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कांग्रेस में घमासान तेजः हाईकमान की चुप्पी, आपस में उलझ रहे वरिष्ठ नेता

पूरे प्रकरण पर कांग्रेस हाईकमान ने चुप्पी साध रखी है और पार्टी के नेताओं ने आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। सियासी जानकारों का कहना है कि पार्टी नेतृत्व पर हार की समीक्षा के लिए दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है।

Newstrack
Published on: 19 Nov 2020 3:27 AM GMT

नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव में बेहद खराब प्रदर्शन के बाद कांग्रेस में घमासान लगातार तेज होता जा रहा है। भाजपा से मुकाबला करने की रणनीति के साथ आर्थिक मुद्दों पर भी पार्टी में मतभेद उभरने लगे हैं। बिहार में हार के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा को हटाने की मांग भी तेज होती जा रही है। बिहार में हार के बाद नेतृत्व पर सवाल खड़े करने वाले कपिल सिब्बल निशाना साधा जा रहा है। पार्टी में चल रहे घमासान पर हाईकमान ने चुप्पी साध रखी है और पार्टी नेता आपस में ही उलझते जा रहे हैं। पार्टी नेतृत्व के इस रवैये के कारण आने वाले दिनों में पार्टी में मतभेद और गहराने के आसार दिख रहे हैं।

अब चौधरी ने खोला मोर्चा

बिहार चुनाव में कांग्रेस की दुर्गति के बाद सवाल खड़े करने वाले कपिल सिब्बल के खिलाफ लोकसभा में संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने मोर्चा खोल दिया है। चौधरी से पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पार्टी के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर और सलमान खुर्शीद भी सिब्बल को नसीहत दे चुके हैं।

सिब्बल दूसरी पार्टी में जाने के लिए स्वतंत्र

चौधरी ने सिब्बल पर निशाना साधते हुए कहा कि वे कांग्रेस पार्टी और आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता को लेकर काफी चिंतित हैं मगर बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात चुनाव में कहीं भी किसी को उनका चेहरा नहीं दिखा। चौधरी ने यहां तक कह दिया कि यदि सिब्बल को लगता है कि कांग्रेस सही पार्टी नहीं है तो वे नई पार्टी बना लें या फिर की फिर किसी और पार्टी में जाने के लिए आजाद हैं।

खुद प्रचार में गए नहीं, अब दे रहे नसीहत

चौधरी ने कहा कि सिब्बल एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता है और उनकी पार्टी के बड़े नेताओं तक पहुंच है। सार्वजनिक रूप से शर्मनाक टिप्पणी करने की जगह वे पार्टी नेतृत्व के साथ इन मुद्दों को उठा सकते हैं।

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वे खुद तो कहीं भी चुनाव प्रचार करने के लिए नहीं गए और अब पार्टी को नसीहत देने में जुटे हुए हैं। यदि वे कहीं चुनाव प्रचार के लिए गए होते तो यह साबित कर सकते थे कि उनका कहना ठीक है और उन्होंने कांग्रेस को मजबूत करने का काम किया है।

युवा कांग्रेस अध्यक्ष ने भी साधा निशाना

भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने भी सिब्बल पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि जब समय अच्छा था तब तो सिब्बल संगठन को ज्ञान देने वाले मंत्री थे, लेकिन तब भी राहुल गांधी न प्रधानमंत्री बने और न मंत्री। उस समय भी वे युवा कांग्रेस जैसे कांग्रेस के फ्रंटल संगठनों को मजबूत बनाने में जुटे हुए थे।

आर्थिक मुद्दों पर भी पार्टी में उभरे मतभेद

इस बीच आर्थिक मुद्दों पर भी पार्टी में मतभेद उभरते दिख रहे हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) में शामिल नहीं होने के सरकार के फैसले को अफसोस जनक करार दिया है। जहां एक ओर आनंद शर्मा ने सरकार के इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है तो दूसरी ओर कांग्रेस आरसीईपी में शामिल होने के खिलाफ है।

आनंद शर्मा की राय पार्टी से अलग

सरकार के फैसले के बाद पार्टी का कहना था कि उसके दबाव में ही सरकार ने यह फैसला लिया है। पार्टी से इतर राय रखते हुए शर्मा का कहना है कि यह फैसला इसलिए दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि यह भारत के सामरिक और आर्थिक हितों के खिलाफ है।

शर्मा की राय पर पार्टी का बयान नहीं

वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा के इस रुख के बाद यह तय माना जा रहा है कि पार्टी के असंतुष्ट नेता संगठन से जुड़े मुद्दों पर ही नहीं बल्कि पार्टी की नीतियों के खिलाफ भी अलग रुख अपनाने के लिए तैयार हैं। पार्टी की ओर से अभी तक आनंद शर्मा के रुख पर कोई बयान नहीं दिया गया है मगर पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि शर्मा जैसे वरिष्ठ नेताओं को इस तरह की बयानबाजी से बाज आना चाहिए।

बिहार में अध्यक्ष को हटाने की मांग तेज

उधर बिहार में हार के बाद प्रदेश कांग्रेस में भी खींचतान काफी तेज हो गई है। बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा को पद से हटाने की मांग पार्टी में तेज होती जा रही है।

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बिहार कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में हार के कारणों पर विचार करने के बाद प्रदेश नेतृत्व में बदलाव किया जा सकता है। बिहार में पार्टी के कई नेता चुनाव में टिकट बंटवारे को भी लेकर प्रदेश कांग्रेस नेताओं की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं।

उनका कहना है कि पार्टी की ओर से सही उम्मीदवारों का चयन नहीं किया गया और इस कारण पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा और एनडीए को सरकार बनाने में फिर कामयाबी मिल गई।

चुनाव में कांग्रेस का लचर प्रदर्शन

दरअसल हाल में बिहार विधानसभा चुनाव और विभिन्न राज्यों में हुए उपचुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। बिहार विधानसभा की 70 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद कांग्रेस सिर्फ 19 सीटें जीतने में कामयाब हो पाई।

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कांग्रेस के इस खराब प्रदर्शन पर राजद नेताओं ने भी सवाल खड़े किए हैं। राजद नेताओं का कहना है कि कांग्रेस का प्रदर्शन यदि ठीक होता तो महागठबंधन सरकार बनाने में जरूर कामयाब हो जाता। कई राजद नेताओं ने तो यहां तक कहा है कि कांग्रेस को इतनी ज्यादा सीटें देने की जरूरत ही नहीं थी।

हाईकमान की चुप्पी से आरोप-प्रत्यारोप तेज

बिहार ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश और गुजरात में भी कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। इसके बाद से ही पार्टी में आत्मनिरीक्षण और आत्ममंथन की मांग तेज हो गई है मगर अभी तक हाईकमान की ओर से इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया गया है।

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