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प्रकाश सिंह बादल का जन्मदिन: मोदी ने फोन पर दी बधाई, खड़े हैं किसानों के साथ
कृषि कानूनों पर तमाम विरोध के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रभावशाली नेता प्रकाश सिंह बादल को जन्मदिन की बधाई दी है।
लखनऊ: किसानों के भारत बंद आंदोलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रभावशाली नेता प्रकाश सिंह बादल को जन्मदिन की बधाई दी है। मोदी सरकार के कृषि कानून के विरोध में प्रकाश सिंह बादल ने पांच दिन पहले पद्म भूषण सम्मान वापस लौट आने का ऐलान किया है। 94 साल के इस नेता में ऐसा क्या है जिसने प्रधानमंत्री मोदी को तमाम विरोध के बावजूद जन्मदिन की बधाई देने के लिए मजबूर कर दिया है।
प्रकाश सिंह बादल ने की कृषि कानून को वापस लेने की मांग
केंद्र की मोदी की सरकार किसान आंदोलन के रूप में देश में अब तक अपने सबसे बड़े विरोध का सामना कर रही है। मोदी सरकार के कृषि सुधार कानून का विरोध करते हुए सबसे पहले उनका मंत्रिमंडल हरसिमरत कौर बादल ने छोड़ा है। वह प्रकाश सिंह बादल के पुत्र वधू हैं और प्रकाश सिंह बादल के नए नेतृत्व वाले शिरोमणि अकाली दल की नेता है। अकाली दल पंजाब के किसानों के आंदोलन के साथ पूरी तरह खड़ा है। प्रकाश सिंह बादल ने 5 दिन पहले वह पद्म सम्मान भी लौटाने की चिट्ठी राष्ट्रपति को भेजी है जो उन्हें केंद्र सरकार से मिला है। अपने पत्र में भी प्रकाश सिंह बादल ने केंद्र सरकार के कृषि कानून की आलोचना की है और इसे वापस लेने की मांग की है।
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(फोटो- ट्विटर)
नाम के साथ जोड़ा गांव का बादल नाम
प्रकाश सिंह बादल का जन्म 8 दिसंबर 1927 को पंजाब के अबुल खुराना मालोत में हुआ है जो आप पाकिस्तान में है। उन्होंने लाहौर के फार्म क्रिश्चियन कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की है। पाकिस्तान से आकर वो श्री मुक्तसर साहिब पंजाब के विल्ल पोस्ट बादल गांव में आकर बस गए और अपने नाम के साथ उन्होंने गांव का बादल नाम जोड़ लिया। गांव में उनकी ऐसी लोकप्रियता बढ़ी कि वह सबसे पहले गांव के प्रतिनिधि चुने गए और बाद में राजनीति के सोपान चढ़ते चले गए।
राजनीति के सोपान चढ़ते चले गए प्रकाश सिंह बादल
1957 में पहली बार पंजाब राज्य की विधानसभा के लिए चुने गए। 1969 में दोबारा विधानसभा चुनाव जीते और 1970 चार्ट पंजाब सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में मंत्री के तौर पर काम किया। 1970 से 71 तक उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर काम करने का मौका मिला। इसके बाद 1977 से 80 तक 3 साल और वह मुख्यमंत्री बने रहे। बाद में कई साल तक पंजाब में अशांति का माहौल रहा। इस बीच उन्होंने शिरोमणि अकाली दल के नाम से राजनीतिक दल का गठन किया और 1997 में पंजाब के मुख्यमंत्री बनने में कामयाब रहे।
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किसानों के मुद्दे पर छोड़ा पार्टी का साथ
पंजाब के प्रतिष्ठित सिख धर्म पंजाबियत और पंजाबियों के रक्षा को अपने जीवन का मूल मकसद बताने वाले प्रकाश सिंह बादल ने 17 साल जेल में भी बिताएं। भारतीय जनता पार्टी के साथ उनका नजदीक का रिश्ता रहा और वह 2,000, 2007 और 2012 में भी पंजाब के सरकार बनाने के साथ ही मुख्यमंत्री भी बने। यह पहला मौका है जब किसानों के मुद्दे पर उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का साथ छोड़ा है। अब किसानों की राजनीति कर रहे हैं। उनके पुत्र सुखबीर सिंह बादल को उनका राजनीतिक उत्तराधिकारी माना जाता है। पंजाब में कांग्रेस विरोधी राजनीति का प्रमुख चेहरा होने की वजह से भाजपा के लिए उनकी उपयोगिता आज भी बनी हुई है शायद यही कारण है कि प्रधानमंत्री ने उन्हें जन्मदिन की बधाई देने के साथ ही फोन पर भी बात की है।
अखिलेश तिवारी
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