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अभी खत्म नहीं हुआ कांग्रेस का तूफान, भीतर ही भीतर उबाल के संकेत

कांग्रेस में बदलाव और नेतृत्व को लेकर पैदा हुआ विवाद अभी शांत होता नहीं दिख रहा है। पार्टी नेतृत्व को चिट्ठी लिखने वाले नेताओं में शामिल कपिल सिब्बल के तेवर अभी भी नरम नहीं पड़े हैं।

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Published on: 27 Aug 2020 4:50 AM GMT
अभी खत्म नहीं हुआ कांग्रेस का तूफान, भीतर ही भीतर उबाल के संकेत
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अभी खत्म नहीं हुआ कांग्रेस का तूफान, भीतर ही भीतर उबाल के संकेत

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: कांग्रेस में बदलाव और नेतृत्व को लेकर पैदा हुआ विवाद अभी शांत होता नहीं दिख रहा है। पार्टी नेतृत्व को चिट्ठी लिखने वाले नेताओं में शामिल कपिल सिब्बल के तेवर अभी भी नरम नहीं पड़े हैं। उनका कहना है कि सिद्धांत के लिए लड़ाई में विरोध स्वत:आता है जबकि समर्थन जुटाया जाता है। दूसरी ओर कांग्रेस नेतृत्व विवाद को सुलझाने की कोशिश में जुटा हुआ है मगर एक बात साफ है कि पार्टी में सबकुछ दुरुस्त नहीं दिख रहा है। पार्टी नेतृत्व की ओर से मोदी सरकार को घेरने के लिए बनाई गई पांच सदस्यीय समिति में चिट्ठी लिखने वालों में शामिल गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा दोनों को शामिल नहीं किया गया है।

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सिब्बल ने ट्वीट से दिया जवाब

कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के बाद पार्टी के युवा और कुछ पुराने नेताओं ने पार्टी में बदलाव की मांग को लेकर चिट्ठी लिखने वाले नेताओं को कटघरे में खड़ा किया था। अब पार्टी के तेजतर्रार और बेबाक नेता माने जाने वाले नेता कपिल सिब्बल की ओर से एक ट्वीट के जरिए उसका जवाब दिया गया है। सिब्बल ने प्रत्यक्ष रूप से तो कोई हमला नहीं बोला है मगर उन्होंने अपरोक्ष रूप से यह बताने की कोशिश जरूर की है कि पार्टी के काफी लोग चिट्ठी में उठाए गए मुद्दों के पक्ष में हैं।

सिब्बल ने साफ कर दी कहानी

वैसे कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के बाद सबने मुंह बंद कर रखे हैं मगर सिब्बल के ट्वीट से साफ है कि पार्टी के भीतर का तूफान अभी शांत नहीं हुआ है। सिब्बल ने अपने ट्वीट में कहा है कि सिद्धांत की लड़ाई में, जिंदगी हो या राजनीति या कानून का क्षेत्र, विरोध होता है जबकि समर्थन प्राय: प्रबंधन के जरिए जुटाया जाता है।

कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सिब्बल के ट्वीट से बहुत कुछ साफ है। 23 नेताओं की ओर से लिखी गई चिट्ठी में भी पार्टी में सुधार की मांग की गई थी मगर गांधी परिवार के नाम की आड़ में नेताओं की आवाज को दबा दिया गया।

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कमेटी में आजाद और आनंद शर्मा नहीं

इस बीच पार्टी ने मोदी सरकार की ओर से जारी किए गए अध्यादेशों पर चर्चा के लिए एक कमेटी का गठन किया है। ध्यान देने वाली बात यह है कि इस कमेटी में गांधी परिवार के करीबी नेताओं को ही जगह दी गई है। पार्टी में बदलाव की मांग करने वाले दो वरिष्ठ नेताओं गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा को इस समिति से बाहर रखा गया है।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस कमेटी का गठन किया है और इसमें पी चिदंबरम, दिग्विजय सिंह, जयराम रमेश, डॉ अमर सिंह और गौरव गोगोई को शामिल किया गया है। समिति के संयोजन की जिम्मेदारी जयराम रमेश को सौंपी गई है।

डैमेज कंट्रोल की कोशिशें

वैसे कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में हंगामे के बाद गांधी परिवार की ओर से डैमेज कंट्रोल की कोशिशें भी जारी हैं। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद को मनाने के लिए सोनिया गांधी ने खुद मोर्चा संभाला है। राहुल गांधी ने भी बैठक के बाद गुलाम नबी आजाद से बात कर उनकी शिकायतों को दूर करने का प्रयास किया था। आजाद को संसद में कांग्रेस की दमदार आवाज माना जाता रहा है और संसद के मानसून सत्र से पहले पार्टी उनकी नाराजगी दूर करने की कोशिश में जुटी हुई है।

दिग्विजय का चिट्ठी लिखने वालों पर हमला

उधर गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि पार्टी के अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को कुछ नेताओं द्वारा पत्र लिखना ठीक नहीं है।

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उन्होंने कहा कि पत्र लिखने वाले नेताओं में पांच नेता कांग्रेस कार्यसमिति के खुद सदस्य हैं और वे सीधे इस पर चर्चा कर सकते थे। उन्होंने कहा कि पत्र लिखकर उसे मीडिया में लीक करना गलत है। उन्होंने कहा कि मैंने अभी वह पत्र नहीं देखा है मगर इसे उचित नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यसमिति के फैसले के मुताबिक अगले छह माह में पार्टी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा।

मानसून सत्र पर टिकीं निगाहें

इस बीच कोरोना संकट कारण चलता रहा संसद का मानसून सत्र 14 सितंबर से शुरू होने वाला है। संसदीय मामलों की कैबिनेट कमेटी की ओर से रखे गए प्रस्ताव के मुताबिक यह सत्र 14 सितंबर से 1 अक्टूबर तक चलेगा। सूत्रों के मुताबिक इस बार मानसून सत्र में कुल 18 बैठकें होंगी।

अब हर किसी की नजर इस बात पर लगी है कि संसद के मानसून सत्र से पहले कांग्रेस में पैदा हुआ संकट दूर हो पाता है या नहीं। वैसे कांग्रेस नेतृत्व संकट को सुलझाने की कोशिश में जुटा हुआ है मगर पार्टी में भीतर ही भीतर उबाल की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

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