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विपक्ष की बैठक में बोलीं सोनिया, संघवाद की भावना भूला दी गई, सारी शक्ति यहां केंद्रित

देश में कोरोना संकट के बीच शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में विपक्षी दलों की बैठक हुई। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई इस बैठक में सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा।

Dharmendra kumar
Published on: 22 May 2020 9:06 PM IST
विपक्ष की बैठक में बोलीं सोनिया, संघवाद की भावना भूला दी गई, सारी शक्ति यहां केंद्रित
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नई दिल्ली: देश में कोरोना संकट के बीच शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में विपक्षी दलों की बैठक हुई। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई इस बैठक में सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। इसके साथ ही विपक्षी दलों ने चक्रवाती तूफान अम्फान को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की।

कांग्रेस प्रवक्ता सुरजेवाला ने कहा कि इस बैठक की शुरुआत सोनिया गांधी के संबोधन से हुई। कई मुख्यमंत्रियों, जिनमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी अपनी बात रखी।

इस बैठक में सोनिया गांधी ने कहा कि अर्थव्यवस्था को भारी झटका लगा है। उन्होंने कहा कि जाने-माने अर्थशास्त्रियों ने बड़े पैमाने पर राजकोषीय प्रोत्साहन दिए जाने की तत्काल की सलाह दी थी। प्रधानमंत्री मोदी ने 12 मई को 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा की और फिर वित्त मंत्री अगले पांच दिनों तक उसका विवरण देती रहीं। यह देश के साथ एक क्रूर मजाक था।

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सोनिया गांधी ने कहा कि कोरोना को 21 दिन में खत्म करने की पीएम का दावा धराशायी हुआ। सरकार के पास लॉकडाउन को लेकर कोई योजना नहीं था। सरकार के पास करोना संकट से बाहर निकलने की कोई नीति नहीं थी। लगातार लॉकडाउन का कोई फायदा नहीं हुआ, नतीजे खराब ही निकले।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कोरोना टेस्ट और पीपीई किट के मोर्चे पर भी सरकार विफल रही है। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई, लॉकडाउन के नाम पर क्रूर मजाक हुआ। सभी शक्तियां पीएमओ के पास हैं, वो कर्मचारियों और कंपनियों के हितों की सुरक्षा करें।

सोनिया गांधी ने बैठक में कहा कि कोरोना संकट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरुआत में उम्मीद जताई थी कि इस पर 21 दिन में काबू पा लिया जाएगा, जबकि उनकी धारणा गलत साबित हो गई। उन्होंने कहा कि सरकार न सिर्फ लॉकडाउन के मानदंडों को लेकर अनिश्चित थी, बल्कि उसके पास इससे निकलने की भी कोई रणनीति नहीं थी। इस क्रमिक लॉकडाउन के नतीजे भी खास नहीं देखने को मिले।

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सोनिया गांधी ने कहा कि कोरोना टेस्ट और टेस्टिंग किट के आयात पर भी झटका लगा है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि नकदी गरीबों को हस्तांतरित की जानी चाहिए, सभी परिवारों को मुफ्त अनाज दिया जाना चाहिए, प्रवासी श्रमिकों को उनके घरों में वापस जाने के लिए बसों और ट्रेनों की व्यवस्था की जानी चाहिए।

सोनिया ने कहा कि कर्मचारियों और नियोक्ताओं की सुरक्षा के लिए सरकार को वेतन सहायता और मजदूरी संरक्षण निधि स्थापित करना चाहिए। सोनिया गांधी ने पीएसयू को बेचने को हरी झंडी देने की आलोचना की और श्रम कानूनों को बहाल करने की अपील की।

उन्होंने कहा कि सभी शक्तियां अब एक कार्यालय, पीएमओ में केंद्रित हो गई है। संघवाद की भावना जो हमारे संविधान का एक अभिन्न हिस्सा है, जिसे भुला दिया गया है। संसद के दोनों सदनों या स्थायी समितियों को बैठक करने के लिए बुलाया जाएगा या नहीं...इसका कोई संकेत दिख नहीं रहा।

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बैठक में नहीं शामिल हुईं ये पार्टियां

इस बैठक में विपक्ष के कई बड़े नेता शामिल हुए। इस बैठक में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, सीताराम येचुरी, तेजस्वी यादव, डीएमके के एमके स्टालिन, और शिवसेना के संजय राउत जैसे नेता शामिल हुए। गैर बीजेपी राज्यों के कई मुख्यमंत्री भी बैठक में शामिल हुए। मगर इस बैठक से सपा, बसपा और आम आदमी पार्टी ने दुरी बना ली।



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