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तो क्या इस कारण नीरज शेखर ने छोड़ी सपा

समाजवादी पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने चन्द्रशेखर के निधन के बाद उनके परिवार की परम्परागत सीट बलिया से टिकट देकर उनको राजनीतिक संरक्षण देने का काम किया।

SK Gautam
Published on: 16 July 2019 10:14 PM IST
तो क्या इस कारण नीरज शेखर ने छोड़ी सपा
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लखनऊ: पुराने समाजवादी नेता एवं पूर्व प्रधानमंत्री स्व चन्द्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर का आज भाजपा में शामिल होना कोई छोटी मोटी बात नहीं है। अपने पूरे जीवन में कांग्रेस और भाजपा की नीतियों के विरोधी रहे स्व चन्द्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर भी दो बार से समाजवादी पार्टी के सांसद थें।

उन्हें समाजवादी पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने चन्द्रशेखर के निधन के बाद उनके परिवार की परम्परागत सीट बलिया से टिकट देकर उनको राजनीतिक संरक्षण देने का काम किया।

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लोकसभा चुनाव में पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनका टिकट काट दिया

लेकिन हाल ही में सम्पन्न लोकसभा चुनाव में पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनका टिकट काट दिया जिसके बाद से इन दोनों युवा नेताओं के बीच बेहद तल्ख माहौल बना हुआ था। यहां तक कि इन नेताओं में बातचीत भी बंद हो गयी थी।

पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के निधन के बाद नीरज शेखर ने पहली बार बलिया से ही चुनाव लड़ा था।

इसके बाद 2007 में बलिया संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में भारी मतों के अंतर से जीतकर नीरज शेखर संसद पहुंचे थे। चंद्रशेखर की विरासत संभाल रहे नीरज ने अपने राजनीतिक तेवरों के चलते ही 2009 के आम चुनाव में भी बाजी मारी और 2014 तक संसद में रहे।

जिस तरह से हाल ही में स्व चन्द्रशेखर की पुण्यतिथि पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक कार्यक्रम में शामिल होकर उन्हे असली राष्ट्रसेवक बताया था उसी समय से इस बात के संकेत मिलने शुरू हो गए थें कि नीरज शेखर का परिवार को पार्टी से जोडने का प्रयास शुरू हो चुका है।

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इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चंद्रशेखर पर राज्यसभा के उपसभापति हरिबंश की लिखी पुस्तक चंद्रशेखर द लास्ट आइकन ऑफ आइडियोलॉजिकल पॉलिटिक्स का संभावित विमोचन कार्यक्रम होने की संभावना से भी इस बात को बल मिलना शुरू हो गया था।

2014 की मोदी लहर में वह भाजपा के भरत सिंह से चुनाव हार गए थे। इसके बाद सपा ने उन्हें 2014 में राज्यसभा के रास्ते संसद पहुंचा दिया था। बलिया संसदीय सीट से लगातार चंद्रशेखर चुनाव जीतते रहे। वह कभी सपा के सदस्य नहीं थे, लेकिन तत्कालीन सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव उनके खिलाफ कभी अपना प्रत्याशी नहीं उतारते थे।



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