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कांग्रेस की पत्रिका में सावरकर की वीरता पर सवाल, मच सकता है सियासी बवाल
उद्धव सरकार में शामिल महाराष्ट्र कांग्रेस की पत्रिका में वीर सावरकर पर निशाना साधा गया है, तो वहीं पत्रिका में सावरकर पर लेखों को रखा जाए या नहीं, इसे लेकर भी प्रदेश कांग्रेस में शुरुआती असमंजस दिखा।
नई दिल्ली: उद्धव सरकार में शामिल महाराष्ट्र कांग्रेस की पत्रिका में वीर सावरकर पर निशाना साधा गया है, तो वहीं पत्रिका में सावरकर पर लेखों को रखा जाए या नहीं, इसे लेकर भी प्रदेश कांग्रेस में शुरुआती असमंजस दिखा। लेकिन बाद में हाइकमान के दखल के बाद इस पत्रिका को रिलीज किया गया।
बता दें कि महाराष्ट्र कांग्रेस की मराठी में प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका 'शिडोरी' के फरवरी अंक में सावरकर पर दो लेख प्रकाशित किए गए हैं। इनमें से एक लेख की शीर्षक है- 'स्वातंत्र्यवीर नव्हे, माफीवीर' (स्वातंत्र्यवीर नहीं, माफीवीर), जबकि दूसरे लेख की शीर्षक है- अंधारातील सावकर (सावरकर के अनजाने पहलू)। रोचक है कि पहले आलेख में कहा गया है कि सावरकर से जुड़े जो तमाम दस्तावेज सामने आते हैं, उन्हें देखने के बाद वह स्वातंत्र्यवीर नहीं, बल्कि माफीवीर के तौर पर सामने आते हैं।
पत्रिका में यह आलेख मराठी की एक मासिक पत्रिका 'साम्ययोग साधना' से साभार लिया गया है। वहीं दूसरे लेख में सावरकर के जीवन से जुड़े कुछ बेहद निजी पहलुओं को रखा गया है। इसमें एक ऐसी घटना का भी जिक्र है, जो सीधे उनके चरित्र से जुड़ा है।
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गौरतलब है कि यह कोई पहला मौका नहीं होगा, जब सावरकर पर कांग्रेस की तरफ से हमला बोला गया हो। इससे पहले मध्य प्रदेश कांग्रेस के सेवादल की ओर से लिखी किताब में सावरकर पर अशोभनीय टिप्पणी की गई थी, जिस पर काफी विवाद हुआ था।
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एक रिपोर्ट में कहा गया है कि फरवरी में इन दो लेखों पर कांग्रेस के भीतर काफी असमंजस था। दरअसल, वहां उद्धव सरकार में शामिल कांग्रेस के नेताओं में इस लेख को रखा जाए या नहीं, इसे लेकर पार्टी में दुविधा थी।
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बता दें कि शिवसेना लगातार सावरकर को स्वतंत्रता सेनानी के तौर पर पेश करती रही है। इतना ही नहीं, पिछले दिनों में लोकसभा में उसने केंद्र सरकार के सामने सावरकर को भारत रत्न देने की मांग भी रखी है। ऐसे में इन लेखों को 'शिडोरी' में शामिल किया जाए या नहीं, इसे लेकर पार्टी में दुविधा थी। लेकिन हाइकमान के दखल के बाद इसे प्रकाशित किया गया।