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NPR पर कांग्रेस में महाभारत, संजय निरुपम ने चिदंबरम पर कही ये बड़ी बात
नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) को लेकर कांग्रेस पार्टी में महाभारत शुरू हो गया है। जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी चिदंबरम के एनपीआर पर बयान को लेकर कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने उन पर निशाना साधा।
नई दिल्ली: नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) को लेकर कांग्रेस पार्टी में महाभारत शुरू हो गया है। जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी चिदंबरम के एनपीआर पर बयान को लेकर कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने उन पर निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि टोटल कन्फ्यूजन! पी चिदंबरम चाहते हैं कि एनपीआर का विरोध हो।
उन्होंने इसके लिए चिदंबरम जेएनयू के छात्रों को कुछ टिप्स दिए हैं, तो वहीं, महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने एक मई से 15 जून के बीच एनपीआर कराने का ऐलान किया है। महाराष्ट्र की सत्ता में कांग्रेस पार्टी शिवसेना की साझेदार है। क्या दिल्ली में कांग्रेस नेतृत्व को इसकी जानकारी है?
गौरतलब है कि गुरुवार को जेएनयू में कांग्रेस के दिग्गज नेता पी. चिदंबरम ने कहा था कि अगर सभी राज्य के लोग एनपीआर के खिलाफ लामबंद हो जाएं और राज्य सरकारें फैसला कर लें कि इसको लागू नहीं किया जाएगा, तो यह विफल हो जाएगा। प्रदेशों के सहयोग के बिना एनपीआर को लागू नहीं किया जा सकता है। चिदंबरम ने कहा था कि एनपीआर, एनआरसी और सीएए तीनों अलग हैं, लेकिन तीनों इंटरकनेक्टेड हैं।
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जेएनयू में साबरमती हॉस्टल के बाहर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चिदंबरम ने कहा कि संविधान में नागरिकता का प्रावधान है और पूरे विश्व में हर जगह देश के अंदर रहने वाले नागरिकों को नागरिकता का प्रावधान होता है। अगर किसी के पिता या पूर्वज भारत में रह चुके हैं, तो उनके बच्चे यहीं के नागरिक होते हैं।
चिदंबरम ने कहा कि डॉ भीमराव अंबेडकर को संविधान में नागरिकता के अनुच्छेद को बनाने में तीन महीने का समय लगा था, लेकिन वर्तमान सरकार ने 8 दिसंबर को सीएए ड्राफ्ट किया और अगले दिन लोकसभा से पास करा लिया। इसके बाद 11 दिसंबर को राज्यसभा से भी यह पास हो गया।
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कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर भी हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि कुछ दिनों में मोदी यूनिवर्सिटी और और जूनियर अमित शाह यूनिवर्सिटी होंगी। नागरिकता को क्षेत्रीय आधार की जगह धार्मिक आधार पर दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कई देशों में धर्म के आधार पर नागरिकता दी जाती है, लेकिन भारत में ऐसा नहीं था।
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चिदंबरम ने कहा कि बीजेपी ने सीएए में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान किया है। उन्होंने पूछा कि अगर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान हमारे पड़ोसी हैं, तो क्या भूटान, म्यांमार, चीन, श्रीलंका और नेपाल हमारे पड़ोसी नहीं हैं? अगर अल्पसंख्यकों के रिलिजियस परसिक्यूशन पर ही नागरिकता दे रहे हैं, तो फिर पाकिस्तान के अहमदिया, म्यांमार के रोहिंग्या, तमिल हिंदू-तमिल मुसलमान के लोगों के बारे में क्यों नहीं सोच रहे?