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चुनावी जंग: कांग्रेस को दक्षिण से ज्यादा उम्मीदें, राहुल ने इन दो राज्यों में लगाई ताकत
राहुल गांधी ने हाल के दिनों में एक छोटे से अंतराल के दौरान तमिलनाडु का दो बार दौरा किया है। विदेश दौरे से लौटते ही वे जल्लीकट्टू देखने चेन्नई पहुंच गए थे और उसके बाद उन्होंने हाल में तमिलनाडु का तीन दिन का दौरा किया है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: देश के कई राज्यों में इस साल अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने हैं मगर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पूरा जोर दक्षिणी राज्यों तमिलनाडु और केरल में ही लगा रखा है। हाल के दिनों में उन्होंने दो बार तमिलनाडु की यात्रा की है और उसके बाद केरल का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने सहयोगी दलों के साथ चुनावी रणनीति पर भी चर्चा की। पश्चिम बंगाल और असम में भी अप्रैल-मई में ही विधानसभा चुनाव होने हैं मगर राहुल का ध्यान अभी इन राज्यों पर नहीं है। सियासी जानकारों का मानना है कि कांग्रेस हाईकमान को दक्षिण के राज्यों से ही ज्यादा उम्मीद है और इसी कारण राहुल गांधी ने इन दक्षिणी राज्यों पर पूरा फोकस कर रखा है।
तमिलनाडु का किया दो बार दौरा
राहुल गांधी ने हाल के दिनों में एक छोटे से अंतराल के दौरान तमिलनाडु का दो बार दौरा किया है। विदेश दौरे से लौटते ही वे जल्लीकट्टू देखने चेन्नई पहुंच गए थे और उसके बाद उन्होंने हाल में तमिलनाडु का तीन दिन का दौरा किया है। तमिलनाडु के दौरे के बाद वे केरल के दौरे पर पहुंच गए जबकि इन दोनों राज्यों से ज्यादा सियासी सरगर्मी पश्चिम बंगाल और असम में दिख रही है।
पश्चिम बंगाल में मुख्य लड़ाई से बाहर है कांग्रेस
पश्चिम बंगाल में भाजपा ने ममता बनर्जी को सत्ता से बेदखल करने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है जबकि असम में भी भाजपा सोनोवाल सरकार को एक और कार्यकाल दिलाने के लिए काफी सक्रिय है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा लगातार इन दोनों राज्यों में सक्रिय हैं और चुनावी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं। सियासी जानकारों का भी मानना है कि पश्चिम बंगाल में इस बार मुख्य लड़ाई भाजपा और टीएमसी में ही दिख रही है।
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दक्षिण के दो राज्यों से ज्यादा उम्मीदें
ऐसे में दक्षिण में राहुल गांधी की सक्रियता से संकेत मिल रहा है कि उन्हें तमिलनाडु और केरल में कांग्रेस के लिए ज्यादा संभावनाएं नजर आ रही हैं। राहुल गांधी को लग रहा है कि दक्षिण के इन दोनों राज्यों में कांग्रेस पश्चिम बंगाल और असम से ज्यादा बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। इसीलिए उन्होंने चुनावों से पहले ही इन दोनों दक्षिणी राज्य में कांग्रेस की मशीनरी को सक्रिय करना शुरू कर दिया है।
डीएमके के साथ कांग्रेस का गठबंधन
तमिलनाडु में फिलहाल अन्नाद्रमुक की सरकार है और इस राज्य में आमतौर पर यह बात दिखती रही है कि एक बार अन्नाद्रमुक तो दूसरी बार यहां के मतदाता द्रमुक को मौका देते रहे हैं। तमिलनाडु की सियासत को नजदीक से देखने वालों का भी मानना है कि इस बार डीएमके नेता एमके स्टालिन को सत्ता मिल सकती है। तमिलनाडु में एआईडीएमके का भाजपा के साथ चुनावी गठबंधन है जबकि कांग्रेस ने डीएमके के साथ हाथ मिला रखा है।
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स्टालिन को इस बार बेहतर उम्मीदें
तमिलनाडु की सियासत में जयललिता और एम करुणानिधि का दौर समाप्त हो चुका है और स्टालिन को इस बार के विधानसभा चुनाव में पलानीसामी व पनीरसेलवम से लड़ाई लड़नी है। इन दोनों के बीच उत्तराधिकार को लेकर पहले ही आपसी लड़ाई चल रही है और ऐसे में एम के स्टालिन को इस बार के विधानसभा चुनावों में अपनी उम्मीदें काफी बेहतर नजर आ रही हैं। इस नजरिए से तमिलनाडु कांग्रेस के लिए बेहतर साबित हो सकता है क्योंकि वह द्रमुक के साथ सत्ता में वापसी कर सकती है।
मोदी पर सीधा हमला
तमिलनाडु दौरे के दौरान राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि पीएम मोदी तमिलनाडु की संस्कृति, भाषा और लोगों का सम्मान नहीं करते हैं। उनके न्यू इंडिया के आइडिया में तमिलनाडु के लोगों को दोयम दर्जा दिया गया है। उन्होंने भाषा का मुद्दा उठाते हुए यह भी कहा कि तमिल, हिंदी, बंगाली और अंग्रेजी सभी भाषाओं को समान रूप से सम्मान दिया जाना चाहिए।
राहुल के रोड शो में उमड़ी भीड़
तमिलनाडु की यात्रा के दौरान राहुल के रोड शो में काफी भीड़ उमड़ी और उन्होंने एमएसएमई क्षेत्र के लोगों और बुनकरों से भी मुलाकात की और कांग्रेस की सत्ता आने पर उनकी समस्याओं का निराकरण करने का आश्वासन भी दिया। उन्होंने कहा कि यूपीए की सरकार बनने पर जीएसटी के नियमों में बदलाव किया जाएगा और हम इसके लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।
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केरल में कांग्रेस सत्ता छीनने को बेताब
केरल में भी कांग्रेस वामपंथी दलों के नेतृत्व वाली एलडीएफ से सत्ता छीनने को बेताब है। वैसे पिछले महीने हुए केरल के स्थानीय निकाय चुनाव में वाम मोर्चा कांग्रेस पर भारी पड़ा था मगर वाममोर्चा सरकार के खिलाफ पिछले कई बड़े प्रकरणों और राहुल गांधी के दम पर कांग्रेस सत्ता में वापसी की राह देख रही है। हालांकि यह भी सच्चाई है कि वाममोर्चा के दुर्ग को भेदना कांग्रेस के लिए इतना आसान नहीं होगा।
सीट बंटवारे पर बातचीत
कांग्रेस विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अपने सहयोगी दलों के साथ सीट बंटवारे को अंतिम रूप देना चाहती है और इसी कारण राहुल ने दौरे के पहले दिन ही मुस्लिम लीग के नेताओं से मुलाकात की। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष मुल्लीपल्ली रामचंद्रन ने कहा कि राहुल ने यूडीएफ गठबंधन के नेताओं के साथ सीट बंटवारे पर बातचीत की है ताकि विधानसभा चुनाव के दौरान पूरी मजबूती से मैदान में उतरा जा सके।
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चांडी और गहलोत को सौंपी जिम्मेदारी
केरल में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए किसी का चेहरा न तय करने का इरादा है। वैसे चुनावी अभियान की कमान पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी को सौंपी गई है। इसके साथ ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी केरल में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। हाईकमान इस कोशिश में लगा हुआ है कि प्रदेश कांग्रेस में किसी प्रकार की गुटबाजी न दिखे ताकि पार्टी एकजुट होकर चुनाव में कामयाबी हासिल कर सके।
केरल में राहुल की साख दांव पर
मौजूदा समय में राहुल गांधी केरल की वायनाड सीट से ही सांसद हैं और इस कारण केरल विधानसभा चुनाव में उनकी साख दांव पर लगी हुई है। यही कारण है कि केरल विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी किसी प्रकार का जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं क्योंकि यहां कांग्रेस के खराब प्रदर्शन का ठीकरा उनके माथे पर ही फूटेगा। इसीलिए उन्होंने चुनाव से पहले ही इस राज्य में ताकत लगाई है ताकि पार्टी की चुनावी संभावनाओं को बेहतर बनाया जा सके। अब देखने वाली बात यह होगी कि राहुल गांधी अपनी मुहिम में कहां तक कामयाब हो पाते हैं।
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