना चाहिए।

उक्त बातें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कही। वे आज टीएमसी के स्टूडेंट विंग की ओर से आयोजित एक वर्चुअल रैली को सम्बोधित कर रही थी।

Mamta Banerjee पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की फाइल फोटो

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मुख्यमंत्री यही नहीं रुकी बल्कि आगे कहा कि हमने निर्णय लिया था कि छात्रों की ओर से हम सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा के लिए (परीक्षा की तारीख) अपील दायर करेंगे। 6 राज्यों के मंत्रियों ने याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं।

किसानों के मुद्दे पर भी ममता ने मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला। कहा कि 16 सितंबर को तृणमूल कांग्रेस किसानों के साथ केंद्र की किसान विरोधी नीतियों के विरोध में खेतों में खड़ी होगी। वह खुद भी कुछ गांवों में जायेंगी और कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगी।

गौरतलब है कि बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गैर-बीजेपी शासित सात राज्यों के सीएम के साथ वर्चुअल मीटिंग के जरिये बात की थी। इसमें पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी शामिल हुई थी और उन्होंने देश के सभी राज्यों से अपील की थी कि नीट और जेईई परीक्षा की तारीख को आगे बढ़वाने के सुप्रीम कोर्ट में चला जाए।

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Supreme Court सुप्रीम कोर्ट की फाइल फोटो

SC ने कहा- बिना Exam छात्र नहीं होंगे प्रमोट

उधर सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना काल के मद्देनजर विश्वविद्यालय के अंतिम वर्ष की परीक्षाएं करवाने के खिलाफ दायर अर्जी पर सुनवाई करते हुए यूजीसी के सर्कुलर को बरकरार है। कोर्ट ने साफ तौर पर ये बात कह दी है कि बिना परीक्षा के छात्र प्रमोट नहीं होंगे।

कोर्ट ने ये भी कहा कि यूजीसी के दिशानिर्देशों को खत्म नहीं किया जा सकता है। राज्य के पास परीक्षा रद्द करने का अधिकार है, आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत राज्य महामारी को देखते हुए परीक्षाएं स्थगित कर सकते हैं और अगली तारीख तय करने के लिए यूजीसी से सलाह ली जा सकती है। लेकिन बिना परीक्षा के छात्र पास नहीं होंगे। राज्यों को छात्रों को प्रमोट करने के लिए परीक्षा आयोजित करनी चाहिए।

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