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लोकसभा चुनाव में बीजद के प्रदर्शन की पटनायक ने की समीक्षा
पार्टी सूत्रों ने बताया कि पटनायक ने पराजित प्रत्याशियों, जिला अध्यक्षों और वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर जानना चाहा कि उन लोकसभा सीटों पर बीजद प्रत्याशी क्यों हार गए जिन सीटों पर, साथ ही संपन्न विधानसभा चुनावों में पार्टी को ज्यादातर सीटें मिली हैं।
भुवनेश्वर: ओडिशा में लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों का प्रदर्शन अपेक्षानुसार न होने से कथित तौर पर नाखुश मुख्यमंत्री एवं बीजद अध्यक्ष नवीन पटनायक ने इसका कारण जानने के लिए विभिन्न पक्षों के साथ सोमवार को बातचीत की।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि पटनायक ने पराजित प्रत्याशियों, जिला अध्यक्षों और वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर जानना चाहा कि उन लोकसभा सीटों पर बीजद प्रत्याशी क्यों हार गए जिन सीटों पर, साथ ही संपन्न विधानसभा चुनावों में पार्टी को ज्यादातर सीटें मिली हैं।
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राज्य विधानसभा की 147 सीटों में से बीजद ने 112 सीटें जीती हैं, लेकिन 21 लोकसभा सीटों में से यह क्षेत्रीय दल केवल 12 सीटें ही जीत पाया। वर्ष 2014 में संपन्न लोकसभा चुनाव में बीजद ने 20 सीटें जीती थीं जबकि भाजपा के खाते में केवल एक ही सीट आई थी।
इस बार भाजपा ने आठ लोकसभा सीटें और कांग्रेस ने एक सीट इस राज्य में जीती।
बीजद प्रत्याशी बरगढ़, भुवनेश्वर, बालासोर, बोलांगीर, संबलपुर, कालाहांडी, कोरापुट और मयूरभंज लोकसभा सीट पर हार गए।
बीजद के लिए सबसे ज्यादा हैरानी की बात यह रही कि उसने अपनी लोकसभा सीटें गंवा दीं लेकिन इन्हीं हारी हुई सीटों के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों में से ज्यादातर पर उसके प्रत्याशी जीत गए।
उदाहरण के लिए, कभी बीजद का गढ़ मानी जानी वाली भुवनेश्वर लोकसभा सीट पर पार्टी के प्रत्याशी अरूप मोहन पटनायक भाजपा की अपराजिता पटनायक से 23,839 वोट से हार गए।
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वहीं दूसरी ओर, भुवनेश्वर लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली सात विधानसभा सीटों में से बीजद प्रत्याशियों ने भुवनेश्वर-उत्तर, भुवनेश्वर मध्य, एकामरा-भुवनेश्वर, खुर्दा, जयदूव और बेगुनिया क्षेत्र में जीत हासिल की। कांग्रेस प्रत्याशी ने जातनी से जीत दर्ज की।
पटनायक से मुलाकात के बाद एक वरिष्ठ नेता ने कहा ‘‘हम हैरान हैं कि भुवनेश्वर में हमारे लोकसभा प्रत्याशी हार गए वहीं पार्टी के उम्मीदवार विधानसभा चुनाव में जीत गए। इसका कारण या तो मतों का बंटवारा या भीतरघात हो सकता है ।’’
(भाषा)