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हैप्पी होली दिल बहलाने को...
होली पर कुछ भी असंभव संभव हो सकता है। बाबा देवर लग सकते हैं। आप किसी के गले पड़ सकते हैं। किसी को रंग सकते हैं। किसी में रंग भर सकते हैं। इस असंभव के संभव होने की बात इस होली से अगली होली तक सिर्फ रंगों पर ठहर जाए, यह संभव नहीं है। इसलिए इससे आगे क्या-क्या असंभव संभव हो सकता है, यह जानना जरूरी है।
योगेश मिश्र
होली पर कुछ भी असंभव संभव हो सकता है। बाबा देवर लग सकते हैं। आप किसी के गले पड़ सकते हैं। किसी को रंग सकते हैं। किसी में रंग भर सकते हैं। इस असंभव के संभव होने की बात इस होली से अगली होली तक सिर्फ रंगों पर ठहर जाए, यह संभव नहीं है। इसलिए इससे आगे क्या-क्या असंभव संभव हो सकता है, यह जानना जरूरी है।
2022 का विधानसभा चुनाव जीतने के लिए अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। 2022 का चुनाव भाजपा बनाम कांग्रेस होगा। लोकसभा चुनाव के बाद ही सपा-बसपा में पुरानी तू-तू, मैं-मैं फिर शुरू हो जाएगी। शिवपाल का रसूख बढ़ेगा। अखिलेश पिता और चाचा की शरण में आ सकते हैं। अडानी की संपत्ति अंबानी से बढ़ जाएगी। भगोड़े नीरव मोदी और विजय माल्या देश में होंगे। लोग विजय माल्या की किंगफिशर पीने से वंचित रह जाएंगे।
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नरेंद्र मोदी अल्पमत की सरकार बनाएंगे मगर संतुलन साधने की कामयाबी नहीं दिखा पाएंगे। 2022 में सरकार लडख़ड़ाती नजर आएगी। देश में मध्यावधि चुनाव का शोर होगा। उत्तर प्रदेश के जिन भी विधायकों को लोकसभा का टिकट मिलेगा वो जीत जाएंगे तो उनकी सीट भाजपा के हाथ से निकल जाएगी। राज्य सरकार का रसूख खत्म होता दिखने लगेगा। सरकार को सत्ता विरोधी रुझान का सामना करना पड़ेगा। योगी के तमाम मंत्री भ्रष्टाचार की जद में आएंगे। पार्टी और सरकार का शीर्ष चेहरा बदल जाएगा। मायावती, चंद्रबाबू नायडू, शिवसेना, शरद पवार, जगन रेड्डी मोदी की मदद करते नजर आएंगे।
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देश में राष्ट्रपति प्रणाली तथा एक साथ चुनाव पर बहस तेज हो जाएगी। प्रधानमंत्री की दौड़ में शामिल राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी दौड़ते रह जाएंगे। अमित शाह पार्टी अध्यक्ष की जगह गुजरात के मुख्यमंत्री या केंद्र में मंत्री बन जाएंगे। जेपी नड्डा, दिनेश शर्मा और उमा भारती में से कोई पार्टी अध्यक्ष बन जाएगा। नेताओं के दल और दिल बहुत तेजी से बदलेंगे। दलबदलुओं के बिना सरकार बनाने की कोशिश कोई दल नहीं करेगा। केरल में भाजपा का खाता खुलेगा। पश्चिम बंगाल में वह दहाई में प्रवेश करने में कामयाब हो जाएगी। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, दिल्ली में भाजपा का प्रदर्शन खराब होगा। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अपने संगठन मंत्रियों को भाजपा का हिस्सा बनाकर भविष्य में संगठन मंत्री को भेजने की परंपरा पर विराम लगाएगा।
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तीसरे और चौथे मोर्चे की संभावना खत्म हो जाएगी। ममता को कांग्रेस के पीछे खड़ा होना पड़ेगा। शरद पवार, ममता, मायावती और अखिलेश की ख्वाहिशें परवान नहीं चढ़ पाएंगी। लालू के परिवार के कुछ और सदस्य जेल जाएंगे। पी. चिदंबरम, राबर्ट वाड्रा और भूपिंदर सिंह हुड्डा को भी हवालात जाना पड़ सकता है। कांग्रेस तीन अंकों में प्रवेश कर जाएगी। बावजूद इसके प्रियंका को कमान देने की मांग जोर पकड़ेगी। प्रियंका को यूपी का अगला मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट किया जाएगा। वरुण गांधी और मेनका गांधी हाथ का साथ देने लगेंगे। कांग्रेस मोदी की पिच पर खेलेगी। उसका वोट बढ़कर दोगुना हो जाएगा। धर्म की राजनीति और राजनीति का धर्म होगा सियासत का मर्म।
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मुख्य सचिव और डीजीपी सेवा निवृत्ति के बाद रि-इम्प्लायमेंट के हकदार होंगे। कई नेता सेक्स रैकेट की जद में आएंगे। नेता और अफसरों का स्टिंग आपरेशन होगा। लोग एक्चुअल वर्ड की जगह वर्चुअल वर्ड में जीना पसंद करेंगे। पश्चिम में 'रावण'का राज बढ़ेगा। दूध की खपत कम होगी और शराब की बढ़ेगी। किसी बड़े आतंकवादी के मारे जाने की खबर दौर-ए-चुनाव आएगी। चुनाव में नेताओं के इतने रुपए पकड़े जाएंगे कि मतदाताओं की आंख खुली की खुली रह जाएगी।
क्षेत्रीय दलों का महत्व खत्म हो जाएगा। आम आदमी की जिंदगी थोड़ी आसान हो सकती है। महंगाई पर नियंत्रण लग सकता है। उज्जवला योजना, आयुष्मान योजना, आवास योजना, शौचालय योजना सरीखी केंद्र की योजनाएं जरूरतमंदों तक पहुंचेगी। किसाना को उनके पैदावार का उचित मूल्य मिलेगा। आवारा पशुओं से निजात मिलेगी। नौकरियों के इम्तिहान वाले पर्चे आउट नहीं होंगे। टीचरों को सिर्फ पढ़ाई की जिम्मेदारी दी जाएगी, बाकी काम से उन्हें मुक्त कर दिया जाएगा।
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कुंभ के दौरान गंगा जितनी निर्मल रहीं उतनी निर्मल हमेशा रहेंगी। कुंभ में संत-महंतों ने सरकार से जो धन लिया है उसे वह धार्मिक कार्यों में खर्च करेंगे। जिस तरह प्रयागराज, गोरखपुर, वाराणसी और लखनऊ शहर सुंदर हुए हैं उसी तरह हर शहर सुंदर हो जाएगा। शौचालय और स्वच्छता पर अमल हर इंसान करने लगेगा। दुराचार की घटनाएं बंद होंगी। मीडिया अटकलों की खबर छापना बंद कर देगा। टीवी की बहस मल्लयुद्ध का मैदान न बने। हमारे एंकर गला फाड़ू चिल्लाना बंद कर दें। सरकारें जो भी घोषणाएं करें उस पर अमल हो जाए। घोषणा पत्र, विजन डाक्यूमेंट अथवा संकल्प पत्र में जो भी कहा जाए उसे जमीन पर उतारा जाए। पेड न्यूज बंद हो जाए। सोशल मीडिया पर फेक न्यूज की जगह फेथ न्यूज का बोलबाला हो जाएगा। चुनावी नतीजे ऐसे आएं कि लोगों को ईवीएम पर भरोसा हो जाए।
बहरहाल, सही ही कहा है।
हमको मालूम है ज़न्नत की हकीकत लेकिन
दिल को बहलाने को गालिब ये ख्याल अच्छा है।