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Birthday Special: डॉ मनमोहन सिंह से जुड़े 3 विवाद, जानकर होंगे हैरान
निजी कंपनियों को बगैर नीलामी के खदानों से कोयला निकालने के ठेके बेहद सस्ती कीमतों पर दिए गए। इसकी वजह से 1.86 लाख करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान सरकारी खजाने को उठाना पड़ा।
नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आज अपना 87वां जन्मदिन मना रहे हैं। ब्रिटिश भारत (वर्तमान पाकिस्तान) के पंजाब प्रांत में 23 सितंबर,1932 को जन्मे मनमोहन सिंह भारत के 13वें प्रधानमंत्री तो रहे ही साथ वह एक बेहतरीन अर्थशास्त्री भी हैं। अपने सरल स्वभाव के लिए जाने जाते डॉ सिंह के नाम कुछ विवाद भी जुड़े हैं।
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आइए जानते हैं डॉ मनमोहन सिंह से जुड़े विवाद के बारे में। ये वो विवाद हैं, जिनकी वजह से डॉ सिंह को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। इनकी वजह से डॉ सिंह के इस्तीफे की बातें भी उठी थीं।
‘देहाती औरत’ वाला अपनाम नहीं भूला भारत
साल 2013 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह न्यूयॉर्क में पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ से मिले थे। दोनों नेताओं के बीच करीब घंटे भर बातचीत हुई थी, लेकिन सकारात्मक बात निकलकर नहीं आ सकी। मनमोहन-शरीफ की मुलाकात को लेकर अगर सबसे ज्यादा कोई बात चर्चा में रही थी तो वह था 'देहाती औरत' विवाद।
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पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर ने मुलाकात से कुछ घंटे पहले दावा किया कि शरीफ ने मनमोहन को 'देहाती औरत' करार दिया। हालांकि, बाद में वह पलट गए, लेकिन भारत में विपक्ष ने इसे पीएम के अपमान मुद्दा बना दिया। इस मामले को लेकर ट्विटर और फेसबुक पर पीएम के अपमान को लेकर लंबी-चौड़ी बहस छिड़ गई थी।
2G स्पेक्ट्रम घोटाला
2G स्पेक्ट्रम घोटाला, जो स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा वित्तीय घोटाला है उस घोटाले में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट के अनुसार एक लाख छिहत्तर हजार करोड़ रुपये का घपला हुआ है। इस घोटाले में विपक्ष के भारी दवाव के चलते मनमोहन सरकार में संचार मंत्री ए राजा को न केवल अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा, लेकिन उन्हें जेल भी जाना पड़ा।
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केवल इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में प्रधानमंत्री तत्कालीन मनमोहन सिंह की चुप्पी पर भी सवाल उठाया। इसके अतिरिक्त टूजी स्पेक्ट्रम आवण्टन को लेकर संचार मंत्री ए राजा की नियुक्ति के लिये हुई पैरवी के संबंध में नीरा राडिया, पत्रकारों, नेताओं और उद्योगपतियों से बातचीत के बाद डॉ सिंह की सरकार भी कटघरे में आ गयी थी।
कोयला आवंटन घोटाला
मनमोहन सिंह के कार्यकाल में देश में कोयला आवंटन के नाम पर करीब 26 लाख करोड़ रुपये की लूट हुई और सारा कुछ प्रधानमंत्री की देखरेख में हुआ क्योंकि यह मंत्रालय उन्हीं के पास है।
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इस महाघोटाले का राज है कोयले का कैप्टिव ब्लॉक, जिसमें निजी क्षेत्र को उनकी मर्जी के मुताबिक ब्लॉक आवंटित कर दिया गया। इस कैप्टिव ब्लॉक नीति का फायदा हिंडाल्को, जेपी पावर, जिंदल पावर, जीवीके पावर और एस्सार आदि जैसी कंपनियों ने जोरदार तरीके से उठाया। यह नीति खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की दिमाग की उपज थी।
क्या है कोयला आवंटन घोटाला?
कोयला आवंटन घोटाला (Coal Mining Scam) भारत में राजनैतिक भ्रष्टाचार का एक नया मामला है जिसमें नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) ने भारत सरकार पर आरोप लगाया है कि देश के कोयला भण्डार मनमाने तरीके से निजी एवं सरकारी आबंटित कर दिये गये जिससे साल 2004 से 2009 के बीच 10,67,000 करोड़ रूपए (US$155.78 बिलियन) की हानि हुई।
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संसद में पेश कैग रिपोर्ट में जुलाई 2004 से अब तक हुए 142 कोयला ब्लाक आवंटन से 1.86 लाख करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया कि 2004 से 2009 के बीच कोयला खदानों के ठेके देने में अनियमिताएं बरती गईं।
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निजी कंपनियों को बगैर नीलामी के खदानों से कोयला निकालने के ठेके बेहद सस्ती कीमतों पर दिए गए। इसकी वजह से 1.86 लाख करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान सरकारी खजाने को उठाना पड़ा। इस प्रकरण की वजह से देश में ऐसा पहली बार हुआ, जब किसी मामले में देश के प्रधानमंत्री पर उंगली उठाई गयी हो। कोल ब्लॉक आवंटन मामले में डॉ सिंह से बीजेपी ने इस्तीफे की मांग भी की थी।