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कांग्रेस से नाराज सिद्धू बदलेंगे पाला, पंजाब में हो सकते हैं आप का चेहरा

कांग्रेस आलाकमान व पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिन्दर सिंह से नाराज चल रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री व कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने सरकार में लौटने से इनकार कर दिया है।

Shreya
Published on: 13 Feb 2020 7:36 AM GMT
कांग्रेस से नाराज सिद्धू बदलेंगे पाला, पंजाब में हो सकते हैं आप का चेहरा
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कांग्रेस से नाराज सिद्धू बदलेंगे पाला, पंजाब में हो सकते हैं आप का चेहरा

चंडीगढ़: कांग्रेस आलाकमान व पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिन्दर सिंह से नाराज चल रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री व कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने सरकार में लौटने से इनकार कर दिया है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने सिद्धू को मनाने की काफी कोशिश की मगर सिद्धू सरकार में लौटने के लिए तैयार नहीं हुए। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले हुई इस बैठक में सिद्धू ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है।

कैप्टन से छत्तीस का आंकड़ा

सिद्धू ने कैप्टन सरकार में न लौटने का कारण बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का उन पर विश्वास नहीं है। वे सार्वजनिक मंचों पर भी अपनी नाराजगी जताने से नहीं चूकते। ऐसे में फिर से कैप्टन सरकार में लौटने का कोई मतलब नहीं है। इसका मतलब साफ है कि अब भी सिद्धू के मन में कैप्टन और कांग्रेस आलाकमान के प्रति नाराजगी दूर नहीं हुई है। सिद्धू की इस नाराजगी का फायदा उठाते हुए दिल्ली नतीजों से उत्साहित आम आदमी पार्टी सिद्धू को अपने पाले में लाने की तैयारी में जुट गई है। कांग्रेस नेता ने बताया कि इस बाबत दोनों ओर से बातचीत चल रही है। वैसे यह नहीं पता लग सका है कि बातचीत किस स्तर तक पहुंची है।

दिल्ली में नहीं की कांग्रेस की सभा

कांग्रेस में भी इस बात की जोरों पर चर्चा है कि पार्टी में हाशिए पर पर चल रहे सिद्धू आप का झाड़ू थाम सकते हैं। सिद्धू कांग्रेस के स्टार प्रचारक रहे हैं मगर उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के समर्थन में एक भी सभा नहीं की। इसका कारण यह बताया जा रहा है कि वे आम आदमी पार्टी की सरकार के खिलाफ बोलने से बचना चाहते थे। दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी है। वैसे आप की ओर से अभी तक सिद्धू को लेकर कोई बात नहीं की गई है।

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पहले भी हुई थी कोशिश

पहले भी उन्हें आप में शामिल करने की कोशिश हुई थी मगर उस समय आप उन्हें केवल स्टार प्रचारक बनाकर ही रखना चाहती थी। दूसरी ओर सिद्धू सीएम पद का चेहरा बनना चाहते थे। यही कारण था कि दोनों के बीच बात नहीं बन सकी। उसके बाद हालात काफी बदल चुके हैं। ऐसे में सिद्धू के फिर से आप में शामिल होने की चर्चाएं तेज हो गई हैं।

आप के लिए पंजाब में उपयुक्त मौका

दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली बंपर जीत के बाद आप की नजरें अब रा’यों में संगठन के विस्तार पर टिक गई है। पंजाब में आप वैसे भी मजबूत स्थिति में रही है। इस बार पार्टी पंजाब में वह गलतियां नहीं दोहराना चाहती, जो पिछले चुनाव के दौरान हुई थीं। माना जा रहा है कि आप और नवजोत सिंह सिद्धू दोनों के लिए यह काफी उपयुक्त मौका है। पंजाब में आप का संगठन लगातार तीन सालों से बिखर रहा है। पार्टी के आधा दर्जन से ’यादा विधायक मुख्य ग्रुप को छोड़ चुके हैं। सुखपाल खैहरा, कंवर संधू सरीखे नेता पार्टी लाइन से अलग चल रहे हैं। पार्टी के पास पंजाब में भगवंत मान को छोडक़र कोई बड़ा चेहरा नहीं है। उन्हें जैसे चेहरे की तलाश है उसे सिद्धू पूरा कर सकते हैं। ऐसे से माना जा रहा है कि सिद्धू पंजाब में आप का चेहरा बन सकते हैं।

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लोकसभा चुनाव के बाद से ही हाशिए पर सिद्धू

नवजोत सिद्धू लोकसभा चुनाव के बाद से ही हाशिए पर चल रहे हैं। बठिंडा सीट हारने का ठीकरा उन्हीं के सिर फोड़ा गया था। 2017 में चुनाव के दौरान जब सिद्धू की आम आदमी पार्टी से बात नहीं बनी तो उन्होंने कांग्रेस का हाथ थाम लिया। विधानसभा चुनाव के दौरान तो उन्होंने ताबड़तोड़ रैलियां कीं मगर संसदीय चुनाव में निष्क्रिय ही बन रहे। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 77 सीटें जीतकर सरकार तो बना ली मगर सिद्धू को वह महत्व नहीं मिला जो मिलना चाहिए था।

कैप्टन ने बदल दिया था विभाग

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पहले तो कैबिनेट मंत्री के तौर पर उन्हें महत्व नहीं दिया और बाद में उनका विभाग भी बदल दिया। 2019 में संसदीय चुनाव के बाद सिद्धू को स्थानीय निकाय विभाग से हटाकर उन्हें बिजली विभाग सौंप दिया था। नाराज सिद्धू ने नए विभाग में कार्यभार ही नहीं संभाला और नाराज होकर घर बैठ गए। उसके बाद उन्होंने यह कहते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया कि मुख्यमंत्री को उन पर भरोसा ही नहीं है। राजस्थान और दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान स्टार प्रचारक बनाए जाने के बावजूद सिद्धू चुनाव प्रचार करने नहीं घर से नहीं निकले। उनके इस रुख से साफ हो गया कि वे कांग्रेस नेतृत्व से काफी नाराज चल रहे हैं।

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