नागरिकता कानून: करीबी प्रशांत किशोर का नीतीश कुमार पर हमला, कह दी ये बड़ी बात

नागरिकता संशोधन विधेयक पर राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद यह कानून बन गया है। इस लेकर बिहार में सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) बंट गई है। जेडीयू नेता प्रशांत किशोर लगातार पार्टी के स्टैंड के खिलाफ बयान दे रहे हैं।

Dharmendra kumar
Published on: 13 Dec 2019 10:52 AM GMT
नागरिकता कानून: करीबी प्रशांत किशोर का नीतीश कुमार पर हमला, कह दी ये बड़ी बात
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पटना: नागरिकता संशोधन विधेयक पर राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद यह कानून बन गया है। इस लेकर बिहार में सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) बंट गई है। जेडीयू नेता प्रशांत किशोर लगातार पार्टी के स्टैंड के खिलाफ बयान दे रहे हैं। प्रशांत ने एक बार फिर इशारों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा है। प्रशांत ने गैर-बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अपना रुख साफ करने को कहा है।

प्रशांत किशोर ने नागरिकता संशोधन बिल और एनआरसी पर ट्वीट कर कहा है कि संसद में बहुमत साबित हो चुका है। न्यायपालिका से इतर देश की आत्मा को बचाने की जिम्मेदारी अब 16 गैर-बीजेपी मुख्यमंत्रियों पर है। ये वे राज्य हैं, जिन्हें इन कानूनों को लागू करना है।

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प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए लिखा है कि तीन मुख्यमंत्रियों (पंजाब, केरल और पश्चिम बंगाल) ने नागरिकता संशोधन बिल और एनआरसी का विरोध किया है। अब वक्त आ गया है कि बाकी मुख्यमंत्री इस पर अपना रुख साफ करें।



बता दे कि जेडीयू ने संसद के दोनों सदनों में इस विधेयक का समर्थन किया। इस प्रशांत किशोर ने जेडीयू पर हमला किया था। प्रशांत ने कहा था कि हमें बताया गया था कि नागरिकता संशोधन बिल (सीएबी) नागरिकता प्रदान करने के लिए है और यह किसी से नागरिकता छीनेगा नहीं। लेकिन सच यह है कि यह एनआरसी के साथ मिलकर धर्म के आधार पर लोगों के साथ भेदभाव करने और यहां तक कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सरकार के हाथों में एक घातक हथियार देगा।

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किशोर ने संसद में सीएबी पर अपनी पार्टी जेडीयू के समर्थन दिए जाने पर 2015 विधानसभा चुनाव की याद दिलाई थी। प्रशांत किशोर ने कहा था कि जेडीयू नेतृत्व को उन लोगों के बारे में विचार करना चाहिए, जिन्होंने 2015 के विधानसभा चुनाव में उनमें आस्था और विश्वास को दोहराया था।

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प्रशांत किशोर ने कहा था कि सीएबी का समर्थन करते हुए जेडीयू नेतृत्व को एक पल के वास्ते उन सभी के बारे में विचार करना चाहिए, जिन्होंने 2015 में उनमें आस्था और विश्वास को दोहराया था।

Dharmendra kumar

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