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Nitish Kumar News: विपक्षी एकता को नई धार देंगे नीतीश, लखनऊ में आज अखिलेश यादव से होगी मुलाकात, ममता बनर्जी से भी करेंगे चर्चा
Nitish Kumar News: बिहार में एनडीए का दामन छोड़कर महागठबंधन से हाथ मिलाने वाले मिलाने के बाद से ही नीतीश कुमार भाजपा पर तीखा हमला करने में जुटे हुए हैं। विपक्षी दलों को एकजुट बनाने के लिए इन दिनों में काफी सक्रिय हैं।
Nitish Kumar News: 2024 की सियासी जंग में भाजपा को केंद्र की सत्ता से हटाने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ी सियासी मुहिम छेड़ रखी है। विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश में जुटे नीतीश कुमार अब नई मुहिम शुरू करने वाले हैं। इसके तहत नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा मुखिया अखिलेश यादव और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व टीएमसी मुखिया ममता बनर्जी के साथ मुलाकात करेंगे। नीतीश कुमार आज लखनऊ में सपा मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात करेंगे। यहां से वे सीधे कोलकाता के लिए रवाना होंगे जहां उनकी ममता बनर्जी से मुलाकात होने वाली है।
बिहार में एनडीए का दामन छोड़कर महागठबंधन से हाथ मिलाने वाले मिलाने के बाद से ही नीतीश कुमार भाजपा पर तीखा हमला करने में जुटे हुए हैं। विपक्षी दलों को एकजुट बनाने के लिए इन दिनों में काफी सक्रिय हैं। नीतीश कुमार ने पिछले दिनों राजधानी दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के साथ मुलाकात की थी। उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अलावा वाम दलों के नेताओं से भी मुलाकात की थी। अब सबकी निगाहें नीतीश कुमार की अखिलेश यादव और ममता बनर्जी से होने वाली मुलाकात पर टिकी हैं। अब यह देखने वाली बात होगी कि नीतीश कुमार की पहल पर ममता और अखिलेश यादव क्या रुख अपनाते हैं।
अखिलेश छोटे दलों के साथ गठबंधन के इच्छुक
नीतीश कुमार और अखिलेश यादव की मुलाकात सियासी नजरिए से इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि अखिलेश यादव 2024 की सियासी जंग में कांग्रेस के साथ हाथ मिलाकर नहीं उतरना चाहते। वे समय-समय पर अपना रुख स्पष्ट करते रहे हैं। उत्तर प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव में भी अखिलेश यादव छोटे दलों के साथ गठबंधन करने के इच्छुक है। वे अपनी मंशा को पहले भी जाहिर कर चुके हैं।
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अखिलेश यादव का मानना है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस कोई बड़ी सियासी ताकत नहीं है और इस कारण कांग्रेस के साथ गठबंधन करने का कोई फायदा नहीं होने वाला है।
2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था मगर इसका कोई सियासी फायदा नहीं मिल सका। इस कारण चुनाव के बाद उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन तोड़ दिया था और 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा के साथ गठबंधन करके चुनावी अखाड़े में उतरे थे। अब वे लोकसभा चुनाव में भी छोटे दलों के साथ गठबंधन करके चुनाव मैदान में उतरना चाहते हैं। ऐसे में नीतीश कुमार उन्हें मनाने में कहां तक कामयाब हो पाते हैं, यह देखने वाली बात होगी।
कांग्रेस पर ममता का हमलावर रुख
दूसरी ओर नीतीश और ममता की मुलाकात को इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि ममता हाल के दिनों में भाजपा के साथ कांग्रेस पर भी हमलावर रही हैं। पश्चिम बंगाल की सागरदिघी विधानसभा सीट पर पिछले दिनों हुए उपचुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद उन्होंने भाजपा व वामदलों के साथ कांग्रेस पर भी बड़ा हमला बोला था। उन्होंने कांग्रेस और भाजपा पर मिलीभगत का आरोप लगाया था। इसके साथ ही उन्होंने 2024 की सियासी जंग में अपने दम पर उतरने का बड़ा ऐलान भी किया था।
टीएमसी नेताओं की ओर से समय-समय पर प्रधानमंत्री पद के लिए विपक्ष की ओर से ममता बनर्जी का नाम उछाला जाता रहा है। ममता बनर्जी इस बाबत खुद तो कुछ नहीं बोलती हैं मगर उनकी पार्टी के नेताओं की ओर से समय-समय पर ममता को पीएम पद का उम्मीदवार बताया जाता रहा है। ममता बनर्जी की भी हाल के दिनों में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन समेत विपक्ष के अन्य नेताओं से चर्चा होती रही है। ऐसे में नीतीश कुमार की पहल पर ममता का क्या रुख होगा, यह देखा जाना अभी बाकी है।
ममता और अखिलेश के जवाब पर निगाहें
नीतीश कुमार की लखनऊ और कोलकाता की यात्रा के दौरान राज्य के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के भी मौजूद रहने की संभावना है। विपक्ष की एकजुटता के लिए नीतीश कुमार गत 11 अप्रैल को तीन दिवसीय दौरे पर दिल्ली भी पहुंचे थे। इस दौरान भी तेजस्वी और ललन सिंह उनके साथ मौजूद थे। नीतीश ने 12 अप्रैल को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मुलाकात की थी।
सियासी नजरिए से काफी महत्वपूर्ण मानी जाने वाली यह मुलाकात करीब डेढ़ घंटे तक चली थी और इस दौरान विपक्षी एकजुटता के विभिन्न पहलुओं पर गहराई से मंथन किया गया था। बाद में नीतीश कुमार ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और वामपंथी दलों के नेताओं से भी विपक्षी एकजुटता पर चर्चा की थी। अब वे अखिलेश यादव और ममता बनर्जी से मुलाकात करके विपक्षी एकजुटता की राह में नया अध्याय जोड़ने की कोशिश में जुट गए हैं। अब यह देखने वाली बात होगी कि नीतीश की इस पहल पर अखिलेश और ममता बनर्जी का क्या जवाब होता है।
कैसे सुलझे पीएम पद की गुत्थी
विपक्षी एकजुटता में सबसे बड़ी बाधा प्रधानमंत्री पद के चेहरे को लेकर फंसी हुई है। हालांकि नीतीश कुमार समय-समय पर खुद को पीएम पद की रेस से बाहर बताते रहे हैं मगर उनकी पार्टी की ओर से उन्हें पीएम मैटेरियल बताया जाता रहा है बिहार की राजधानी पटना की सड़कों पर नीतीश को पीएम उम्मीदवार बताते हुए पोस्टर भी लगाए जा चुके हैं। दूसरी ओर ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल की सियासी महत्वाकांक्षाएं भी किसी से छिपी हुई नहीं है।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री और बीआरएस के मुखिया के चंद्रशेखर राव भी अलग सियासी खिचड़ी पकाने में जुटे हुए हैं। दूसरी ओर कांग्रेस को पीएम पद के लिए राहुल गांधी के अलावा कोई और नाम मंजूर नहीं है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को ही पीएम पद का सबसे मजबूत उम्मीदवार बताते रहे हैं।
यह भी सच्चाई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सबसे मजबूत सियासी लड़ाई राहुल गांधी ही लड़ रहे हैं। सूरत कोर्ट के फैसले के बाद संसद सदस्यता रद्द किए जाने पर वे भाजपा और पीएम मोदी के खिलाफ और तीखे हमले करने में जुटे हुए हैं। ऐसे में नीतीश कुमार के सियासी मिशन का असर देखा जाना अभी बाकी है।