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नाना पटोले: बीजेपी छोड़ गडकरी के खिलाफ लड़ा था चुनाव, अब बने विधानसभा स्पीकर

महाराष्ट्र में शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस गठबंधन, महाराष्ट्र विकास अघाड़ी की अगुवाई में उद्धव ठाकरे सरकार ने रविवार को दूसरा टेस्ट भी पास कर लिया।

Aditya Mishra
Published on: 1 Dec 2019 7:27 AM GMT
नाना पटोले: बीजेपी छोड़ गडकरी के खिलाफ लड़ा था चुनाव, अब बने विधानसभा स्पीकर
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मुंबई: महाराष्ट्र में शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस गठबंधन, महाराष्ट्र विकास अघाड़ी की अगुवाई में उद्धव ठाकरे सरकार ने रविवार को दूसरा टेस्ट भी पास कर लिया और विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) पद के लिए खड़े किए गए उम्मीदवार नाना पटोले को निर्विरोध चुन लिया गया। नाना पटोले ने विधानसभा स्पीकर का पदभार भी संभाल लिया है।

बता दे कि महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बहुमत के लिए 145 विधायकों के वोट चाहिए थे जबकि उनके पक्ष में 169 वोट पड़े। राज्य विधानसभा में 105 विधायकों वाले सबसे बड़े दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने मतदान से पहले सदन का बर्हिगमन किया जबकि चार विधायक तटस्थ रहे।

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विश्वास मत के खिलाफ नहीं पड़ा कोई वोट

विश्वास मत के खिलाफ कोई वोट नहीं पड़ा। तटस्थ रहने वाले विधायकों में ठाकरे के चेचेरे भाई राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) का एक विधायक भी शामिल थे। मनसे के अलावा ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के दो और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के एक विधायक ने भी मतदान में हिस्सा नहीं लिया।

प्रोटेम स्पीकर दिलीप वलसे पाटिल ने इसका ऐलान करते हुए कहा कि नाना पटोले निर्विरोध स्पीकर चुने गए हैं। पाटिल ने कहा कि पटोले से आग्रह किया जाता है कि वे अपना आसन ग्रहण करें।

देवेन्द्र फडणवीस विपक्ष के नेता चुने गये

भारतीय जनता पार्टी नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस को विधानसभा में विपक्ष का नेता चुना गया है। रविवार को औपचारिक तौर पर इस बात का ऐलान किया गया। इससे पहले, महाराष्ट्र विधानसभा में नाना पटोले को सर्वसम्मति से स्पीकर चुना गया।

नाना पटोले का किसान परिवार से है ताल्लुक: उद्धव

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पटोले को स्पीकर के आसन तक ले गए। उनके साथ अन्य नेता भी थे। बाद में चर्चा शुरू होने पर उद्धव ठाकरे ने कहा, नाना पटोले एक किसान परिवार से आते हैं, इसलिए उम्मीद है कि वे सबको इंसाफ दिलाने का काम करेंगे।

विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि विधानसभा स्पीकर पद के लिए हमारी पार्टी ने किसान कठोरे का नाम प्रस्तावित किया था। लेकिन सर्वदलीय बैठक और अन्य पार्टियों के आग्रह के बाद हमने फैसला किया कि इस पद का चुनाव निर्विरोध होना चाहिए । इसलिए सबकी सहमति से हमने अपने उम्मीदवार का नाम वापस ले लिया।

हिंदुत्व के सवाल पर उद्धव ने दिया ये जवाब

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने रविवार को विपक्ष के हिंदुत्व के सवाल पर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि अपनी बात पर कायम रहना ही उनका हिंदुत्व है। बता दें कि कांग्रेस से गठबंधन के बाद से ही देवेंद्र फडणवीस और बीजेपी उद्धव ठाकरे को हिंदुत्व के सवाल पर घेरते रहे हैं, जिस पर उन्होंने जवाब दिया है।

सदन में चर्चा के दौरान उद्धव ठाकरे ने कहा कि जनता के आशीर्वाद से मैं मुख्यमंत्री बना और मैं भाग्यशाली हूं क्योंकि पिछले 30 साल से जो मेरे विरोधी थे, वे अब दोस्त बन गए हैं। मैंने देवेंद्र फडणवीस से बहुत कुछ सीखा है, उन्हें विरोधी पक्ष नहीं कहूंगा बल्कि एक पार्टी का जवाबदेह नेता कहूंगा।

ऐसे हुआ निर्विरोध चयन

राज्य के बीजेपी प्रमुख चंद्रकांत पाटिल के अनुसार, ऐसा विपक्षी भारतीय जनता पार्टी की ओर से रविवार को अपने उम्मीदवार किशन कठोरे का नाम वापस लेने की वजह से हुआ।

पटोले, सत्तारूढ़ शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-कांग्रेस महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के उम्मीदवार हैं । एमवीए ने शनिवार अपरान्ह विधानसभा में विश्वास मत जीता था। महाराष्ट्र विधानसभा का दो दिवसीय सत्र रविवार से शुरू हो रहा है ।

कौन हैं नाना पटोले?

नाना पटोले महाराष्ट्र के विदर्भ में सकोली विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस एमएलए हैं। भाजपा से भी नाना पटोले का खास कनेक्शन रहा है।

नाना पटोले के राजनीतिक करियर को देखते हुए उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर के लिए चुना है।

नाना पटोले की पहचान तेज तर्रार नेता के तौर पर रही है। वह हमेशा से किसानों के मुद्दे को उठाते रहे हैं। वह विदर्भ के ओबीसी कुनबी समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं।

वह करीब 32 सालों से राजनीति कर रहे हैं।वह एक किसान परिवार से आते हैं। वह करीब 32 सालों से राजनीति कर रहे हैं। नानाभाऊ पटोले 1990 में पटोले सांगड़ी जिला परिषद इलाके के भंडारा जिला परिषद के सदस्य बने।

अपने पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से उन्हें टिकट नहीं दिया गया। इसके बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा हालांकि उन्हें बीजेपी उम्मीदवार के हाथों हारना पड़ा। इसके बाद पटोले 1999 और 2004 में कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे और जीत दर्ज की।

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कांग्रेस छोड़ बीजेपी का थामा दामन

नानाभाऊ पटोले कांग्रेस की ओर से महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता भी रहे हैं। वह पहली बार सुर्खियों में तब आए जब साल 2014 में वह भाजपा से सांसद बने। दरअसल, 2014 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले पटोले कांग्रेस छोड़, भाजपा में शामिल हो गए और सांसद बने।

2014 के आम चुनावों में उन्होंने नागपुर की भंडारा गोंदिया सीट से एनसीपी के बड़े नेता प्रफुल्ल पटेल को करीब डेढ़ लाख वोटों से हराया था।

कांग्रेस से नीतिन गडकरी के खिलाफ लड़ा चुनाव

करीब चार सालों बाद साल 2018 में नानाभाऊ पटोले ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया और फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए। भाजपा से मतभेदों लेकर वह अलग हुए थे। भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए नाना पटोले ने 2019 में नितिन गडकरी के खिलाफ नागपुर लोकसभा सीट चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। फिलहाल वह सकोली से कांग्रेस विधायक हैं।

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