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कांग्रेस का सियासी घमासान तेज, अब थरूर और देवड़ा ने दी राहुल ब्रिगेड को नसीहत

यूपीए काल की खामियों को लेकर शुरू हुआ कांग्रेस का अंदरूनी सियासी घमासान और तेज हो गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं ने नए नेताओं को अपनी विरासत का अपमान न करने की सलाह दी है।

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Published on: 2 Aug 2020 4:47 AM GMT
कांग्रेस का सियासी घमासान तेज, अब थरूर और देवड़ा ने दी राहुल ब्रिगेड को नसीहत
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अंशुमान तिवारी:

नई दिल्ली: यूपीए काल की खामियों को लेकर शुरू हुआ कांग्रेस का अंदरूनी सियासी घमासान और तेज हो गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं ने नए नेताओं को अपनी विरासत का अपमान न करने की सलाह दी है। उनका कहना है कि युवा नेता ऐसा करके लोगों की नजर में पार्टी को कमजोर करने की भाजपा की सोच को ही बढ़ावा देंगे। यूपीए काल की खामियों को लेकर हमलावर राहुल ब्रिगेड के खिलाफ पुराने कांग्रेसी दिग्गज भी मैदान में उतर गए हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर और मिलिंद देवड़ा ने भी पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी की बातों का समर्थन किया है।

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पार्टी की एकजुटता पर जोर

पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि अपनी विरासत का अपमान करने की प्रवृत्ति खतरनाक है और इससे कांग्रेसियों में ही बंटवारा पैदा होगा जबकि पार्टी को इस समय एकजुटता दिखानी चाहिए। उन्होंने अतीत की हारों से सीख लेने की नसीहत देते हुए कहा कि हमें अपने वैचारिक शत्रुओं के हिसाब से चलने के बजाय पार्टी को मजबूत करने में जुटना चाहिए।

विरासत का अपमान न करने की सलाह

पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने यूपीए सरकार का बचाव करते हुए कहा कि कोई भी अपनी विरासत का अपमान नहीं करता। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्यों की बैठक में युवा नेता राजीव सातव ने यूपीए सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए थे। इसका जवाब देते हुए शर्मा ने कहा कि कांग्रेस नेताओं को ऐसी बात नहीं करनी चाहिए। उन्हें अपनों के साथ विरासत पर गर्व करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हम भाजपा से श्रेय पाने की कोई उम्मीद नहीं रख सकते, लेकिन कम से कम हमारी पार्टी के लोगों को तो अपनी विरासत का सम्मान जरूर करना चाहिए। शर्मा ने कहा कि इतिहास पूरी ईमानदारी से पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के योगदान को याद रखेगा।

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मनीष तिवारी ने दिया भाजपा का उदाहरण

पार्टी के एक अन्य नेता ने कहा कि पार्टी को पीएम नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के खिलाफ एकजुटता दिखानी चाहिए मगर हम आपसी गतिरोध में उलझे हुए हैं। हम आम जनता की नजरों में खुद को आपस में उलझा हुआ दिखा रहे हैं जो कि भाजपा की सोच को बढ़ावा देने वाला है। पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने तो पार्टी के युवा नेताओं के सामने भाजपा का उदाहरण पेश कर दिया है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि भाजपा 2004 से 2014 तक 10 साल सत्ता से बाहर रही मगर इस हालत के लिए पार्टी में किसी ने अटल बिहारी वाजपेई या उनकी सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया।

मिलिंद देवड़ा भी उतरे मैदान में

मनीष तिवारी ने कहा कि कांग्रेस के कुछ लोग दिग्भ्रमित हो गए हैं और भाजपा से लड़ने के बजाय यूपीए सरकार पर ही छींटाकशी करने में जुटे हुए हैं। ऐसे समय में जब पार्टी को एकता दिखानी चाहिए, कुछ लोग विभाजन की नीति पर चल रहे हैं। पूर्व सांसद मिलिंद देवड़ा ने भी मनीष तिवारी की बातों पर सहमति जताई है।

देवड़ा का कहना है कि 2014 में पद छोड़ते समय डॉ मनमोहन सिंह ने कहा था कि इतिहास मेरे प्रति उदार रहेगा। देवड़ा ने अपने ट्वीट में कहा कि क्या उन्होंने कभी यह कल्पना की होगी कि उनकी ही पार्टी के कुछ लोग देश के प्रति उनकी सालों की सेवा को खारिज कर देंगे और उनकी विरासत को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेंगे। वह भी उनकी मौजूदगी में।

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थरूर ने कलंकित करने वाला कदम बताया

पार्टी के एक और वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर भी यूपीए सरकार की खामियों से जुड़े बयान पर खासे नाराज हैं। उन्होंने भी मनीष तिवारी और मिलिंद देवड़ा के सुर में सुर मिलाया है। उनका कहना है कि यूपीए के क्रांतिकारी 10 सालों को दुर्भावनापूर्ण विमर्श के साथ कलंकित कर दिया गया।

थरूर का कहना है कि कांग्रेस को मजबूत बनाने के लिए काफी मेहनत करने की जरूरत है और हमें हार से सबक सीखना होगा। लेकिन इसके साथ ही हमें इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि हम अपने वैचारिक शत्रुओं के हिसाब से चलकर अपने लक्ष्य को नहीं हासिल कर सकते।

जल्द थमने वाला नहीं है विवाद

कांग्रेश के बुजुर्ग और युवा नेताओं में यह खींचतान राज्यसभा सदस्यों की बैठक के बाद शुरू हुई है। बैठक में सांसद राजीव सातव ने यूपीए सरकार की खामियों पर आत्मचिंतन करने की सलाह दी थी। उन्होंने यह भी कहा था कि कपिल सिब्बल और पी चिदंबरम सरीखे वरिष्ठ नेताओं को इतनी पुरानी पार्टी के कमजोर होने पर जरूर सोचना चाहिए। यूपीए सरकार पर सवाल उठाने के बाद वरिष्ठ नेताओं के मुखर होने से साफ है कि कांग्रेस के भीतर चल रहा घमासान इतनी जल्दी खत्म होने वाला नहीं है।

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